खुली आंखों ने देखे, बंद आंखों का जज्बा

देश की आधी आबदी बंद आखों से भी दुश्‍मनों पर पड़ेगी भारी

आंखों पर बंधी काली पट्टी, पर दिलों में देश की सुरक्षा का जज्‍बा

प्रशिक्षण का डेमों देख हतप्रभ हुए डीजी, एडीजी, आईजी और डीआईजी

देश की रक्षा के लिए 31897 जवान ले चुके हैं बलिदान की शपथ

‘अर्धसैनिक बल देश में रहकर या सीमा पर देश की सुरक्षा करते हैं, और देश की आंतरकि सुरक्षा में अर्धसैनिक बल पूरे देश में आतंकवाद औऱ नक्सलवाद विरोधी, निष्‍पक्ष चुनाव जैसे अभियानों में भी लगाए जाते हैं।  वहीं,  वीआईपी सुरक्षा में भी अधिकतर अर्धसैनिक बलों के जवान ही होते हैं। सुविधाओं के नाम पर जो सहूलियतें भारतीय सेना को मिलती हैं, वैसी सुविधाएं बीएसएफ को नहीं। बावजूद इसके बीएसएफ के जवानों को हमेशा सीमा की सुरक्षा के लिए तैयार बीएसएफ के जवान, जल, थल और नभ के लिए रहना पड़ता है।’

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी

‘मैं भारतमाता की शपथ लेकर प्रतिज्ञा करता हूं कि कानून द्वारा निश्चित किए हुए भारत के संविधान की सच्चे मन से सेवा करूंगा और मैं भारत की सीमा सुरक्षा बल में ईमानदारी और सच्चे मन से वफादार रहूंगा। मुझे जहां कहीं भी जल, थल और नभ के रास्ते भेजा जाएगा मैं खुशी से जाउंगा। मैं भारत के राष्ट्रपति और उस ऑफिसर की जिन्हें मेरे ऊपर नियुक्त किया जाएगा सभी आज्ञाओं को मानूंगा और उनका पालन करूंगा। चाहे इसमें मुझे अपना जीवन ही बलिदान क्यों न करना पड़े।'  ये शब्‍द सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पासिंग आउट परेड में दी जाति है। लेकिन उससे पहले मिलने वाले कठिन प्रशिक्षण को देख कर यह लगता है। भारत के जवान अपने प्राणों की आहुति देश की रक्षा के लिए कठिन प्रशिक्षण प्राप्‍त कर तैयार होते है।

सव सिडयरी ट्रेनिंग सेंटर (एसटीसी) बैकुंठपुर ( सालुगाढ़ा) में बीते रविवार को बीएसएफ के डीजी, राकेश अस्थाना, अध्‍यक्ष बावा  श्रीमती अनु अस्थाना,  एसटीसी बैकुंठपुर का दौरा किया और  सैनिक सम्मेलन को संबोधित किया।   प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की और डेमो भी देखे। इस दौरान एडीजी पूर्वी कमान पंकज कुमार सिंह, आईजी उत्‍तर बंगाल फ्रंटियर रवि गांधी और एसटीसी के डीआईजी असितव मोहंती समेत एसटीसी के अधिकारियों व जवानों ने जब खुली आंखों से बंद आखों से महिला नव आरक्षकों के कौशल और प्रतिभा को देखा तो सभी गर्वान्वित महसूस करने लगे।  हलांकि नव आरक्षकों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया अभी चल रही है। लेकिन उनके कठिन मेहनत और लगन से एक बात साफ देखने को मिला,  देश का जज्‍बा सर्वोपरि है। देश के दूसरे प्रशिक्षण केन्‍द्र का गौरव प्राप्‍त एसटीसी सालुगाढ़ा देश की सुरक्षा के लिए अब तक महिला-पुरूष 31897 जवानों को देश की सुरक्षा के लिए दे चुका है। मालूम हो कि बीएसएफ एसटीसी सालुगाढ़ा की स्‍थापना एडहाक बेसिस पर वर्ष 1967 को रानीड़ागा में स्‍थापित किया गया था। इसके बाद वर्ष 1983 में पूरी तरह एसटीसी का रूप लेकर इसे बैकुंठपुर (सालुगाढ़ा) में स्‍थापित किया गया। इसके बाद से वहीं इस प्रशिक्षण केन्‍द्र में बीएसएफ के प्रशिक्षार्थियों के बैच नहीं होने पर यह ट्रेनिंग सेंटर झारखंड, सिक्किम के अलावा पूर्वोत्‍तर के अनेक राज्‍यों की पुलिस को भी प्रशिक्षण देने का गौरव हासिल है।