कोरोना संकट को भी नहीं लिया गया गंभीरता से, आज तक नहीं सकी पैनल की बैठक
10 वर्षो से सो रही ममता की सरकार, गरीबों के लिए मतता सिर्फ दिखावा
2021 में सत्ता से बेदखल करेगी जनता, सूबे में बहेगी विकास की गंगा
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी : ‘सोनार बंगला’ की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। कारण कि सूबे की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी के अपरिपक्व फैसले से जहां कोरोना का सही रोकथाम नहीं हो पा रहा है। वहीं सरकारी महकमों में ममता के सत्ता से बेदखल होने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। यहीं कारण है कि घातक बिमारी कोरोना को लेकर राज्य सरकार ने जहां कोरोना पर रणनीति व बचाव के लिए 10 सदस्सीय पैनल बनाया गया। हलांकि इस पैनल का प्रचार प्रसार तो खूब किया गया, परंतु अफसोस आज इस पैनल भी बैठक भी नहीं होती। इससे साफ जाहीर होता है कि दीदी अपने राज्य की जनता के जीवन से खिलवाड कर रही है। वहीं दूसरी ओर सत्ता जाते देख ममता को अब गरीब मजदूरों और भूमिहीनों की याद सताने लगी ? जिसको लेकर आज उनके बयान से गरीबो को जमीन का पट्टा दिया जाएगा। यह सब चुनावी दिखावा है अगर देना ही था तो दस वर्षो के शासन काल में उन गरीबों की याद क्यों नहीं आयी। उक्त बातें दार्जिलिंग के सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने एक पर एक जारी दो प्रेस विज्ञप्ती में कही।
उन्होने कोरोना संक्रमण की चर्चा करते हुए कहा है कि मैं हैरान हूं, लेकिन अप्रैल 2020 के बाद से बंगाल सरकार के द्वारा गठीत विशेषज्ञ पैनल के बारे में जानने के लिए दुखी भी हूं। यह एक उदाहरण है कि कैसे टीएमसी सरकार ने पश्चिम बंगाल के लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया है। माननीय सीएम ममता बनर्जी जी ने मार्च के अंत में 10-सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया था। जिसको लेकर व्यापक रूप से प्रचारित किया था। यह पैनल राज्य में कोविड स्थिति पर नजर रखेगा और जायजा लेगा और इसके साथ ही प्रतिक्रियाओं और रणनीतियों का विकास करेगा, जिससे इस बीमारी का मुकाबला किया जा सके। लेकिन अफसोस एक राष्ट्रीय दैनिकों में एक ने रिपोर्ट है कि अप्रैल से इस विशेषज्ञ पैनल की कोई बैठक नहीं हुई है। इसलिए सरकार के इस रवैये से साफ जाहिर होता है कि सरकार कोरोना की स्थिति को संभालने के प्रति पूरी तरह से उदासीन है। सरकार की अक्षमता के कारण पश्चिम बंगाल में कारोना से करीब 7000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्होंने बताया कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तेजी से बढ़ते मामलों के बावजूद भी तृणमूल सरकार फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं के लिए पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय प्रदान करने में विफल रही है। जिसके कारण, आज अस्पताल कोरोना के हॉटस्पॉट में बदल गए हैं और लोगों की जान जोखिम में डाल दी जा रही है। मेरा मानना है कि ममता नैतिक जिम्मेदारी के कारण और राज्य के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को अपने कर्तव्यों को निभाने में विफल होने के कारण अपने पद से इस्तीोफा दे देना चाहिए।