जब जागो तभी सबेरा

भाजपा के राष्‍ट्रीय महासचिव व बंगाल प्रभारी का एक बयान  राष्‍ट्रीय हिंदी दैनिक अख़बार में आया था कि ‘ तृणमूल नेताओं को भाजपा ने शामिल करना बंद कर दिया है। इसके अलावा उन्होंने बयान में कहा है कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की जांच किए बिना उन्हें धड़ल्ले से समूह में पार्टी में शामिल करने पर भाजपा के भीतर उपजे असंतोष के कारण भाजपा ने यह निर्णय लिया गया। इसके साथ ही अब स्थानीय नेतृत्व के साथ बातचीत करने के बाद और एनओसी के बाद ही चुनिंदा नेताओं को ही पार्टी में लिया जाएगा। श्री विजयवर्गीय ने अपने बयान में कहा है कि हम दागदार छवि वाले नेताओं को पार्टी में शामिल कर भाजपा को तृणमूल की बी-टीम नहीं बनाना चाहते। वही हम उन लोगों को अपनी पार्टी में शामिल नहीं करना चाहते जिन पर आरोप अनैतिक या अवैध गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप हैं। इसके साथ ही आगे से समूह में नेताओं को शामिल नहीं किया जाएगा। आगे से जांच करने के बाद केवल चुनिंदा लोगों को ही शामिल किया जाएगा।‘

‘ माल महराज का मिर्जा खेलें होली’ की कहावत से भाजपा को बचना होगा

कमल खिलाने के लिए रूठो को मनाना हाेगा, बयान को राजनीतिक मान रहे लोग

पवन शुक्ल, सि‍लीगुड़ी

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही राजनीति में बने रहने के लिए और अपनी जीत को निश्चित करने के लिए भागम-भाग मचा हुआ है। एक दल से दूसरे दल में शामिल होने की बंगाल की परंपरा पुरानी है। मिशन 2021 में दल बदल की परंपरा का निर्वहन तेजी से होने के कारण भाजपा के कार्यकर्ता की नाराजगी को नजर अंदाज करना भारी पड़ने की संभावना को देखते हुए भाजपा ने दल बदल की होड़ को रोकने के लिए यह फैसला लेना पड़ रहा है। हलांकि बाम मोर्चा 2011 सत्ता गवांने के बाद परिवर्तन के नाम पर तमाम नेताओं ने तृणमूल का दामन थाम कर सत्ता के गलियारे में बने रहने में सफल भी रहे। इन नेताओं में कई दलों के नेता शामिल थे। तृणमूल के एक दशक के कार्यकाल में सत्ता का सुख भोगने वाले नेताओं को जब लगा की बाजी अब भारतीय जनता पार्टी की ओर पलटने की संभावना को देखते हुए अब भाजपा में शामिल होने की होड़ मची है। वहीं दशकों से भाजपा का झंडा उठाने वाले कार्यकार्ताओं की अनदेखी के मामले सामने आने लगे। जिसको देखकर भाजपा ने तृणमूल के नेताओं को पार्टी में शामिल करने से पहले स्थानीय नेताओं कर रायशुमारी का मन बनाया है। तो मिशन बंगान 2021 के लिए जब जागो तभी सवेरा कहा जा सकता है।    

हलांकि बंगाल में दूसरे दलों के नेताओं को अपने दल में शामिल कराने का परंपरा को ही नेता बलशाली मानते है। इसी उद्देश्य  को लेकर चुनाव से पहले एक दल से दूसरे दल में शामिल होने के लिए बकायदा आयोजन किया जाता है।  मंच से बकायदा मिडिया कबरेज के साथ पार्टी में शामिल करने की होड चुनाव के पहले शुरु भी हो जाती है। जिसका खामियाजा पार्टी के ईमानदार और कर्मठ कार्यकताओं को भुगतना पड़ता है। इसी के कारण पार्टी में भीतरघात की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकाता है। जिसके कारण कई परिणाम किसी भी दल के लिए बहुत चौंकाने वाले आते हैं। कहीं बेहतर जीत तो कही हार के स्वाद को चखना पड़ता है।

