...जो लड़ेगा अंजाम तक

चामुर्ची की माटी के लाल ने बंगाल में किया कमाल, यूपीएससी में मिला 87 रैंक

परिवार की भूमिका और उसकी लगन रंग लाई : दुर्गा-सुभाष अग्रवाल

लक्ष्य प्राप्ति तक हिम्मत न छोडे़ं, लड़ते रहें तूफानों से : रिकी अग्रवाल

बधाईयों का तांता, देश में सिलीगुड़ी का नाम रौशन किया: कमल अग्रवाल

असफलताओं से घबराकर अगर आप निराश हो गए हैं और आगे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है, तो इसका मतलब है जल्द ही आप सफल होने वाले हैं। जी हां,ये बातें आपको भले ही अतिश्योक्तिस लग सकती हैं,पर सच यही है कि असफलताओं के बाद ही व्यक्तिय को सफलता मिलती है।     

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी

चिकननेक की धरती चामुर्ची, शहरों की चकाचौंध से दूर होने के बावजूद आज इस माटी के लाल ने बंगाल समेत देश में अपनी प्रतीभा का परचम लहराया है। चामुर्ची के प्राथमिक स्‍कूल से शुरू हुई शिक्षा आज देश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 2020 के परिणाम में 87 रैंक हासिल कर सिलीगुड़ी का पहला आईएएस बना रिकी अग्रवाल। हलांकि रिकी ने पहले भी प्रयास किया, लेकिन रैंक 547 आने के बाद वह वित्‍त मंत्रालय नई दिल्‍ली में ज्‍वाइन कर लिया। लेकिन मन की कसक प्रशासनिक अधिकारी बनने की गई नहीं। रिकी ने नौकरी के दौरान अपने सपनें को नए शिरे बुनने और उंची उड़ान के सपने का पूरा करने के लक्ष्‍य में जुट गया। अंतत: यूपीएससी के परिणाम 2020 में 87वां रैंक हासिल कर वह अपनी मंजिल की ओर बढ़ चला। रिकी अग्रवाल के हौसलों की उड़ान पर यह लाइन सटीक बैठती है।  

सफलता मिलेगी उसे जो चलेगा शाम तक,

जीत उसकी होगी जो लड़ेगा अंजाम तक।  संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 2020 का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया गया है। देश के कामयाब अभ्यर्थियों में दो बंगाल के होनहार भी शामिल हैं। परिणाम आने के बाद से ही बधाइयों का तांता लग गया है। वहीं सफलता का परचम लहराने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि लक्ष्य को ध्यान में रखकर कड़ी मेहनत और गुरुजनों तथा माता-पिता के सहयोग के कारण उनको मुकाम हासिल हुआ है।

लक्ष्य प्राप्ति तक हिम्मत न छोडे़ं

दुनिया में मेहनत, लगन और कठिन परश्रिम से किया हुआ काम कभी जाया नहीं होता। सफलताएं जरूर मिलती हैं, बस सफलताओं के लिए उनके मेहनत और उनके लगन और धौर्य की परीक्षा होती है। यह बात सिविल सेवा 2020 में 87वां रैंक लाने वाले सिलीगुड़ी के रिकी अग्रवाल का है। धैर्य और मानसिक संतुलन बनाकर लक्ष्य की ओर अग्रसर रहते हुए सफलता प्राप्त करने वाले रिकी ने बताया कि जब तक लक्ष्य को प्राप्त न कर लें, तब तक उम्मीद और हिम्मत न छोड़े। क्‍योंकि उम्‍मीद में ही सपनों के उड़ान के हौसले हैं। आज यूपीएसएसी की परीक्षा में बहुत छात्र अपनी किस्‍मत आजमाते हैं कुछ सफल होते हैं कुछ असफल, परंतु हर असफलता में सफलता का राज छिपा होता है। बस उसी असफलता को सफलता की राह मानकर निरंतर प्रयास करते रहें। श्री अग्रवाल ने बताया कि मेरा सपना इस परीक्षा में बेहतर रैंक हासिल करना था। हलांकि इससे पहले भी हमने यूपीएसएसी की परीक्षा दी और 547 रैंक हासिल किया। परिणाम भी मिला पर मेरे सपनों की उडान के मुताबिक नहीं। हमने इस रैंक के बाद वित्‍त मंत्रालय में ज्‍वाइन कर काम शुरू कर दिया। लेकिन बेहतर रैंक पाने की लौ को जलाए रखा और आज परिणाम समने हैं।

सिलीगुड़ी का नाम रौशन किया

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 2020 के परिणाम आने के बाद चामुर्ची से सिलीगुड़ी के ग्रीन वैली निवासी सुभाष अग्रावाल के बेटे रिकी अग्रवाल को बेहतर रैंक आने के बाद रिकी के परिजनों को बधाईयों का तांता लगा हुआ है। वहीं ग्रीन वैली के लोगों में हर्ष का माहौल है। सिलीगुड़ी के लाल के कमाल का सलाम करने पहुंचे पार्षद कमल अग्रवाल ने मिठाई खिलाकर और पुष्‍पगुच्‍छ भेंट कर परिवार की सफलता पर बधाई दी। कमन ने बताया कि रिकी शुरू से ही होनहार छात्र रहा है प्राइमरी स्‍कूल की शिक्षा के बावजूद उसमें सफलता हासिल करने का हुनर था। सिविल सेवा परीक्षा 2020 के परिणाम में बंगाल के दो छात्रों टाप 200 में आने में सफलता हासिल की है। जिसमें कोलकता की मयूरी मुखर्जी को 159 रैंक मिला और सिलीगुड़ी क रिकी अग्रवाल ने बेहतर प्रर्दशन करते हुए अंडर 100 में 87 रैंक हासिल कर सिलीगुडी व बंगाल के मान का देश में बढ़ाया है।

लगन रंग लाई

बेटे की सफलता पर व्‍यवसायी पिता सुभाष अग्रवाल, मां दुर्गा अग्रवाल, बड़े भाई विकास अग्रवाल भाभी प्रिति अग्रवाल, भतीजी प्राची अग्रवाल, बहन रिना अग्रवाल व अनु अग्रवाल जहां खुशिंयों से फूले नहीं समा रहे हैं। बेटे की सफलता पर दुर्गा-सुभाष अग्रवाल ने बताया कि रिकी की प्रारंभिक शिक्षा प्राइमरी स्‍कूल चामुर्ची में हई। 12 में रिकी को आर्मी स्‍कूल बेगडुबी से करने के बाद वह आईआईटी खडगपुर इलेक्‍ट्रानिक इंजिनयरिंग में बीटेक किया। हलांकि प्रशासनिक सेवा मे जाने का मन रिकी का शुरू से था। बीटेक के बाद वह अपने लक्ष्‍य की ओर बढ़ चला। तैयारी के बाद पहली परीक्षा 2018 में 547 रैंक मिला और वित्‍त मंत्रालय में ज्‍वाइन कर बेहतर रैंक लाने के प्रयास में जुट गया। परिणाम आज समने हैं, उसकी इस सफलता में परिवार की भूमिका भी सराहनीय रही है और उसे प्‍यार करते हैं।