चाय की प्‍याली में सियासत का तूफान

उत्‍तर बंगाल के चाय बागनों में दर्जिलिंग सांसद का तूफानी दौरा

अगले विधानसभा चुनाव विकास विरोधी सरकार के जाने की तैयारी : राजू बिष्‍ट

गुंडा टैक्‍स वसूलने वालों की फोटो देखकर 2021 के बाद होगी कार्यवाई

73 साल बाद देश में श्रमिकों के जीवन में "सुधारने के लिए सरकार का ऐतिहासिक कदम

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी : पहले चाय पर चर्चा, अब चाय पर सियासत ने उत्‍तर बंगाल में भारतीय जनता पार्टी में एक नया जोश भर दिया है। दार्जिलिंग सांसद राजू बिष्‍ट ने अपने क्षेत्र के चाय बगानों का तूफानी दौरा शुरू कर दिया है। वहीं बागनों के श्रमिकों की समस्याओं से रूबरू होकर एक बार फिर उत्‍तर बंगाल चाय बगानों को लेकर सियासत गर्म हो गई। हलांकि उन्‍हें कई जगहों पर तृणमूल के कार्यकर्ताओं द्वारा काले झंडे दिखाने की खबर भी है। परंतु चाय पर सियासत को लेकर एक बार फिर उत्‍तर बंगाल में चुनाव2021 को हवा दे दी।

अपने चाय बगान के दौरे बावत भाजपा के दार्जिलिंग सांसद सह राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा चाय बगान के मजदूरों को अब तक छला ही गया है। और उनके खून-पसीने से बनी चाय को पीकर लोग तरो ताजा तो होते पर अब तक बेहतर करने के लिए किसी भी सरकारों ने नहीं सोचा। जिससे चाय बगान के मजदूर आज भी उपेक्षित हैं। उन्‍होने कहा कि 2021 तो दूर की बात है कुछ माह बाद ही चाय बगानों के मजदूरों के विकास का बदलाव देखने को मिलेगा।   उन्‍होंने बताया कि मैंने सिलीगुड़ी उप-मंडल के विभिन्न चाय बागानों का दौरा किया, जिनमें ओआरडी, तिरहना, बेलगाची, मेरापुर, मंझा, जबरा टी एस्टेट, ज़मींदार गुरी, एम तराई और आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। यात्रा के दौरान, मैंने चाय बागान के श्रमिकों और स्थानीय लोगों से बातचीत की और उनके मुद्दों और समस्याओं को बारीकी से समझा। यह स्पष्ट था कि हमारे अधिकांश चाय बागानों में सुरक्षित पेयजल समस्या और सड़क संपर्क जैसी बुनियादी बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। कई लोगों ने शिकायत की कि चाय बागानों के अधिकांश घरों में पीडीएस के तहत आवंटित मासिक राशन का केवल 50% प्राप्त होता है। एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा जो लाया गया था, वह टी गार्डन के मालिकों द्वारा पीएफ में नियोक्ता के योगदान को जमा नहीं करने के बारे में था। अधिकांश चाय बागानों में, आधार कार्ड और पीएफ रिकॉर्ड में डेटा बेमेल का प्रमुख मुद्दा भी है, जिससे उनकी सही पीएफ राशि को वापस लेने में समस्याएं पैदा हुई हैं। कई श्रमिकों ने बताया कि पीढ़ी दर पीढ़ी चाय बागानों में रहने के बावजूद, अभी भी हम लोगों के पास उस भूमि का स्वामित्व नहीं है। जिस पर वे रहते हैं परजा-पट्टा के अभाव में लोग सामाजिक सुरक्षा से वंचित हैं। और अपनी आजीविका के लिए चाय बागान मालिकों की दया पर हैं। हालांकि, सभी समस्याओं के बावजूद, अधिकांश श्रमिक संसद में हाल ही में पारित श्रम सुधार बिलों के बारे में जानते थे और चाय बागानों के क्षेत्रों में इसके कार्यान्वयन के लिए उत्सुकता से देख रहे थे। हमने सभी मजदूरों से केन्‍द्र सरकार के द्वारा दी जाने वाली  स्वास्थ्य सुविधाओं और सामाजिक सुरक्षा पर अपने चाय और सिनकोना के बागान श्रमिकों के जीवन पर सुधारों के प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि श्रमिक बिल एक बार लागू होने वाला कानून, मूल रूप से हमारे श्रमिकों के लिए मजदूरी, रहने की स्थिति और सरकारी लाभों को बदल देगा। बिल के कार्यान्वयन से यह सुनिश्चित होगा कि हमारे चाय बागान श्रमिकों को उनकी मजदूरी का 85% नकद में प्राप्त होगा। वर्तमान में, लगभग 50% चाय बागान की मजदूरी-तरह के भुगतान के रूप में काट ली जाती है। अब मजदूरी के अलावा श्रमिक ईएसआईसी योजना का लाभ भी ले पाएंगे। जिससे श्रमिकों को बेहतर बीमा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी। मैं अपनी सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी जी के प्रति आभारी हूं, जिन्होंने आजादी के 73 साल बाद देश भर में श्रमिकों के जीवन में "सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन" के लिए उठाए गए ऐतिहासिक कदमों के लिए धन्यवाद दिया।

वहीं सांसद राजू बिष्‍ट ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा की सरकार आने के बाद गुंडा टैक्‍स वसूलने वालों खैर नहीं होगी। गुंड टैक्‍स वालों की फोटो मेरे पास भी आ रही है और आप भी फोटो खींचकर रखें। 2021 के बाद जब बंगाल में भाजपा की सरकार होगी तो फोटो देखकर एक-एक खिलाफ कार्यवाही होगी।