55 वर्ष का सपना साकार, अब रेल पकड़ेगी रफ्तार

प्रधानमंत्री मोदी-बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने की हल्दीबाड़ी–बांग्लादेश रेल लिंक की शुरूआत

पूर्वोत्‍तर भारत समेत असम, सिलीगुड़ी, तराई, डुवार्स, दार्जिलिंग व गंगटोक के लोगों को होगा फायदा

द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के अवसर पर संयुक्त रूप से हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल लिंक का शुभारंभ

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी 

हल्दीबाड़ी – चिल्हाटी रेल संपर्क सेवा 1965 से बंद भारत-बंगालादेश रेल की लिंक सेवा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के हल्दीबाड़ी और बांग्लादेश के चिल्हाटी के बीच एक रेलवे लिंक का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। इस रेल लिंक के शुरू होने के बाद भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच बेहतर संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। वहीं 55 वर्ष के सपने को मुर्तरुप लेने से भारत-बंगलादेश के रेल की रफ्तार को बढ़ावा मिलेगा।  इस रेल लिंक सेवा के शुरू होने को लेकर इस ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा जा रहा है। उद्घाटन समारोह में बांग्लादेश के रेल मंत्री मोहम्मद नुरुल इस्लाम सुजान ने  मालगाड़ी को चिल्हाटी स्टेशन से हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया। धीरे-धीरे यह मालगाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से गुजरते हुए भारत में प्रवेश किया तो दोनों देशों में रहने वाले लोगों के लिए एक नए युग की शुरुआत हुई।

मालूम हो कि भारत और बंगलादेश के बीच रेलवे नेटवर्क ब्रिटिश युग से भारतीय रेलवे को विरासत में मिला था। वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्‍तान विभाजन के बाद भारत और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (1965 तक) जो अब बांग्लादेश है, के बीच 7 रेल संपर्क लाइनें मौजूद थीं। इस समय भारत और बांग्लादेश के बीच 4 परिचालन रेल संपर्क लाइनें हैं जिनमें पेट्रापोल (भारत) – बेनापोल (बांग्लादेश), गेदे (भारत)–दर्शन (बांग्लादेश), सिंघाबाद (भारत)-रोहनापुर (बांग्लादेश), राधिकापुर (भारत)–बिरोल (बांग्लादेश) है। इसके बाद अब हल्दीबाड़ी –चिल्हाटी रेल लिंक की शुरूआत भी रफ्तार को नया आयाम दे गया और यह दोनों देशों के बीच पांचवी रेल संपर्क सेवा बन गई है।  बताते चलें कि हल्दीबाड़ी–चिल्हाटी रेल संपर्क सेवा 1965 तक चालू थी। यह विभाजन के दौरान कोलकाता से सिलीगुड़ी तक ब्रॉड गेज मुख्य मार्ग का हिस्सा था। विभाजन के बाद भी असम और उत्तर बंगाल जाने वाली ट्रेनें तत्कालीन (पूर्वी पाकिस्तान) बंगलादेश के क्षेत्र से होकर गुजरती रहीं। जैसे कि  सियालदह से सिलीगुड़ी के लिए एक ट्रेन दर्शन से पूर्वी पाकिस्तान क्षेत्र में प्रवेश करती थी और हल्दीबाड़ी–चिल्हाटी से होते हुए भारत में प्रवेश करती थी। वहीं 1965 के युद्ध ने भारत और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के बीच सभी रेलवे संपर्क सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इसलिए भारत के पूर्वी सेक्टर में रेलवे का विभाजन 1965 में हुआ। अब इस रेल लिंक को फिर से खोलने के महत्व को समझा जा सकता है। मई 2015 में दिल्ली में आयोजित अंतर-सरकारी रेलवे बैठक में जारी संयुक्त घोषणा के अनुरुप रेलवे बोर्ड ने इस पूर्ववर्ती रेल लिंक को फिर से खोलने के लिए 2016-17 में हल्दीबाड़ी स्टेशन से चिल्हाटी बांग्लादेश तक 82.72 करोड़ रूपए की लागत से एक नई ब्राड गेज लाइन (लंबाई–3.50 किमी) के निर्माण के लिए मंजूरी दे दी। बांग्लादेश ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए हल्दीबाड़ी स्टेशन से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक पटरियों की मरम्मत और उन्हें नए सिरे से बहाल करना शुरु कर दिया। बांग्लादेश की तरफ चिल्हाटी–परबतीपुर–संथार– दर्शन मौजूदा लाइन पहले से ही ब्रॉड गेज है।

आज से शुरू की गई हल्दीबाड़ी -चिल्हाटी रेल मार्ग से असम, पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश में आवागमन के लिए फायदेमंद होगा। वहीं नई रेल संपर्क लाइन बहाल होने से क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने और क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्य बंदरगाहों, शुष्क बंदरगाहों और जमीनी भौगोलिक सीमाओं तक रेल नेटवर्क की पहुंच को बढ़ाएगी। इस रेल संपर्क सेवा से दोनों देशों के बीच यात्री और माल परिवहन सेवाएं सुगम हो जाएंगी। एक बार इस मार्ग में यात्री गाड़ियों की योजना बना ली जाएगी। इस नई संपर्क सेवा से बांग्लादेश से पर्यटक दार्जिलिंग, सिक्किम, डुआर्स के अलावा नेपाल, भूटान आदि जैसे देशों में आसानी से जा सकेंगे। इसके साथ ही दक्षिण एशियाई देशों की आर्थिक गतिविधियों को भी लाभ मिलेगा।

वहीं 55 साल बाद फिर से बांग्लादेश से ट्रेन भारतीय जमीन पर बंगलादेश के ट्रेन चालक साहिदूल इस्लाम बांग्लादेश से भारत ट्रेन लाकर काफी खुश नजर आ रहे थे। उन्होंने कहा कि अब दोनों देशों के बीच संबंध और भी मजबूत होंगे। गुरुवार को 1 बजकर 3 मिनट पर बांग्लादेश से भारत मालगाड़ी पहुंची। इसके बाद बीएसएफ और बीजीबी की तरफ से एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी गई। फिर 2 बजकर 5 मिनट पर ट्रेन हल्दीबाड़ी स्टेशन पर पहुंची। बांग्लादेश से एक रेल इंजन, 30 बोगी, दो गार्ड रूम भारत में प्रवेश किया। इस दिन मोहम्मद अफजल हुसैन (ग्रेड वन गार्ड), मोहम्मद सफिकूक इस्लाम (ग्रेड 2 गार्ड),सहिदूल इस्लाम, शाहजान अली बांग्लादेश से ट्रेन के साथ पहुंचे थे। यहां उनलोगों को माला पहनाकर स्वागत किया गया। इधर ट्रेन के घुसते ही लोगों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

वहीं भारत-बंगलादेश की सीमा की कमान संभाल रहे 65 बीएन बीएसएफ के सिलीगुड़ी राधाबाड़ी के कमांडेंट अनिल कुमार सिंह ने कहा कि आज का दिन काफी खुशी का दिन है, और मैं भारत-बांग्लादेश के बीच रेल परिसेवा शुरू होने का प्रत्यक्ष उदाहरण बन पाए हैं।  हम लोगों के ऊपर जिम्मेदारी है कि हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी लिंक गेट की सुरक्षा सटीक तरीके से कर पाएं।