बंगाल में ‘ब्‍लैक फंगस’ की दस्‍तक

घबराएं नहीं, सावधानी से बचाव व इलज संभव : डा. मनीषा चौधरी

उत्‍तर प्रदेश, बिहार के बाद सिलीगुड़ी मिले ब्‍लैक फंगस के मरीज

साफ-सफाई पर दें ध्‍यान, लक्ष्‍ण दिखने पर तुरंत डाक्‍टर से सलाह

असावधनी है जानलेवा, कोरोना मरीजों में दिख रहे अधिक लक्षण

कीचड़, कूडेदान, सड़े पत्‍तों व आक्‍सीजन कैप से फैलने के आसार

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी

कोरोना संक्रमण से जूझ रहे देश में अब ब्‍लैक फंगस (आंख) म्यूकरमायकोसिस की बिमारी का खतरा भी तेजी पांव पसार रही है। कर्नाटक, ओडिशा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के कई मामलें प्रकाश में आए है। वहीं मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। वहीं जानलेवा ब्‍लैक फंगस से से बंगाल व सिलीगुड़ी भी अछूता नहीं रहा। बंगाल के कोलकाता के आसपास इस तरह के रोगी मिले है। वहीं सिलीगुड़ी के एक आई हास्पिटल में एक मरीज होने की अपुष्‍ट सूचना है। इस जानलेवा बिमारी के संबंध में सिलीगुड़ी की प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. मनीषा चौधरी ने बताया कि यह बिमारी खतरनाक है जो असावधानियों के कारण जानलेवा हो सकती है। लेकिन इस बिमारी का इलाज उपलब्‍ध है। सही समय पर लक्षण दिखने पर तुरंत अपने चिकित्‍सक से सलाह ले और इलाज शुरू कर इस जानलेवा बिमारी से निजात मिल जाएगी।

डा. चौधरी ने बताया कि ब्‍लैक फंगस कभी भी आंखों के रास्‍ते शरीर में प्रवेश नहीं करता है। वहीं सांस के साथ नाक या मुह के रास्‍ते प्रवेश करता है। जो शरीर के भीतर पहुंच कर कमजोर ह्रयूमिटी वाले लोगों को प्रभावित करता है। हलांकि इसे हवा में होने के कम आसार दिखते है। लेकिन यह गंदगी वाले जगह जैसे गोबर, कीचड़, कूडेदान, पैघ के सड़े पत्‍तों के बीच अधिक पाया जाता है। वहीं कोरोना के इस संक्रमण के दौरान आक्‍सीजन कैप से भी फैल रहा है। जैसे की अगर आक्‍सीजन कैप नीचे गिरने के बाद लागाने हो रहा है, इस पर सावधानी बरतें। उन्‍होने बताया कि ब्‍लैक फंगल शरीर में पहुंचने के बाद सबसे पहले आंखों को नुकसान पहुंचाता है। इससे आंख की रेटीना खराब हो सकता है, जिससे आंख की रौशनी जा सकती है और आंख को निकलना पड़ सकता है। इसके साथ ही अगर मरीज में बहुत ह्रयूमिनीट कम है तो जान जाने का खतरा होता है। जैसा की देश के अन्‍य राज्‍यों में देखा जा रहा है। इसलिए खासकर किमोथेरपी व डायलेसीस मरीज, हाईब्‍लड प्रेसर, डायबिटीज और कोरोना से ठीक हुए मरीज अधिक सावधानी बरते। अगर किसी भी प्रकार के लक्षण दिखे तो तुरंत डाक्‍टर से सलाह लें।

क्‍या है ब्लैक फंगस के लक्षण

इसके लक्षण कोरोना संक्रमण की तरह ही है, जिसमें सर दर्द, सर्दी जुखाम, बुखार, खासी और दस्‍त भी है। असर करने के बाद वह शरीर के पर जलने की तरह फफोला होने लगता है और वाद में काला धब्‍बा हो जाता है। हलांकि इस तरह के मामले बंगाल में कम है, पर सावधानियां बरते की जररूरत है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज के नाक के ड्राई होने पर उसमें से खून बहना और सिरदर्द आम लक्षण हैं। वहीं, नर्म कोशिकाओं और हड्डी में घुसने पर इस इंफेक्शन के कारण स्किन पर काले धब्बे बनने लगते हैं। साथ ही आंखों में दर्द और सूजन, पलकों का फटना व धुंधला दिखना भी ब्लैक फंगस के संकेत हो सकते हैं। गंभीर होने पर मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंख को निकालना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में पहुंचने पर मरीज की देखने की शक्ति को नहीं बचाया जा सकता।

जागरूकता सबसे सरल उपाय

ब्‍लैक फंगस जागरूकता से शीघ्र निदान और फंगल इंफेक्शन को फैलने से रोकने में मदद कर सकता है। पहली स्लाइड में म्यूकरमायकोसिस की परिभाषा को बताते हुए कहा गया है कि यह एक फंगल इन्फेक्शन है और मुख्य रूप से यह मेडिकल हेल्थ समस्याओं वाले रोगियों को ज्‍यादा प्रभावित करता है। जिनमें पर्यावरण में रहने वाले संक्रमण से लड़ने की उनकी क्षमता को कम कर देता है। वहीं  दूसरी कि कोई मरीज कैसे इससे संक्रमित होता है। इसके तहत, कोमोरबिडिटीज, वैरिकोनाजोल थेरेपी, डायबिटीज मेलिटस, स्टेरॉयड इम्यूनिटी बढ़ाने या लंबे समय तक आईसीयू में रहने वाले लोगों को ब्‍लैक फंगल संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। आज देशभर में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के साथ ही इससे ठीक हो रहे कई मरीजों में ब्लैक फंगस की शिकायतें मिल रही है।