साधना की शख्शियत-25

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी: सपनों को सच करने की कोशिश में कहीं न कहीं अपनों का होते है और उन सपनों को सच करने के लिए व्‍यक्ति में सर्मपण होना आवश्‍यक है। अगर सपनों को पूरा करने का लक्ष्‍य और सर्मपण की भावना से किया गया प्रयास भी व्‍यक्ति के सपनों को सफलता के पथ पर लेकर जाते हैं। जीवन में बाधाएं चाहे जो भी हो परंतु सफलता उसके लगन और मेहनत पर निर्भर करती है। काव्‍य की रचना करने के लिए बचपन से ही लगन होती है, ये बात अलग है किसी बाधाओं के कारण पूरा नहीं हो नहीं हो पाता है,परंतु शैक्षणिक योग्‍यता बढ़ने के साथ लेखन शक्ति का विकास होता है, और जो इस कठिन परिस्थिति को पार करके अपने सपने को पूरा करता है, उसमें उसकी ‘’साधना की शख्शियत’’ का ही योगदान होता है।  ‘’कविता, ग़ज़ल, कहानी पढ़ने का शौक बचपन से मेरे मन के कोने में कहीं न कहीं थी। पापा अक्‍सर कहा करते थे तुम समाचारों पत्रो में आने वाली सभी रचनाओं को बड़े ध्यान से पढ़ती हो। शायद पापा की वही बात मेरे मन को छू गयी। मन के सपने में इसी तरह की रचानाओं को लिखने का शौक बन गया। मेरा शौक मेरी हिंदी थी, स्नातक करने के बाद मेरे सपनें पूरे होते नजर आने लगी। इसके साथ ही हिंदी साहित्य के बेहतरीन रचनाओं को पढ़ने और लिखने की रूचि बढ़ी । कोरोना काल में लाकडाउन में सबकुछ बंद होने के बाद मेरे मन में क्‍या और पापा पर क्‍या बीत रहा है इस पर ही आधारित है " इन दिनों पापा " न केवल कहानी है बल्कि इस लॉक डाउन की स्थिति में उन तमाम मध्यवर्गीय पापा की छवि आप इसमें देख सकते हैं’’। काजल गुप्ता, सिलीगुड़ी,

इन दिनों पापा

कुछ चुप चुप से अपने ही कमरे में सोचे में पड़े

ख़ामोश, उदास रहते है, इन दिनों पापा।

बेशक कभी कभी मुस्कुराते है

लेकिन ना जाने उसमे कितने गम छिपाते है

इन दिनों पापा।

खुश नहीं हैं फिर भी हमारे संग

ख़ुश रहने की कोशिश करते है

इन दिनों पापा ।।

मैंने पूछा था मां से, मां ने कहा थोड़ा परेशान हैं

इन दिनों पापा ‘थोड़ा ’ मतलब कितना ?

क्या उन्हें दादा दादी की याद आ रही  है

या शायद बेटियों की सादी की फिक्र में  है

इन दिनों पापा नहीं , दुकान  बन्द पड़ा है तो क्या

किराया तो देना है सुना है कई महीनों का बकाया है।

या ,भाई के भविष्य को लेकर चिंता में  है

इन दिनों पापा या फिर शायद, नहीं नहीं लेकिन

हा शायद, कल की खर्च कैसे चले

इसे लेकर थोड़ा परेशान है, इन दिनों पापा

मां ने भी तो यही कहा था

थोड़ा परेशान है इन दिनों पापा।