हलांकि ‘एनई न्यूज भारत’ इस भगदौड़ को लेकर 5 जनवरी 2021 को अपने विशेष खबर ‘हौसलों की उड़ान, जमीनी सपने नदारत’ प्रमुखता से अपने वेव साईड पेज पर प्रकाशित किया था। हलांकि इसमें उत्तर बंगाल के सि‍लीगुड़ी के आसपास के क्षेत्रों के लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार किया था। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गी के ताजा बयान ने रराजनीति के गलियारे में हमेशा बने रहने वालों नेताओं के सपने में खलल डाल सकती है। क्योंकि मिशन बंगाल शुरू होते ही और भाजपा के बढ़ते कद को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस और बाम मोर्चा के लोग तेजी से भगवा रंग में रंगने लगे। नेताओं के पाला बदलने की होड़ को देखते हुए स्थानीय समर्पित भाजपा कार्यकार्तओं की मुश्किलों के बढ़ने आसार दिखने लगे। जि‍सको लेकर समर्पित कार्यकर्ताओं ने अपनी नाराजगी भी जाहिर करना शुरू कर दिया।

मालूम हो कि सि‍लीगुड़ी में भी भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को अनदेखी कर जिस तरह से दूसरे दल से भाजपा में शामिल हुए लोगों को तरजीह दी जा रही है। उससे भाजपा के साथ-साथ संघ के लोगों में भी नाराजगी है। यहां के लोगों का आरोप है कि हम दशकों से भजपा का झंडा थामकर पार्टी के जनाधार को आगे बढ़ने के लिए लाठी डांडा खाते रहे और जब समय आया तो मलाई खाने का अन्य दलों के लोगों को तरजीह दी जा रही है। इसलिए यह कहावत चरितार्थ हो चली कि ‘ माल महराज का मिर्जा खेलें होली’ । हलांकि विजयवर्गी ने एक अखबर में छपी खबर के बावत लोगों का कहना है कि जब जागे तभी सवेरा..? अगर अब भी पार्टी के अलाकमन इस पर गौर करेंगे तो निश्चित‍त ही बंगाल में कमल खिलेगा।

कमल खिलाने के लिए रूठो को होगा मनाना

दूसरे दलों के नेता को मिल रही तरजीह से दुखी भाजपा के पुराने व रूठे कार्यकार्ताओं को दल के बड़े नेताओं को पहल कर मनाना होगा और इसके साथ ही उन्‍हें सम्‍मान भी देना होगा। इसके साथ ही राष्‍ट्रीय दल की अहमियत को बरकारा रखने के लिए दूसरे दलों से भाजपा में आए लोगों को सबसे पहले भाजपा के संगठन का पाठ को पढ़ना होगा। वहीं बंगाल में कमल खिलाने के लिए बूथ स्तर पर कार्यवाही करनी होगी। तभी आसमान में उड़ने के सपने देखना तभी सार्थक होगा जब जमीनी सपनों को हकीकत में बदलने की कोशिश की जायेगी।

बयान राजनितिक आईवास, एनओसी को लेकर भी भ्रम  

हालांकि बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गी के बयान को लेकर कर्इ तरह के अटकलों का बाजार गर्म है। उदाहरण के तौर पर अन्य किसी दल के दागदार को अगर किसी जिले या मंडल से एनओसी लेना है। तो उसके लिए धन बल का भी प्रयोग कर सकता है? इस प्रकार वह पदाधिकारी कितना र्इमानदार हो सकता है यह समय की बात है ? यह सारे सवाल उठ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यह बयान जनता के ‘आर्इवास’ करने के लिए दिया गया है। जिससे आम लोगों की नजर में यह साबित हो कि भाजपा एक संगठनात्मक पार्टी है इसके साथ ही पार्टी में अभी अनुशासन बरकरार है।

‘हौसलों की उड़ान, जमीनी सपने नदारत’ का लिंक-https://nenewsbharat.com/news-details/940/A-flight-of-spirits-missing-the-ground-dreams