आन लाईन बैठक, योगी सरकार का अहम फैसला

यूपी में गोहत्‍या पर दस वर्ष की सजा, पांच लाख का जुर्माना

गोकसी तस्‍करी से जुड़े तस्‍करों की फोटो होगी सार्वजनिक

गोतस्‍करी पर लेगगी रोक, बंगाल में भी होगा इसका असर

गोवंशों के भरण-पोषण का एक वर्ष तक का खर्च भी देंगे अभियुक्त

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी/लखनउ : उत्‍तर प्रदेश सरकार ने गोवध निवारण अधियनियम में अहम बदलाव करते हुए उत्‍तर प्रदेश में 1995 में बदलाव करते हुए सात वर्ष की सजा व पांच लाख जुर्माने के प्रस्‍ताव का पास कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की ऑनलाइन बैठक हुई, इस बैठक में विभिन्न विभागों को चौदह प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। वहीं तत्‍काल प्रभाव से उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को भी स्वीकृति दे दी गई। बैठक में योगी ने कहा कि इस अध्यादेश का उद्देश्य उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण अधिनियम, 1955 को और अधिक शक्तिशाली, संगठित व प्रभावी बनाना है। गोवंशीय पशुओं की रक्षा और गोकशी की घटनाओं से संबंधित अपराधों को पूरी तरह रोकना है। उत्तर प्रदेश में 1956 में लागू हुए गोवध निवारण अधिनियम में बदलाव कर सजा को और सख्त करने का फैसला योगी सरकार ने किया है। सरकार ने सात साल तक के सजा को आधार मानते हुए गोकश जमानत पर रिहा न हो सकें, और कारावास की सजा को बढ़ाकर अधिकतम दस वर्ष,  वहीं योगी सरकार ने जुर्माने की राशि को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक कर दिया गया है। यही नहीं, योगी सरकार ने यूपी में गोकशी और गोतस्करी से जुड़े अपराधियों के फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पा करने के फैसले पर मुहर लगा दी। मालूम हो कि इस अधिनियम के तहत गोकशी की घटनाओं में सात वर्ष की अधिकतम सजा का प्राविधान है। वहीं ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों की जमानत हो जाने के मामले अब बढ़ रहे हैं। जमानत के बाद उनके फिर ऐसी घटनाओं में संलिप्त होने के मामले भी प्रकाश में आ रहे हैं। इसे देखते हुए ही अधिनियम की विभिन्न धाराओं में संशोधन करते हुए अधिकतम सजा 10 वर्ष और जुर्माना अधिकतम पांच लाख रुपये किया जा रहा है। वहीं अब गो तस्करी में शामिल वाहनों के चालक, ऑपरेटर और स्वामी भी तब तक इस इसी अधिनियम के तहत आरोपी रहेंगे, जब तक यह साबित न हो जाए कि उनकी जानकारी के बिना के बिना उनके वाहन का इस्तेमाल गो तस्‍करी की घटना में किया गया है। वहीं कब्जे में ली गईं गायों और उसके गोवंशों के भरण-पोषण का एक वर्ष तक का खर्च भी अभियुक्त से ही लिए जाएगा। गोवध एवं गोवंशीय पशुओं के अनियमित परिवहन की शिकायतें मिलती रहीं। इन्हें रोकने को ही सरकार ने अधिनियम में एक और संशोधन का फैसला किया।