बंगलादेश का उदय, भारतीय जवानों के शौर्य की गाथा

विजय दिवस पर याद किए गए  71 के योद्धा, त्रिशक्ति कोर ने मनाया विजय दिवस  

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी :  भारतीय जवानों की गाथा यू ही नहीं इतिहास दोहराता है। 1971 के भारत-पाकिस्‍तान के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सेना की ऐतिहासिक जीत के बाद नए राष्‍ट्र के उदय की कहानी है। हमारे वीर जवानों की याद में 16 दिसंबर 2020 को आर्मी त्रिशक्ति कोर ने अपने पारंपरिक सैन्य अलंकरण समारोह को धूमधाम के साथ मनाया गया था, जो बांग्लादेश के निर्माण का गवाह बना था।

इस अवसर पर बुधवार को लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, जीओसी त्रिशक्ति कोर सुकना  ने युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण कर वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्‍हे नमन किया। आर्मी त्रिशक्ति कोर से मिली जानकारी के अनुसार 1971 भारत-पाकिस्तन युद्ध के दौरान देश के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी। इसके साथ ही सशस्त्र सेना हर वर्ष इसे विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय जवनों का परचम के ऐतिहासिक सैन्य जीत के परिणाम रहा कि तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान का नियंत्रण समाप्त हो गया और एक नए राष्‍ट्र के रुप में बांग्लादेश के संप्रभु राष्‍ट्र के जन्म का हुआ। भारतीय सेना के लिए विजय दिवस एक ऐतिहासिक घटना है, और लोगों की आकांक्षाओं का एक चमकदार उदाहरण है जो सेना के निर्णायक सैन्य कार्रवाई से संभव हुआ। सेना के गौरव गाथा को 49 वर्ष पूरा होने के बाद इसे स्वर्ण जयंती वर्ष "स्वराज व्रत वर्ष" समारोह शुरू करने के लिए भी मनाया जा रहा है। सेना से मिली जानकारी के अनुसार भारत-पाक यह युद्ध दुनिया का एकमात्र ऐसा युद्ध था जिसमें 15 दिनों के युद्ध में एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। वहीं इस युद्ध में भारत की रणनीति के कारण लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

बताते चलें कि युद्ध  के दौरान जनरल मानिक शॉ ने जनरल जेएफआर जैकब को 16 दिसंबर को आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तत्काल ढाका पहुंचने का संदेश दिया। उस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ढाका पहुंचे। नियाजी ने रिवॉल्वर व बिल्ले लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा के हवाले कर दिए। दोनों ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए तथा 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया। हलाकिं दुखद बात यह रही कि इस युद्ध में करीब 3,900 भारतीय सैनिकों की शहादत से एक नए देश बांग्लादेश की नींव पड़ी।