धार्मिक अधिकार से कर रही वंचित कर रही नगर निगम व तृणमूल सरकार : राजू बिष्ट
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी : आस्था के महापर्व पर छठ पूजा को लेकर सिलीगुड़ी नगर निगम व राज्य की तृणमूल सरकार ने सभी को निराश किया है। कोरोना संकट के दौरान भी पूरे देश में आस्था के इस पर्व को लेकर तैयारियां चल रही है। परंतु यहा के स्थाानीय प्रशासन व नगर निगम ने आस्था के इस महापर्व सरकारी दिशाहीनता के कारण अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। हलांकि सांसद ने सभी को पर्व की शुभकामनाओं के साथ नियमों के अनुरूप पालन करने की सलाह भी दी। उक्ता बातें जारी प्रेस विज्ञप्ति में दार्जिलिंग के सांसद सह भाजपा के राष्ट्री य प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कही।
उन्होंने कहा कि आस्था के इस महावर्प को लेकर राज्य सरकार व स्थानिय प्रशासन कोई खास पहल नहीं की और अंतिम क्षणों में लोगों को मायूस किया है। इस तरह की शिकायतें पूरे दार्जिलिंग के क्षेत्र से मिल रही है। जबकि छठ पूजा के अनुष्ठान विश्वास, परंपरा और मजबूत सांस्कृतिक धागे से जुड़ा है जो परिवार एक साथ मनाते हैं। हैं। वहीं छठ पूजा का आयोजन वार्षिक होता है और दार्जिलिंग में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है, परंतु सरकार व प्रशासन इसको बेहतर ढंग से व्यवस्था देने में विफल रहा।
उन्होंने बताया कि जहां पूजा की जाती है वहां प्रोटोकॉल का पालन किया जा सकता है। हालांकि, सिलीगुड़ी में, प्रशासन ने इसे अंतिम क्षण में अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यहां तक कि जब लोग स्वयं अपनी व्यवस्था करने के लिए तैयार हैं,तो टीएमसी सरकार और सिलीगुड़ी नगर निगम के अधिकारी उन्हें पूजा और धार्मिक अनुष्ठागन के अपने अधिकारों से वंचित कर रहे हैं। मैं स्थानीय प्रशासन और एसएमसी अधिकारियों से अपील करता हूं कि निर्धारित स्थानों पर पूजा के आयोजन के लिए पर्याप्त प्रावधान करें। मैं यह भी अनुरोध करता हूं कि भविष्य में भी अग्रिम व्यवस्था की जाए और जनता को पहले से सूचित किया जाए, ताकि कोई भ्रम और अंतिम क्षण में अफरा तफरी की स्थिति न हो। मैं संबंधित अधिकारियों से बात करने और इस मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रहा हूं, और मुझे उम्मीद है कि जल्द ही एक प्रस्ताव मिल सकता है।
वहीं श्री बिष्टद ने छठ पूजा मना रहे सभी भक्तों और लोगों से अनुरोध करते हुए कहा कि आप सभी से निवेदन करता हूं, कि माननीय कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा मनाए गए उत्सवों के दौरान कारोना के प्रोटोकॉल और सामाजिक भेद मानदंड का सख्ती से पालन करें। इन कठिन समयों में, हमें सतर्क रहना चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे उत्सव हमारे परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों के जीवन को खतरे में न डालें।