समय पर जख्मी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाकर कराया इलाज, बच गई जान
न्यूज भारत, कोलकता : सीमाओं की चौकसी और चाक-चौबंध सुरक्षा के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सीमा पर बसे गांवों के साथ मानवता की मिशाल पेश कर रहा है। मुर्शिदाबाद जिले के शिकारपुर गांव में तैनात 86 बीएन बीएसएफ ने सर्पदंश, दुर्घटना समेत अन्य हादसों के लिए सदैव तत्परता के कारण कई लोगों की जांन बचाने का श्रेय मिला है। वहीं तैनात जवानों को किसी तरह के हादसे की सूचना के साथ ही सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
बीएसएफ जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि, मुर्शिदाबाद जिले के शिकारपुर गांव के पास बीएसएफ 86 वीं बटालियन की तैनाती है। वहीं 17 अगस्त, 2021 रात 23.45 बजे जब 60 वर्षीय दिनेश सरकार, पिता–गुरोपारा सरकार प्रतिदिन की तरह घर में सोने के लिए जा रहा था। तभी अचनाक चक्कर आने की वजह से वृद्ध जमीन पर गिर पड़ा जिस वजह से उसके सिर में गहरी चोट लग गयी। इसकी सूचना परिवार वालों ने बॉर्डर आउट पोस्ट शिकारपुर, 86 बटालियन के कंपनी कमांडर से मदद की गुहार लगाई। कंपनी कमांडर को जब इस घटना की जानकारी हुई तो उन्होंने बिना देर किए एक नर्सिंग सहायक के साथ बीएसएफ एम्बुलेंस को दिनेश सरकार के घर भेज दिया। प्राथमिक चिकित्सा के बाद पीडित व्यक्ति को इलाज के लिए करीमपुर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर उसके चोट की गंभीरता को देखते हुए करीमपुर अस्पताल के डॉक्टर ने मरीज को आगे कृष्णानगर जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। बाद में बीएसएफ ने मरीज को कृष्णानगर जिला अस्पताल में भर्ती कराया। मरीज की हालत अभी ठीक बताई जा रही है।
बीएसएफ के प्रति जताया आभार: दिनेश सरकार के परिजनों ने सीमा सुरक्षा बल के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि अगर बीएसएफ ने सही समय पर मदद नहीं की होती तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी।
मानवता की सेवा सर्वोपरी
वहीं 86 वीं वाहिनी के कमांडिंग ऑफिसर सुरेंद्र कुमार ने कहा कि हमारे जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय लोगों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं। किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में बीएसएफ के जवान, लोगो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े है। अधिकारी ने कहा कि उनके जवानों ने लगातार अपने इलाके में बॉर्डर पर सीमावर्ती ग्रामीणों की मदद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है हमारे जवान ग्रामीण लोगों की मदद के साथ-साथ नौजवान लोगों को पढ़ाई और रोजगार संबंधी बातों से अवगत करा रहे है, जिससे ग्रामीणों का मनोवैज्ञानिक विकास संभव हो सके।