न्यूज़ भारत, सिलीगुड़ीः प्रतिभाओं को बेहतर निखार लाने के लिए प्रतिभागियों को सच्ची निष्ठा रखना ही, उसकी कामयाबी का माना जाना चाहिए, ये कोई जरूरी नहीं उसकी हर रचना बेहतर हो, परंतु अगर लगन और काव्यों के प्रति उसकी रूचि और कम संसाधनों के बीच में निरंतर प्रयास करना ही उसकी सच्ची साधन है। इसी तरह का प्रयास हैं "रिंकी गुप्ता" पेशे से वकालत की शुरुआत करने के साथ साथ काव्य लेखन में अपना योगदान दे रही है, उनकी रचनाओं को तमाम पत्र पत्रिकाओं में भी स्थान मिल रहा है। " हमें बचपन से काव्य व लेखन की रचनाओं को रचनात्मक रूप देने की ललक रहती है, हलांकि संसाधनों की कमी होने के बावजूद मेरा प्रयास है, कि हम अपने पाठकों को बेहतर रचनाओं को दे संकू। " रिंकी गुप्ता सिलीगुड़ी
...अंधेरा...
अंधेरा हर किसी के जिंदगी का एक हिस्सा है!
हर कामयाब इंसान की कहानी का ये एक अहम किस्सा है!!
पर अक्सर लोग इन अंधेरो से डरा करते हैं!
कयोंकि ये हमारे सामने चुनौतियों के पहाड़ खड़ा हैं!!
मंजिल को पाने की लगन कम होने लगती है!
उजालो के तरफ बढने की कोशिश भी थमने लगते हैं!!
जिंदगी का अंधेरा एक दलदल की तरह है!
जितना अस्थिर रहोगे उसमें डुबते जाओगे!!
अगर सम्भाल लिया खुद को तो स्थिर !
रहकर इसका उपाय खुद ढुँढ लाओगे!!
हमें जिंदगी का ये पहलु पसंद ना आये!
पर अंधेरे कभी बुरे नहीं होते हैं कयोंकि याद रखना उसके बिना जिंदगी के रंग भी पुरे नहीं होते!!
तो अगर तुम्हे लगता है कि तुम पर अंधेरो की परछाहि है!
तो इतना समझ लो अंधेरा घना है, मतलब सुबह नजदीक अभी है!!
कभी कभी हम जो चाहते हैं वो हमें मिलता नहीं!
पर कमल भी तो कभी साफ पानी में नहीं खिलता है!!
वक्त कितना भी बुरा क्यों न हो चल रहा हो !
खवाब तो खुबसूरत देख हि सकते हो!!
और उन ख्वाब को पुरे करने के लिए!
अपनी साहस लगन को समेट हि सकते हो!!
तो ये अंधेरा पार करके, को ही लोग मंजिल तक पहुँचते हैं!
जो अपने कदमों की काबिलियत पर भरोसा करते हैं!!
तो बीच रास्ते में लौटने का कोई फायदा नही है!
कयोंकि वापस आने कि दुरि में आप अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं!!