आर्कषण के केन्द्र बना ‘थारोन की गुफा’ ‘बराक के झरने’

युवाओं में सांस्कृतिक विरासत के स्थलों के लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत : कर्नल प्रदीप  

पहाड़ों की वादियों में पर्यटन के अनूठी विरासत है मणिपुर का तामेंगलोंग

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में तामेंगलांग में पर्यटन का केन्द्र बन सकता है “थारोन गुफा”

पवन शुक्‍ल, मणिपुर/सिलीगुड़ी

तामेंगलोंग की वादियों की खूबसूरती में अपनी अनूठी संस्कृति में पर्यटकों की रुचि के कई विरासत स्थल हैं। जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचने के लिए काफी है। शहर से सूदूर पहाड़ों की वादियों की छटा अदभूत और निराली है। अगर पर्यटक के लिए बेहतर सुविधाएं मिल जाय तो रोजगार के अवसर के साथ प्रकृति की खूबसूरती छटा भारत समेत दुनियां के अन्‍य देशों में अलग पहचान बना सकती है। वहीं विश्‍व के मानचित्र पर मणिपुर के तामेंगलांग भी शामिल हो सकता है। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 164 किलोमीटर दूर और तामेंगलांग जिले के मुख्यालय है। तमेंगलोंग शहर से सिर्फ 27 किलोमीटर दूरी पर स्थित है थारोन गुफा । गुफा की लंबाई 655.6 मीटर, और इसमें 34 जोड़, 5 ईट हैं और यह समुद्र तल से लगभग 910 मीटर ऊपर स्थित है। थारोन गुफा की गुफा मणिपुर की विरासतों में एक अनोखा मिशाल है। यह गुफा भारत में हाओबिनियन संस्कृति का पहला सबूत हमें प्रदान करती है जो दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में भी पाई जाती है।

प्रकृति की अनूठी छटा

थारोन गुफा की प्रकृति के बरदान की अनूठी छटा विखेरती है। इसमें  प्रवेश करते समय एक तरह अलग और डरावने पन का अनुभव है। अंधेरा और भयावह अनुभव ऐसा लगता है जैसे आप अज्ञात दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि गुफा में एक बेहतर वेंटिलेशन सिस्टम भी प्रकृति की अनूठी मिशाल है जिसके माध्‍यम से अंदर पर्याप्त वायु संचार हो रहा है। प्रवेशद्वार पर एक पत्थर पर पूरी गुफा का नक्शा उकेरा है जो चित्रकारी कला को प्रर्दशित कर रहा है। हलांकि जो लोग इसमें रूचि रखते है वह इसे पता लगाने की कोशिश हैं, और गुफा के अंदर मुड़ता है और गली के रास्ते का भी पता लगाता है।

थारोन गुफाएँ और बराक नदी का झरने खींच सकती है पर्यटकों को

सदियों से मणिपुर के तामेंगलोंग जिले की थारोन गुफाएँ और बराक नदी के झरने जिले में प्रमुख पर्यटक आकर्षण का केन्‍द्र बन गए हैं। प्रकृति की छटा से भरपुर भारत ही नहीं दुनिया के लिए सुंदर सुरम्य और प्राकृतिक पर्यटन केन्‍द्र बन सकता है।  22 सेक्टर एआर / आईजीएआर (पूर्व) के तत्वावधान में 44 असम राइफल्स ने कॉम्प्लेक्स पास्ट्स: डाइवर्स फिएटर्स ने इन विरासत के स्थलों को संरक्षित करने की पहल शुरू की है। प्रकृति के विविध पृष्ठभूमि और संस्कृति एकजुटता के  संदेश फैलाने के लिए जुट गए हैं।

पूर्वोत्‍तर की वादियों में प्रकृति संरक्षण में लगा है असम राइफल्‍स

44 असम राइफल्स के कमांडेंट कर्नल प्रदीप ने तामेंगलांग स्थित बटालियन के जावानों से कहा कि इस क्षेत्र के विरासत स्थलों को संरक्षित करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि हम विभिन्न संस्कृतियों और उनकी विरासत को मनाने के लिए दिन का निरीक्षण करते हैं। यह मानव जाति के संयुक्त इतिहास और विरासत को मनाने का दिन है। जिले में धरोहर स्थलों को संरक्षित करने पर जोर देते हुए उन्होंने युवाओं से महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्मारकों और स्थलों के लिए जागरूकता फैलाने और उन्हें संरक्षित करने के महत्व के बारे में बताया। थारोन गुफाएँ एक स्थान है जिसका स्थानीय लोगों के लिए सांस्कृतिक महत्व है। यह समाज की अमूर्त विशेषताओं और भौतिक कलाकृतियों की विरासत को संरक्षित करता है जो पिछली पीढ़ियों से विरासत में मिली हैं। इस अवसर पर तामेंगलोंग में रुचि के स्थानों/स्थानों पर एक फोटो गैलरी का भी जनता के लिए उद्घाटन किया गया।