गोरखाओं के हमदर्द बनने का नाटक कर रही भाजपा : शांत क्षेत्री

भाजपा के मार्केटिंग एजेंटों से सावधान रहें पहाड़वासी : राज्यसभा सांसद

11 जनजातियों को मान्यता की पहल, भाजपा को फायदा पहुंचाने नौटंकी

ममता तानाशाह हैं गलत, सांसद बिष्ट बताएं गोरखाओं के लिए क्या किया?

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी : चुनाव की सुगबुगाहट होते ही दार्जिलिंग की जनता का हमदर्द बनने के नाटक का मंचन अब शुरू हो गया है। पहाड़ ने भाजपा को सांसद दिया पर भाजपा ने गोखाओं को सिर्फ छलने का काम किया है। अब चुनाव आ गया है, तो भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में दार्जिलिंग के भाजपाई सांसद राजू बिष्ट की मौजूदगी में दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के विभिन्न दलों के नेताओं ने बीते गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी संग बैठक कर गोरखाओं को फिर गुमराह करने का नाटक शुरू कर दिया है। उस बैठक में दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र की 11 जनजातियों को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा दिए जाने की मांग की याद दिलाते हुए केंद्र सरकार से जल्द ही मांग को पूरा करने का आश्वासन मिला है। लेकिन सच्‍चाई यह है कि जो भी पहाड़ के नेता इस बैठक में शामिल थे वह भाजपा की मार्केटिंग टीम है। उक्‍त बातें तृणमूल कांग्रेस नेत्री व दार्जिलिंग से राज्यसभा सांसद शांता छेत्री ने शुक्रवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट्स क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कही।  उन्होंने कहा कि जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव करीब है तो ये लोग पहाड़ व पहाड़वासियों के हमदर्द बनकर सामने आ रहे हैं, भाजपा के दस वर्षो  के शासन में इतने दिन कहां थे? लोगों ने इससे पहले इस बाबत कोई बात क्यों नहीं की जो अब कर रहे हैं? वास्तव में पहाड़ के ये वे लोग भाजपा के मार्केटिंग एजेंट बनकर विधान सभा चुनाव में फायदा पहुंचाने के लिए नौटंकी कर उनकी मार्केटिंग कर रहे हैं। इसलिए पहाड़ की जनता को भाजपा के इस मार्केटिंग एजेंटों से सावधान रहना होगा।

उन्होंने बताया कि 'पहाड़ की 11 जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की मान्यता दिलाने की दिशा में सरकारी स्तर पर सबसे पहले हमारी मां-माटी-मानुष की नेत्री ममता बनर्जी ने किया। आज से छह साल पहले 28 फरवरी 2014 को राज्य कैबिनेट की ओर से इस प्रस्ताव को पारित कर केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेज दिया था। 2016 में रिमाइंडर भी दिया था, परंतु मामला ठंडे बस्‍ते में डालकर भाजपा विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रही थी।   वहीं मैं 2017 में राज्यसभा सांसद बनी तब भी मैंने इस मामले को संसद में उठाया था, लेकिन  केंद्र की भाजपा सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा। उन्‍होने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने ही दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र की 11 जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की मान्यता दिए जाने के मामले को सालों साल से लटका रखा है। अब चुनाव करीब है तो वे पहाड़वासियों का हितैषी बनने का दिखावा कर रहे हैं।

दिल्‍ली बैठक में भाग लेने गए पहाड़ के नेताओं की चर्चा करते हुए श्री शांता ने कहा कि अभी दिल्ली गए पहाड़ के नेता पहाड़ के लोगों को गुमराह कर रहे हैं। क्‍या दिल्ली गए थे वह नहीं जानते कि केंद्र की भाजपा सरकार ने ही दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र की जनजातियों को मान्यता दिए जाने के मामले को लटका रखा है। वह लोग भाजपा को खुश करने और उससे रुपये ऐंठने के लिए ही दिल्ली गए हैं। सांसद श्री छेत्री ने सवाल उठाते हुए कहा कि 'हमारे राज्य में 18 भाजपाई सांसद हैं, उन लोगों ने क्यों कभी एक बार भी ऐसा मुद्दा उठाया? उनके पास काम तो कुछ है नहीं बस, भाजपा आलाकमान का तोता बने बैठे हैं, जो बोलना है बस उसी को रट-रट कर टर्र-टर्र करते रहते हैं। हमारी मुख्‍यमंत्री को वे लोग तानाशाह कहते हैं लेकिन यह सरासर गलत है, तानाशाह तो भाजपा वाले हैं।

उन्‍होंने कहा कि दार्जिलिंग ने भाजपा को लगातार तीन बार सांसद दिया लेकिन भाजपा ने दार्जिलिंग को क्या दिया?  ‘गोरखा का सपना मेरा सपना’ कहने वाले भाजपा के नेता बताएं कि उन्होंने पहाड़ के लिए लोगों के लिए क्या किया? अब तो भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनकर भाषण करने वाले दार्जिलिंग सांसद राजू बिष्ट बताएं उन्होंने दार्जिलिंग के गोरखाओं के लिए क्या किया?  उन्‍होंने बताया कि आज जो भी तृणमूल या अन्य दल से भाजपा में गया है, या जा रहा है, क्या उनको वहां सम्मान मिलेगा ?  इसलिए जो लोग अपनी पार्टी छोड़ कर भाजपा में जा रहे हैं उन्हें समझना चाहिए कि उन्हें भाजपा में प्यार नहीं मिलने वाला है। क्योंकि, भाजपा भी समझती है कि जो विभीषण अपनी पार्टी का नहीं हो पाया वह उनका क्या हो पाएगा।