सिक्किम में राष्ट्रपति शासन की जरूरत :एमके सुब्बा

राज्य में अर्थ व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई  

न्‍यूज भारत, गंगटोक(सिक्किम) : वर्तमान में सिक्किम की सरकार कई मोर्चों पर पूरी तरह से विफल हो रही है। राज्य की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है। जबकि राज्य सरकार ने समीक्षा करने के लिए भविष्‍य की रणनीति को तय करने के लिए इकोनोमिक रिवाइवल कमेटी का गठन किया, लेकिन कोरोना के संकट काल में रिवाइवल नहीं सरवाइवल की आवश्यकता है। इसलिए सरकार अब पूरी तरह से फेल हो गई और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राज्‍य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। उक्‍त बातें पार्टी प्रवक्ता एमके सुब्बा ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कही। उन्‍होंने कहा कि दैनिक श्रम करने वालों की  आबादी राज्य में अधिक है। जिसमें वाहन चालकों, कृषकों, होटलों आदि में काम करने वाले लोग शामिल हैं। कोरोना संकट काल में इन दैनिक काम करने वालों को राहत के तौर पर आर्थिक मदद की जरूरत है। हालाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये की आत्मा निर्भर भारत का ऐलान कर चुके है। अगर सरकार की मंशा मदद करने की हो तो सिक्किम को भी केन्‍द्र सरकार के इस योजना का लाभ दिला सकते है, लेकिन राज्य सरकार पूरी तरह से मौन है। उन्‍होंने कहा कि मेरी पार्टी के प्रवक्ता जीबी दरनाल पर हुए जानलेवा हमले में सत्ताधरी दल सिक्किम क्रातिकारी मोर्चा का सीधा हाथ है, इसका मुख्‍य कारण है विपक्षी के मन में दहशत  पैदा करने का षड़यंत्र है। क्योंकि एसकेएम सत्ता में आते ही इस तरह के हमले, धमकी और कानूनी कार्रवाई की कई घटनाएं जुड़ी हुई है। उन्‍होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के नियंत्रण में राज्य सरकार पूरी तरह से विफल है। इसलिए हमारी पार्टी भारतीय संविधान की धारा 356 के  अंतर्गत राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करती है।  राज्‍य में राष्‍ट्रपति शाशन लगाने के बावत पार्टी अध्यक्ष पवन चामलिंग राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन पत्र सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि सिक्किम को प्राप्त विशेष संवैधानिक अधिकार के धारा 371 (एफ) के उपधारा का प्रयोग कर राज्यपाल को सीधी तरह भी राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।