मिशन बंगाल 2021
सिलीगुड़ी में मेरा बूथ सबसे मजबूत की निकल रही हवा, वार्डो की हालत पतली
पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी का खामियाजा, भुगत सकती है भाजपा
सुर्खियों में सीमित है बूथ मैंनेजमेंट योजना, धरातल सब कुछ टांय-टांय फीस्स
सदस्यता का प्रमाण नहीं मिलने से नाराजगी, पदाधिकरियों पर गंभीर आरोप
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
मिशन बंगाल 2021 के सपनों को साकार करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी पूरी ताकत बंगाल में लगा रही है। भाजपा का कहना है कि अबकी बार आंकड़ा दो सौ के पार? लेकिन सिलीगुड़ी करीब 495 बूथों की चर्चा करें तो सब हवा हवाई दिख रहा है। हलांकि खबरों की सुर्खियां और केन्द्रीय बड़े नेताओं के दौरे से दूसरी पार्टी से भाजपा में शामिल हुए कार्यकर्ताओं के हौसले तो बुलंद है। पर अगर वास्तव में जमीनी हकीकत देखी जाय तो पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी मिशन 2021भाजपा पर भारी पड़ सकती है।
मेरा बूथ सबसे मजबूत की निकल रही हवा
भाजपा अपने मिशन को लेकर आंकड़ा दो सौ के पार के लिए ‘मेरा बुथ सबसे मजबूत’ को लेकर बुथ मैनेजमेंट में जुटी है। परंतु जमीनी हकीकत यह है कि सिलीगुड़ी के करीब 495 बुथों में करीब 80 प्रतिशत बुथों पर फंड नहीं मिलने के कारण हवा में हैं। कुछ कार्यकर्ताओं का आरोप है कि बुथ मैनेजमेंट के लिए फंड नहीं मिल रहा है तो हम कहां से बुथ को बेहतर करें? यह तो एक बानगी है। अब सिलीगुड़ी के 42 वार्डो की चर्चा यह है कि करीब 50 प्रतिशत से अधिक वार्डो में कार्यकर्ता सिर्फ नगर निगम चुनाव के टिकट के लिए काम कर रहे हैं। जबकि उत्तर बंगाल के 65 प्रतिशत से अधिक बुथ कमेटी में वह लोग है जो किसी ना किसी दूसरे दल से आए हैं और वार्डो में उनका खुद का जनाधार भी खबरों की सुर्खियों तक सीमित है, सिर्फ टिकट के लिए भगवाधारी बने बने है। अगर आज नगर निगम के चुनाव हो तो भाजपा को इसमें मुंह की खाने की पड़ेगी।
पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी का खामियाजा, भुगत सकती है भाजपा
बंगाल में करीब दो दशक पहले जो आरएसएस से जुड़ कर भगवा के रंग को लाल सलाम के बीच भगवा को फहराया है। आज वहीं उपेक्षित है कारण की दूसरे दलों से भाजपा में शामिल हुए लोगों को जो इज्जत मिल रही है और समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का खामियाजा भुगतना तय है। वहीं जिला कमेटी की हालत भी आज के दौर में जमीनी हकीकत यह है कि सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव जितने की ताकत नहीं है। पुराने कार्यकताओं को आरोप यह है कि वार्ड में उन्हें ही तरजीह दी जा रही है जो किसी अन्य दल भाजपा में आए है इसके साथ ही उनका राजनीतिक कैरियर भी सवालों के घेरे में है। ऐसे में मिशन 200 के पार कैसे होगा ? वहीं सबसे बड़ा कारण वार्ड और बुथों में समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी और फंड की कमी।
सदस्यता का प्रमाण नहीं मिलने से नाराजगी
विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल करने वाली भाजपा के सक्रिय सदस्यता 200 भी सवालों के घेरे में है। सिलीगुड़ी, माटीगाड़़ा, बागडोगरा, नक्शनबाडी समेत अन्य क्षेत्रों चले सक्रिय सदस्यता अभियान जो 200 में दिया जाता है। काफी दिन बीत जाने के बाद भी उन्हे सदस्यता प्रमाण पत्र नहीं मिला। जब भी वह समर्पित कार्यकर्ता जिला कमेटी से पूछते हैं तो राज्य की तरफ और राज्य केन्द्रीय स्तर से नहीं मिलने की बात करता है। वहीं कई सदस्यों ने जिला के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप भी लगा रहे हैं। ऐसे में क्या मिशन बंगाल 2021 में आकंडा 200 के पार हो सकता है ? इसलिए अभी समय है बड़े नेताओं को पहल करने की ? अन्यथा‘तब पछताए होत क्या जब चिडि़या चुग गई खेत’।