बीएसएफ कदमतल्ला में राखियों से सजे बच्चों के थाल, मेंहदी प्रतियोगिता आयोजित
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी : जब फिजाओं में चारों तरफ हरियाली हो, मौसम मदमस्त हो तो अनायास ही सावन के महीने का एहसास होने लगता है। ऐसे में भारतीय महिलाएं भी अपने साजो-श्रृंगार में हरे रंग का खूब इस्तेमाल करती है। वहीं जब बात महिलाओं के श्रृंगार की बात हो रही हो, तो उसमें मेहंदी की बात न हो तो बात अधूरी रह जाती है। वैसे भारतीय परंपराओं की माने तो सावन में हाथों में मेहंदी रचाने का अपना एक अलग महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जिसकी मेहंदी जितनी रंग लाती है, उसको उतना ही प्यार अपने पति और ससुराल से मिलता है। वहीं मेहंदी की सोंधी खुशबू से महिलाओं के सौंदर्य पर चार चांद लग जाता है। वहीं घर-आंगन की खुश्बु कुछ और ही होती है। जबकि सावन में मेहंदी के बिना महिलाओं का श्रृंगार भी अधूरा माना जाता है। सावन में मेहंदी लगाना एक परंपरा है, ऐसी मान्यता है कि हरियाली तीज के पावन अवसर पर मेहंदी लगाने से पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है। इसी परंपरा निर्वहन करते हुए उत्तर बंगाल फ्रंटियर कदमतला तथा अधिनस्थ बटालियनों के सीमा सुरक्षा बल के वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (बावा) ने बावा बीएसएफ परिसर कदमतला में बहुत ही जोश और उत्साह के साथ हरियाली तीज महोत्सव का आयोजन गया। तीज त्योहार भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। इस अवसर पर, उत्तर बंगाल फ्रंटियर के सीमा प्रहरी की पत्नियों और बच्चों ने मेहंदी प्रतियोगिता, रंगों का उपयोग करके बावा के प्रतिक चिन्ह की डिजाइनिंग, तीज रानी का चयन, राखी के साथ थाली की सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। डा. प्रेमा गांधी, बावा अध्यक्षा नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर ने उत्तर बंगाल फ्रंटियर सीमा सुरक्षा बल के परिवारों को हरियाली तीज के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं दीं।