फुलप्रुफ होगा भारत-बंगलादेश का बार्डर : रवि गांधी

936.415 किमी, 240 बीओपी, 24×7+365 = चाक-चौबंद

हमारी सीमाओं पर अब परींदा भी पर नहीं मार सकता

सीमाओं के दौरा पर अधिकारियों व जवानों को सर्तक रहने का निर्देश

अंर्तराष्ट्रीय सीमाओं के रग-रग से वाकिफ है बीएसएसफ कैडर के आईजी

सीमांत मुख्यालय सीमा सुरक्षा बल उत्तर बंगाल के 29 वें महानिरीक्षक के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया हूं। मैं इस क्षेत्र की सीमाओं की सुरक्षा और जवानों के हित को पहली प्राथमिकता दूंगा। रहीं बात सीमा पर घुसपैठ और तस्‍करी की तो उसे रोकने के लिए रायगंज, सिलीगुड़ी, किशनगंज और जलपाईगुड़ी सेक्‍टर का दौरा कर अपराध को रोकने के आवश्‍यक निर्देश दिया गया है। हमारी सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित और चाक-चौबंद है। थोड़ी बहुत कमी है उसे शीघ्र दूर कर 936.415 किमी की सीमा फुलप्रुफ कर दिया जाएगा।      रवि गांधी मनिरीक्षक बीएसएफ उत्‍तर बंगाल फ्रंटियर, सिलीगुड़ी

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी 

सीमा सुरक्षा बल सीमांत मुख्यालय उत्तर बंगाल के हिस्से में भारत-बंगलादेश की 936.415 किमी सीमा, 240 बीओपी की निगरानी 27×7 और 365 दिन होती है। वर्ष भर के मौसम, कडकड़ती ठंड, तपती दुपहरी की धूप, मूसलाधार वारिश में भी होती रहती है निगरानी । जिससे हमारे देश की सीमाएं और देश दोनों सुरक्षित रहे। भारत-बंगलादेश की अंर्तराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान बखूबी निभा रहा है। हमारे जवान अपने परिवारों से दूर होली, दिवाली, बहनों के पर्व रक्षा बंधन पर वह देश की सीमाओं की सुरक्षा चाक-चौबंद रखते है। इसके साथ ही देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने के संकल्प के साथ हमारे-अधिकारी जल, थल और नभ को पूरी तरह सुरक्षित रखते हैं। उनके इसी अदम्यक साहस और त्याग के कारण आज हमारी सीमाएं पूरी तरह से सुरक्षित है। उत्तर बंगाल के क्षेत्र में तस्करी के मामले पहले अधिक थे, लेकिन इस कुछ दिनों में तस्करी और घुसपैठ जैसे अपराध में काफी कमी हुई है। इसके साथ ही अपने कार्यभार ग्रहण करने के बाद मैंने भारत-बंगलादेश के कई सीमा क्षेत्रों का दौरा किया है। जहां थोडी बहुत कमी थी उसे शीघ्र दूर करने के साथ फुलप्रुफ सीमा बनाने का निर्देश भी दिया गया है। जो कुछ दिनों में दूर करके भारत-बंगलादेश की अंर्तराष्ट्रिय सीमा को चाक-चौबंद कर दिया जाएगा, जहां परींदा भी पर नहीं मार सकता। उक्त बातें बीएसएफ उत्तर बंगाल के नवागत महानिरीक्षक (आईजी) रवि गांधी ने एक बातचीत के दौरान कही। बीएसएफ कैडर के आईजी श्री गांधी देश के सीमाओं की जानकारी बखूबी है। वह यहां से पहले बीएसएफ टीसीएस ट्रेनिंग सेंटर हजारीबाग झारखंड में आईजी थे।

बतौर सहायक कमांडेन्ट 16 जून 1986 से सेवा देने वाले श्री गांधी ने अपने 35 वर्ष की सेवा के दौरान सीमा सुरक्षा बल में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। इन्हें सीमा सुरक्षा बल में अनेक पदों पर कार्य करने का बहुत ही अच्छा अनुभव रहा है। इन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पूरी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और मेहनत के साथ अपने जिम्मेवारियों का निर्वहन किया है। अपने कार्यकाल के दौरान इन्हें बल मुख्यालय के द्वारा वर्ष 1990 में राष्ट्रपति के द्वारा पुलिस वीरता पदक (प्रेसिडेंट पुलिस मेडल फॉर गैलेन्ट्री) तथा वर्ष 2020 में अति उत्कृष्ट सेवा पदक व विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक (प्रेसिडेंट पुलिस मेडल फॉर डीस्टींगवीस्ड सर्विस) प्रदान किया गया। तदुपरांत वर्ष 1986 से अबतक इन्हें सीमा सुरक्षा बल महानिदेशक के द्वारा 26 महानिदेशक प्रशस्ति पत्र (डी० जी० सी० आर०) से भी सम्मानित किया जा चुका है। श्री गांधी को देश की सेवा में पहली बार सहायक कमांडेन्ट 16 जून 1986 जैसलमेर राजस्‍थान से सेवा दी है। इसके बाद वह देश के अन्‍य राज्‍यों के साथ जम्‍बु काश्मीर जैसे राज्‍यों की कमान संभाल चुके है। अंर्तराष्ट्रीय सीमाओं की निगरानी का बेहतर अनुभव होने के कारण अब उत्तर बंगाल के सीमाओं पर सुरक्षा चाक-चौबंद होगी।

बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि हम कतर्व्य परायणता के साथ देश की सेवा के लिए बीएसएफ में शामिल हुए हैं। जहां तक उत्तर बंगाल के सीमाओं का सवाल है, पहले भी सुरक्षित थी और आज भी है, हलांकि थोड़ी बहुत कमी है जो शीघ्र दूर कर यहां की सीमाओं को चाक-चौबंद और फुलप्रुफ किया जाएगा। वहीं कुछ स्थानों पर खुली सीमा जैसे नदी और अन्य का फायदा तस्कार उठाते हैं उस पर भी नकेल कसने के लिए हम अपने जवानों को तैयार कर दिए हैं। जैसे कि अधिक वर्षा के कारण नदियों के जलस्तर में इजाफा होने का फायदा तस्कर उठाते हैं। लेकिन हम उन्हें आगाह करते हैं कि हमारे जवानों को कम ना समझे, हम जवाब देने में सक्षम है और बेहतर है कि वह अपने रास्ते बदल लें। उन्होंने सीमा क्षेत्रों में बसे भारतीयों से अनुरोध किया कि हम आपके साथ है। सीमा सुरक्षा बल भी उन्हें  समय-समय पर सीवीक एक्शन कार्यक्रम के तहत सहयोग करते रहते हैं और वह भी हमारे जवानों से बेहतर संबंध रखे। वहीं हमने जवानों को भी निर्देश दिया है कि अंर्तराष्ट्रिय सीमा पर बसे गांवों के लोगों के साथ बेहतर संबंध बहाल कर देश की सुरक्षा में सहयोग करें।