भारत-बांग्लादेश ने हिली बॉडर्र पर मनाया पहली बार विजय उत्सव
न्यूज भारत, दक्षिण दिनाजपुर : भारत बांग्लादेश बॉर्डर हिली में 16 दिसंबर को भारत-बंग्लादेश के 1971 के युद्ध को विजय उत्सव मनाया गया। विजय उत्सव पहली बार दोनों देशों ने मिलकर इसमें दोनों देशों के अधिकारी उपस्थित थे। इस विजय उत्सव की मेजबानी भारत बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात 61 बटालियन किया। भारत की तरफ बीएसएफ के नार्थ बंगाल के आईजी एसके त्यागी, रायगंज सेक्टर के डीआईजी तिजेंदर पाल सिंह के अलावा बांग्लादेश की तरफ से ब्रिगेडियर जनरल मोहमद केसर हसन मलिक रंगपुर, कर्नल मोहम्मद जहीर उल खान व बालुरघाट के स्थानीय सांसद डा. डॉक्टर सुकांता मजूमदा समेत बीएसएफ के अधिकारी मौजूद थे।
समारोह को संबोधित करते हुए उत्तर बंगाल के आईजी एस के त्यागी ने कहा कि बीएसएफ सीमा पर हमेशा ही प्रहरी की तरह तैनात है और आज का दिन इतिहास में एक खास दिन है। वहीं इसे हम हर साल इसी तरह मनाने की परंपरा कायम रखेंगे। जिससे आने पीढि़यों का पता चले कि वर्ष 1971 में भारत के वीर जवानों ने क्या करतब दिखाया है। वैसे भी भारत-पाकिस्तान की इस लड़ाई में बहुत ही अल्प समय में एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। बंगलादेश के ब्रिगेडियर मोहमद केसर हुसैन मलिक ने कहां की एक तरफ हम आज बांग्लादेश में स्वाधीनता दिवस मना रहे है, वही आज उन शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हे याद कर हमारी रगों में हमारे खून में दौड़ रहा है उनके बलिदान से नतमस्तक जाता है। उन्होंने अपने बाल्यकाल की चर्चा करते हुए कहा कि इस लड़ाई के दौरान हमारी उम्र महज 2 साल थी। लेकिन इतिहास के पन्नों से याद और इतिहास मेल खाता है। वैसे आज के दिन मुझे इस तरह से विजय उत्सव में शिरकत तथा उस ऐतिहासिक दिन को याद कर बोलने का मौका मिला इसके लिए हम भारत के शुक्रगुजार हैं। बालूघाट लोकसभा के सांसद डॉक्टर सुकांता मजूमदार ने कहां की आज का दिन वाकई बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, और हमारे लिए गर्व की भी बात है। वहीं आज के इस कार्यक्रम के द्वारा सभी को पता चलेगा कि हमारा इतिहास कितना गौरवशाली है और बालूरघाट शहर यह हिली बॉर्डर दोनों देशों के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
मालूम हो कि 1971 का 16 दिसंबर एक ऐतिहासिक दिन आज के दिन बांग्लादेश में स्वाधीनता दिवस मनाया जाता है। जबकि भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में भारत की तरफ से इस बॉर्डर पर शहीद हुए 400 सैनिकों के उन शहिदों के नाम स्मारक स्थल पर अंकित किए गए हैं। हिली के बीच बने इस स्मारक स्थल पर प्रतिवर्ष 12 दिसंबर को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है और वीर जवानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। लेकिन भारतीय वीर सपूतों के बलिदान से प्राप्त की गई विजय को अब 16 दिसंबर 2020 से विजय उत्सव मनाने का निर्णय किया गया है। बीएसएफ के द्वारा यह सराहनीय कदम वाकई में एक प्रेरणादाई कदम है। दोनों देशों ने मिलकर आज से इस विजय उत्सव की शुरुआत की जिसमें साधारण लोगों ने भी हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम के दौरान 1971 में चले भारत-पाकिस्तान के युद्ध की सारी तस्वीरें डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। उत्सव के समापन के बाद बांग्लादेश के दोनों उच्च अधिकारियों को स्मारक चिन्ह देकर उनका स्वागत किया गया तथा बालूरघाट के सांसद डॉक्टर सुकांतो मजूमदार को भी स्मारक चिन्ह देकर उनका सम्मान किया गया।