अंधेरे को दूर करेगी चोखेर आले

गांव, नगर व शहर में चलेगा आंखों की जांच का नि:शुल्‍क कार्यक्रम

प्रदेश में अब सभी के आंखों की रौशनी लौटाएगा ‘चोखेर आलो’ : डा. सुशांतो राय

न्‍यूज भारत, बालुरघाट : आंखों के सामने अँधेरा या आंखों से संबंधित किसी भी बिमारी का इलाज अब चोखेर आलो नामक इस सरकारी कार्यक्रम के माध्‍यम से घर-घर तक पहुंच रही है। सरकारी अस्पतालों की टीम हर छोटे बड़े बूढ़े महिलाएं बच्चे सभी के आंखों का चेकअप किया जा रहा है। वहीं जिसकी छोटी-छोटी समस्याएं हैं तत्‍काल दूर कर दी जा रही है। इसके साथ ही जिसे चश्मे की आश्‍यकता है उन्‍हें मुफ्त में दिए जा रहे हैं और जिनको ऑपरेशन की जरूरत है जिनकी आंखों में मोतियाबिंद है उनका ऑपरेशन कर उनके जीवन को अंधेरे में रोशनी लौटाई जा रही है। उक्‍त बातें उत्‍तर बंगाल के स्वास्थ्य अधिकारी सुशांतो राय एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पत्रकारों से वार्ता के दौरान कही। उन्‍होनें बताया कि अगले 5 सालों तक यह कार्यक्रम चलेगा, और इस माध्‍यम से  हम हर ग्राम पंचायत कैंप लगा रहे हैं। चोखेर आलो के तहत चल रहे इस अभियान में हर पुरुष महिला बच्चों की आंखों का चेकअप किया जाता है। वहीं उनके शुगर ब्लड प्रेशर और ब्लड की भी जांच होती है। उसके बाद दवाई से या फिर चश्मे से ठीक होने वाले को हम ठीक करते हैं। इसके बाद अगर किसी को मोतियाबिंद हो चुका है जिनके आंखों पर छानी आ गई है उनको हम अपनी स्वास्थ्य केंद्र की गाड़ी से अस्पताल ले जाकर ऑपरेशन करवा कर वापस घर भेजते हैं। उन्होंने बताया कि यह सब कुछ बिल्कुल फ्री है बिना पैसे के यह सरकारी अभियान है कि चोखेर आलो के तहत कोई भी अब आंखों की रोशनी से वंचित ना रहे। अब तक करीबन 9000 लोगों की आंखों का चेकअप किया जा चुका है। वहीं उन्होंने बताया कि शहर के और सभा के अंदर भी यह कैंप मार्च महीने से लगाया जाएगा अभी तक किया है ग्राम पंचायत के तहत हो रहा था मार्च महीने से शहरों के वार्डों में भी ए कैंप लगाया जाएगा। लकी बिलासपुर जिला स्वास्थ्य अधिकारी सुकुमार दे ने बताया कि हमारे जिले में चौकीदारों के तहत कार्यक्रम बहुत ही तेजी से लोगों तक पहुंच रहा है उनको लाभ मिल रहा है हम इस अभियान में कामयाब हो रहे हैं। शुरुआत बहुत अच्छी है अगले 5 सालों में हमें यकीन है कि पूरे जिले से  आंखों से संबंधित बीमारियां और आंखों की रोशनी से कोई भी पीड़ित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जिले में पंचायत स्तर पर ब्लॉक के तहत कैंप लगाए जा रहे हैं। जिनमें अस्पताल की तरफ से डॉक्टर नर्स से सब मौजूद रहते हैं वही चेक किया जाता है वही हाथों-हाथ उन्हें चश्मे दिए जाते हैं।