सिस्‍टम की नाकामी व डग्गामार वाहन ने बुझा दिया जया के घर का चिराग

घर में पिता हो गया काठ, मां जया दे व बहन दीपनिता दे दत्‍ता का रो-रो कर बुरा हाल  

जीवन की जंग हार गया विवेक, डग्गामार ट्रक से इस्‍कान रोड पर हुआ था हादसा

सड़कों पर दौड़ रही मौत की लारी पर कब कसेगा नकेल, हर बालू गिट्टी के ट्रकों है खामियां     

न्‍यूज भाारत, सिलीगुड़ी : रात के सन्‍नाटे में सड़कों पर गिट़्रटी, बालू और मिट्रटी लोड़ कर सिलीगुड़ी की सड़कों पर दौड़ती मौत की डग्गामार लारियों (ट्रक) से एकतीयासाल निवासी गौतम दे होनहार पुत्र की मौत के बाद काठ हो गए है। वहीं इस हादसे ने घर के एकमात्र चिराग के बुझ जाने से मां जया दे का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है। सिस्‍टम की नाकामी का शिकार हुए होनहार 29 वर्षीय विवेक दे की बीते शुक्रवार की रात पूर्वोत्‍तर के चिकननेक यानि सिलीगुड़ी के इस्‍कान रोड पर सड़क हादसा हुआ। इस हादसे में विवेक को सर, पैर और छाती में बुरी तरह चोट लगा था और उनका इलाज एक स्‍थानीय निजी अस्‍पताल में चल रहा था। गुरुवार की रात करीब 8 बजे के आसपास विवेक जीवन और मौत से लड़ते हुए जीवन की जंग को हार गया।

एक ही हेड लाइट पर सड़क पर दौड रही थी लारी

18-12 की रात शुक्रवार को बानेश्‍वरमोड एकतियासाल निवासी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उत्‍तर बंगाल मिडिया प्रभारी गौतम दे का 29 वर्षीय पुत्र विवेक दे प्रतिदिन की तरह अपने प्रधाननगर माग्रेट स्‍कूल के सामने फास्‍टफूड के रेस्‍टोरेंट कूलहॉट ( मिट्टी के बर्तन) से प्रतिदिन की तरह बंद कर वापस घर एकतियासाल जा रहा था। श्री दे जैसे ही सेवक रोड से मुड़कर इस्‍कान मंदिर रोड पर गए की सामने से रात के सन्‍नटे में मिट्रटी लदे ट्रक संख्‍या WB76-A8884 ने उन्‍हें सामने से ठोकर मार का बुरी तरह से जख्‍मी कर दिया। वहीं इस वाहन को परिवहन विभाग में 17 अगस्‍त 2010 को विप्‍लव कुंडु के नाम से पंजीकृत कराया गया है। हलांकि घटना वाले दिन ट्रक संख्‍या WB76-A8884 टाटा मोटर्स एलपीटी 1613 का फिटनेस 27 अगस्‍त 2020 को फेल होने के बावजूद सड़क पर दौड़ रही थी। वहीं सबसे अहम बात यह थी कि ट्रक में एक ही हेडलाइट पर चल रहा था, बावजूद इसके किसी भी परिवहन या पुलिस की नजर नहीं पड़ी। इससे तो साफ पता चलता है सिस्‍टम की नाकामी के वजह से इस प्रकार की सैकड़ों गाडि़यां सिलीगुड़ी की सड़कों पर दौड़ रही है। बताते चलें कि गिट्टी, बालू, बजरी को ले जाने और लाने का काम करने वाली अधिकतर गाडि़यों की दशा काफी दयनीय है। किसी का फिटनेस फेल है तो किसी का इंसोरेंस फेल है ऐसे में पुलिस या परिवहन विभाग की नजर इन वाहनों पर क्‍यों नहीं है, यह सवाल सभी की जुंबा पर है।  वहीं इस हादसे के बाद विडियो के फुटेज में संवेदनहीनता का ताजा उदाहरण देखने को मिला। इस्‍कान रोड पर दौड़ रही मौत बांट रही लारी ने एक होनहार युवक को ठोकर मार कर बुरी तरह से जख्‍मी कर दिया। हलांकि बाईक से अपने घर जा रहे युवक के पीछे एक चार पहिया वाहन भी था और समने से कई गाडि़यों का आवगमन भी था, परंतु अफसोस मौत की लारी ने जहां ठोकर मारकर फरार होने की कोशिश की शायद कड़के की इस ठंड़ में गुजर रहे लोगों ने भी उसे समय से अस्‍पताल पहुंचाने की जहमत नहीं उठाई। जिसके कारण हादसे के बाद काफी खून बह गया आज वह जीवन की जंग को हार गया विवेक।

कपड़े से लिपट को रो रही बहन

सिलीगुड़ी की सड़कों पर दौड़ती मौत की डग्गामार लारियों (ट्रक) ने आज एक बहन दीपनिता दे दत्‍ता से भाई के हाथ पर सजने वाली रंक्षाबंधन के सपने को चकनाचूर दिया। वहीं भाई की यादों को देखकर और उसके कपड़ों से लिपट कर दीपनिता का हाल भी बुरा है। घर में सांत्‍वना देने के लिए आने वालों को देखकर वह विवेक के कपड़ों से लिपट कर रोने लगती है और कहती है अब मैं किसकी कलाई पर राखी बाधूंगी। एक तरफ मां जया दे की आखों का सैलाब रूकने का नाम नहीं ले रहा है। इस घटना से विचलित पिता गौतम दे तो काठ बन गया है।

गमजदा है विवेक के दोस्‍त

प्रधाननगर माग्रेट स्‍कूल के सामने फास्‍टफूड के रेस्‍टोरेंट कूलहॉट (मिट्टी के बर्तन) चलाने वाले विवेक सभी बचपन के दोस्‍त एक तरफ जहां शुक्रवार की रात अस्‍पताल में दोस्‍त के जीवन की दुआ मांग रहे थे। वहीं दूसरी तरफ दोस्‍तों ने अस्‍पताल में शिफ्ट रहने लगे थे। लेकिन गुरूवार की रात को जब अस्‍पताल के अंदर से खबर आयी की नहीं तो पूरे अस्‍पताल में परिसर में मित्रों भीड़ जमा हो गई। गमजदा दोस्‍तों ने जहां विवेक जीवन की दआ मांग रहे थे, वहीं इस खबर ने सभी दोस्‍तों को झंकझोर कर रख दिया है। विवेक के शव की कानूनी कार्यवाही के बाद आज ही महांनदा पुल के पास राम घाट पर अंतिम क्रिया संपन्‍न होगी।

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