कोमा में अस्‍पताल, वेंटिलेटर पर सरकार : राजू बिष्‍ट

एनबीएमसीएच में कूडें का अंबार, जनता को बेहतर इलाज देने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग लाचार

न्‍यूज भारत, सि‍लीगुड़ी : सूबे में तृणमूल सरकार की स्‍थि‍ति इतनी बदतर हो गई है, कि वह चुनाव से पहले ही वेंटिलेटर पर पहुंच चुकी है। जिसके कारण उत्‍तर बंगाल के प्रमुख चिकित्‍सा संस्‍थान उत्‍तर बंगाल मेडिकल कालेज अस्‍पताल (एनबीएमसीएच) समेत अधिकतर अस्‍पताल कोमा में चले गए है। इस कारण पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पिछले 10 वर्षों से वेंटिलेटर में है । उक्‍त बातें जारी प्रेस विज्ञप्‍ति के माध्‍यम से दार्जिलिंग के सांसद सह भाजपा के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राजू बिष्‍ट ने कही। उन्‍होंने कहा कि इस वेंटिलेटर की सरकार के शासन में डॉक्टर, नर्स, हेल्थकेयर स्टाफ, फार्मासिस्ट, एम्बुलेंस ड्राइवर और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से संबंधित लोगों को  बेहतर जानकारी है। वहीं पश्चिम बंगाल की जनता स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है और यदि सरकार और अस्‍पतालों को बेहतर इलाज नहीं दिया गया तो जल्द ही पूरी स्‍वास्‍थ व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।

श्री  बिष्‍ट ने कहा क‍ि अस्पताल छोटे कर्मचारियों पर काम का अधिक बोझ है परिणामस्वरूप डॉक्टर, नर्स और अन्य सभी स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी अपनी जान को जोखिम में डालकर जनता के लिए काम कर रहे हैं। जिसके कारण उत्तर बंगाल में स्थिति में अनिश्चितता बरकरार है। हमारे पास उचित स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे के साथ शुरुआत करने के लिए कोई ठोस विकल्‍प  नहीं है। जिसके कारण स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ने पूरे क्षेत्र में लोगों को खतरे में डाल दिया है।वहीं स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अयोग्य कुप्रबंधन के कारणों का पता नहीं है जबक‍ि माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी के हमेशा बैठक साथ भी होता है। जबकि वास्‍तव में आज स्वास्थ्य देखभाल पर सरकारी खर्च भारत में प्रति व्‍यक्ति कम से कम औसतन प्रति व्यक्ति 1482 रु है। जबकि पश्चिम बंगाल में प्रति व्यक्ति केवल 988 रु खर्च होता है। पश्चिम बंगाल के आंकडों की चर्चा करते हुए कहा कि यहां 1000 रोगियों पर केवल 0.86 बिस्तर उपलब्ध हैं, जो भारत में सबसे कम है। वहीं टीएमसी सरकार राज्य भर में स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों की भर्ती करने में बिल्कुल विफल रही है, जिससे अस्पतालों में कर्मचारियों की भारी कमी है। वर्तमान में  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में, स्वीकृत पद 1326 हैं, जिनमें से 516 पद खाली हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में, नर्सों के लिए स्वीकृत पद 7062 हैं, जिनमें से 1251 पद खाली हैं। जबक‍ि उप-केंद्रों में पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्वीकृत पद 9171 हैं, जिनमें से 7139 पद रिक्त हैं। वहीं 574 के कुल स्वीकृत पदों में से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सर्जन, फिजिशियन, पीडियाट्रिशियन आदि जैसे विशेषज्ञों के पदों पर 503 रिक्त पद हैं। मैं डॉक्टरों, नर्सों, वार्ड बॉय, रेडियोलॉजिस्ट, फार्मासिस्ट, एम्बुलेंस ड्राइवरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के रिक्‍त पदों को भरने के लिए सिफारिश पर गंभीरता से विचार कर रहा हूं। वहीं टीएमसी की भ्रष्‍टाचार की विरासत को हम 2021 में बदलने की उम्मीद कर रहे हैं।