केन्द्र की योजनाओं से जनता को दूर रखने की कवायद, तूफान के राहत राशि का भी हुआ बंदरबाट
पहले की तुलना में बंगाल की जीएसटी का हिस्सा हुआ दो गुना, फिर भी सरकारी खजाना खाली
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी : सरकार की दिशाहीनता के कारण राज्य में कोरोना संक्रमण बेकाबू हैं, वहीं अन्य पड़ोसी राज्यों की तुलना में मौत के आंकड़े अधिक हैं। सरकार के आकड़ों की बाजीगरी से राज्य में कोरोना संक्रमण रोकने की कोशिश नाकाम रही। ममता राज में कोरोना से मरने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा भी हो रहा है। वहीं राज्य का खजाना खाली होने की बात को लेकर आए दिन बंगाल की सरकार बताती है। जबकि जीएसटी के हिस्से की बात करें तों पहले की सरकारों की अपेक्षा आज जीएसटी का हिस्सा दो गुना हो गया है। केन्द्रे सरकार के आपदा प्रबंधन के मद में अम्फाान तूफान की एक हजार करोड़ की सहायता राशि में तृणमूल की सरकार से बंदर बाट किया। जिसके कारण आम लोग लोगों को सही तरीके से राहत नहीं मिली। उक्त बातें दार्जिलिंग के सांसद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ती में कही।
उन्होंने बताया कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दावे की हम चर्चा करें तो आंकड़े यही कहते हैं। पड़ोस तीन राज्यों की जनसंख्या अधिक होने के बावजूद मौत के आंकड़े बंगाल की तुलना में कम है। सराकर के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक कारोना से राज्य में 8000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि पश्चिम बंगाल में मृत्यु प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है। वहीं बिहार में मृत्यु प्रतिशत 0.53% , ओडिशा में 0.52% और असम में 0.46% है। जबकि पश्चिम बंगाल में मृत्यु दर 1.76% है, जो तीन पड़ोसी राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है। ये सरकार के सरकारी आंकड़े हैं, जबकि वास्तषविकता कुछ और ही हैं, ऐसे में कोरोना राज्या में नियंत्रण में है ? उन्होंसनें बताया कि बंगाल की तुलना में बहुत कम जनसंख्या होने के बावजूद, असम राज्य की जनसंख्या जो कि 3.5 करोड़ है, और अब तक 5089868कोरोना के परीक्षण किए हैं, और केवल 4.1% की पोजेटिव केस दर्ज की है। जबकि 9.9 करोड़ की आबादी वाले पश्चिम बंगाल में केवल 5301162 परीक्षण किए 8.3% लोगों में कोरोना के संक्रमण दर्ज किया गया है। आंकड़ों की बाजीगरी के बावजूद यह एक अक्षम सरकार का परिणाम है। इससे साफ जाहिर होता है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना की स्थिति निश्चित रूप से नियंत्रण में नहीं है, बल्कि यह नियंत्रण से बाहर हो गई है। श्री बिष्ट ने राज्य को राजस्व बंटवारे चर्चा करते हुए बताया कि, जीएसटी के लागू होने के बाद राज्य के राजस्व में हिस्सेदारी काफी बढ़ गई है। यूपीए के तहत राजस्व हिस्सेदारी की तुलना में पश्चिम बंगाल का राजस्व हिस्सा एनडीए के तहत दोगुना हो गया है। वहीं हाल ही में 5 अक्टूबर के रूप में, पश्चिम बंगाल को केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई क्षतिपूर्ति पहले भुगतान के रूप में 1000 करोड़ रुपये मिले। जबकि अधिक जीएसटी के तहत राजस्व बंटवारे के फार्मूले पर सहमति के अनुसार तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि तृणमूल सरकार ने केन्द्रं की सभी योजनाओं का बार-बार विरोध किया है। इसका प्रमुख कारण है यह पैसा सीधे गरीबों के खाते में जाता। क्योंकि केन्द्र सरकार के पैसे को बंदरबाट करना है ना कि वास्ताविक लोगों को लाभ पहुंचाना है। जबकि किसान सम्मान निधि का विरोधा किया है,जिससे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से लाखों किसानों को फायदा होगा। टीएमसी ने आयुष्मान भारत योजना के कार्यान्वयन का विरोध किया और पश्चिम बंगाल के गरीब लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा से वंचित किया।
उन्हों ने जनता से कहा कि पश्चिम बंगाल आर्थिक रूप से समृद्ध होने के लिए,हमें टीएमसी को उखाड़ने की जरूरत है। इस सराकर के पास न तो दृष्टि,ना योग्यता है, और न ही राज्य में दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय विवेक।