बहुत कठीन है डगर पनघाट की...

विमल के लिए कांटों से भरा है दार्जिलिंग का ताज, विरोध में निकली भव्य रैली

ममता से वार्ता के लिए विनय तमांग पहुंचे कोलकाता, पहाड में लग रहा जिंदाबाद के नारे

विमल अकेले तो स्वागत, ममता की पार्टी साथ आने से मर्माहत है विमल गुरुंग के सर्मथक  

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी

अपनी पहचान की लड़ाइ लड़ रहे गोरखा आज दो राहे पर खाड़े हैं। कभी अलग राज्य की मांग के लिए सीने पर गोली खाने वाले दार्जिलिंग के लोग अब अपने को ठगे महसूस करने लगे है। दार्जिलिंग हिल्स में अगल राज्य की मांग तो पुरानी है। जीएनएलएफ से नाता तोड़ कर विमल गुरुंग ने अलग राह चुन ली। इनके साथ प्रमुख रूप से रौशन गिरि, विनय तमांग जैसे लोगों ने गोरखालैंड की मांग को क्रांतिकारी रूप देकर शुरू किया। हलांकि इस आंदोलन में तमाम गोरखा को अपनी प्राणों की आहुति देनी पड़ी। पहाड़ पूरी तरह से महिनों तक ठप रहा, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इसी दौरान तृणामूल सरकार ने गोजमुमो नेता विमल गुरुंग पर अनगिनत मुकदमें दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाया तो वह भूमिगत हो गए। इसी दौरान विमल ने भाजपा से समझौता कर अंदरखाने भाजपा को सर्मथन देते रहे। लेकिन 2021 का चुनाव का बिगुल बजा तो विमल गुरुंग कोलकाता में प्रकट होकर तृणमूल का दामन थाम कर 2021 की तैयारी में जुट गए। सूत्र बताते हैं कि दीदी को अपने खेमे में विमल गुरुंग को शामिल करने की सलाह उनके सलाहकार पीके( प्रशांत किशोर) ने दी है। इसके बाद से ही पहाड़ की सर्द वादियों में राजनैतिक तूफान की आहट आने लगी। हलांकि कुछ सर्मथक विमल गुरुंग के स्वागत करने की तैयारी में पर अधिकतर पहाड़ के लोग उनके आने का विरोध भी कर रहे हैं। इधर ताजा घटनाक्रम में ममता बनर्जी ने विमल के जाने के बाद तृणामूल का दामन थाम कर तीन वर्षों से एकछत्र राज कर रहे विनय तमांग की कुर्सी पर खतरा मंडराता देख उनके सर्मथक विरोध की लौ जलाने लगे हैं। इसलिए आने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल व विमल गुरुंग के लिए “ बहुत कठीन है डगर पनघाट की”         

उधर, ममता बनर्जी ने विनय तमांग को पहाड़ के हालात व स्थितियों के आकलन के कोलकता बुलाया तो, विनय की कुर्सी खतरे में देख उनके सर्मथाकों ने मंगलवार को दार्जिलिंग में भव्य जुलूस निकालकर विमल गुरुंग मुर्दाबाद व विनय तमांग जिंदाबाद के नारे से गुंजने लगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि विमल का स्वागत पहाड़ में है पर दीदी के साथ रिस्ता मंजूर नहीं। क्योंकि अलग राज्य की मांग के लिए हम अपने अपनों को खोया है, उसकी जिम्मेदार तृणामूल सुप्रिमों ममता बनर्जी है। इसलिए विमल तो स्वीकार हैं पर ममता बनर्जी के साथ नहीं। इसलिए आने वाले चुनाव में भीतरघात की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।   

 मालूम हो कई वर्षों से तलाश कर रही बंगाल पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने की जहमत नहीं उठाई। लेकिन कोलकता में अचानक पहुंच कर विमल गुरुंग ने घोषणा की कि वे आगामी विधानसभा चुनाव तृणमूल के साथ मिलकर काम करेंगे और तृणमूल के साथ मिलकर भाजपा को हराएंगे। वहीं तीसरी बार ममता बनर्जी को सीएम बनाने की भी बात कही। गुरुंग के साथ रौशन गिरि के अलावे गोजमुमो के कई और नेता मौजूद थे। गुरुंग ने कहा कि भाजपा सरकार पहाड़ के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान तलाशने में नाकाम रही है। वहीं केंद्र सरकार 11 गोरखा समुदायों को अनुसूचित जनजाति के तौर पर चिन्हित करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है। श्री गुरुंग ने कहा कि हम 2009 से ही राजग का हिस्सा रहे हैं। लेकिन उसने अनुसूचित जनजाति की सूची में 11 गोरखा समुदायों को शामिल नहीं किया। हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, इसलिए आज हम राजग छोड़ रहे हैं। वर्ष 2021 के चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि जो भी दल हमारी मांगों को पूरा करेगी हम उनका साथ देंगे। गुरंग ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पहाड़ छोड़ने के बाद वह तीन साल नई दिल्ली में रहे और दो माह पहले झारखंड चले गए थे। उन्होंने कहा कि अगर आज मैं गिरफ्तार हो गया तो कोई दिक्कत नहीं। यही बात पहाड़ के दिलों में खाटक रही है। जिसका खामियाजा विमल गुरुंग की टीम व तृणामूल को उठाना पड़ सकता है।