बिहार 2020 बनाम बंगाल 2021
बंगाल में भी चढ़ा रहा चुनावी पारा, प्रमुख दलों के नेताओं के आने का सिलसिला शुरू
बिहार का चिकननेक से गहरा रिश्ता, कई दलों के लेनदेन का केन्द्र भी है सिलीगुड़ी
छपरा, दरभंगा, मधुबनी, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज समेत कई जिले के लोगों की सिलीगुड़ी में गहरी पैठ
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
मौसम के बदलते रूख, वादियों की गोंद में बसे पूर्वोत्तर का चिकननेक सिलीगुड़ी, में तापमान के लुढ़कते पारे ने मौसम को सर्द होने की आहट दे रही है। लेकिन बिहार में चुनावी पारा चढ़ने से ‘पहाड़ों के रानी’ का शहर सिलीगुड़ी, बिहार के चुनावी तपिश से अछूती नहीं रहा। हलांकि बंगाल में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यहां की फिंजा भी चुनाव के चढ़ते पारे की ओर बढ़ रहा है। वहीं बिहार के चुनावी हवा के झोंको से वादियों की सर्द हवा झोंके में गरमहट पैदा कर दी।
बिहार लोगों का व्यापारिक लेनदेन और स्थायी निवास
बंगाल के ट्रीपल टी (टी, टूरिज्म, ट्री) और पूर्वोत्तर के चिकननेक सिलीगुड़ी में सारन, चंपारन, मिथिलांचल, कोशी और पूर्णिया प्रमंडल के लोगों की तादात भी अच्छी खासी है। वहीं बिहार के कई राजनितिक दलों के रसूखदार लोगों ने सिलीगुड़ी फ्लैट लेकर अपना अस्थायी निवास भी बना रहते हैं और वह यहीं से अपने व्यापार और राजनीति करते हैं। वहीं बिहार के ईंट उद्योग का कारोबार भी तेजी से सिलीगुड़ी में फलफुल रहा है, जो उत्तर बंगाल के साथ सिक्क्मि तक होता है। सूत्रों का मानें तो बिहार के कई प्रमंडलों में सिलीगुड़ी की अहम भूमिका है। हलांकि बिहार में शराबबंदी के बाद शराब तस्करों की चांदी हो गई। क्योंकि आज भी बिहार में शराब भारी मात्रा में शराब की तस्कारी सिलीगुड़ी के रास्ते से हो रही है। जैसा कि भूटान से आने शराब को पहले डुवार्स और वहां से बिहार भेजने का कारोबार फलफुल रहा है।
पैसा के आपूर्ति केन्द्र भी सिलीगुड़ी
बिहार के लोगों की तादत अधिक होने के कारण यहां के व्यापार पर भी पकड़ है। चुनाव में प्रयोग होने वाले अवैध पैसे को पार्टी नेताओं को तो करना ही होता है। क्योंकि चुनाव जीतने के लिए बिहार में धनबल का प्रयोग होना लाजमी है। इसलिए खासकर सारण, मिथिलांचल, पूर्णिया व किशनगंज के क्षेत्रों के पैसे का अरेजंमेंट सिलीगुडी से होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। जो सेटिंग-गेटिंग के माध्यम से बिहार पहुंचाये जाने के नए-नए तरीका का इजाद भी किया जा सकता है।
बहाना बंगाल का निशाना बिहार पर
बिहार में चुनावी महापर्व का समर शुरू हो चुका है, और बंगाल में होने की तैयारी में है। वहीं बिहार के छपरा, दरभंगा, मधुबनी, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज के लोगों की सिलीगुड़ी में अधिक होने के कारण चुनावी की हवा बनाने के लिए खासकर सिलीगुड़ी में भी राजनैतिक गतिविधियां तेज हो गई है। इसको ध्यान में रखते हुए विभिन्न राष्ट्रीय दलों ने सिलीगुड़ी में अपनी गतिविधियां तेज कर दी है। क्योंकि यहां के वोटर जब मतदान करने बिहार जाएंगे तो कुछ असर यहां के राजनिती का पड़ना लाजमी है। इसलिए खासकर राष्ट्रीय दलों ने सिलीगुड़ी को बेस बनाकर एक तीर से दो निशाने लगाने की जुगात में यहां की हलचलें तेज कर दी है।
बिहार चुनाव पर असर डालेगा जेपी नड्डा का सिलीगुडी का दौरा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 19 को एक दिवयसीय दौरे पर सिलीगुड़ी आ रहे है। हलांकि उनका कार्यक्रम पश्चिम बंगाल में ‘बंगाल चुनाव 2021’ का बिगुल फूंकना है। लेकिन बहाना बंगाल पर निशाना बिहार है और एक तीर से दो निशाना साधने की जुगात में भारतीय जनता पार्टी लगी हुई है। सूत्रों की माने मिडिया कवरेज जो सिलीगुड़ी में होती उसकी पहुंच बिहार के करीब-करीब सभी प्रमंडलों में है। इसलिए भाजपा के अध्यक्ष का दौरा दोनों तरह से देखा जा रहा है। वहीं दर्जिलिंग के सांसद सह नवनियुक्त भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट भी ‘बंगाल चुनाव 2021’ की तैयारियों में जुट तो गए हैं। लेकिन उनका और व अलिपुरद्वार के सांसद जॉन बारला बिहार से सटे क्षेत्रों के चाय बगानों का दौरा भी बिहार चुनाव को जोड़कर देखा जा रहा है। इसलिए वास्तव में देखा जाय तो भाजपा एक तीर से दो निशाने लगाने की जुगात में पूरी तरह से जुट गई है।