भू-माफियों के इशारे पर दलाल के काले कारोबार पर भूमि विभाग ने कसी नकेल
सवाल, क्या दोषी कर्मचारियों व दलालों के खिलाफ होगी विभागिय कार्यवाही
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
उत्तर बंगाल में औद्योगिक विकास को गतिदेने के लिए भूमि विभाग ने एक खातीयान पर बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले की सुनवाई करते हुए अधिकारी ने भूमि विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहा है। वहीं इस फैसले के बाद भूमि विभाग के कुछ कर्मचारी, दलाल व भू-माफिया के गठजोड़ सामने आ रहा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि अधिकारी इस कार्यवाही के बाद क्या गलत तरीके से खतीयन बनाने वालों पर कार्यवाही होगी, या दलालों के खिलाफ क्या कदम उठाया जाएगा। जो गलत तरीके से जमीनों पर कब्जा के साथ वास्तविक जमीन धारक को परेशान करते हैं।
इस मामले की सुनवाई में हेयरिंग आफिसर (रेबन्यू आफिसर) निर्मलिया धर के समक्ष दिनांक 10-9-20 को दोनों पक्ष की सुनवाई के दौरान अधिकारी ने देखा कि इस एलआर प्लाट 337 में 0.33 एकड़ (33 डिसमील) जमीन प्लाट क्षेत्र से अधिक है। जो कि अंतिम में खातीयन संख्या 3755 जो कि देवीधर रॉय के नाम में रिर्काड है। वहीं जिस अधिकारी ने इस खातीयन में जो 33 डिसमील जमीन रिकार्ड किया है, वह जमीन अधिनियम कानून का पालन नहीं करते हुए गलत तरीके देवीधर रॉय के नाम दर्ज कर दिया। जबकि एक प्लाट में नियमानुसर 10,000 शेयर होता है और उससे अधिक रिकार्ड नहीं किया जा सकाता है। लेकिन नियमों की अनदेखी करते हुए उक्त प्लाट में अधिक जमीन को रिकार्ड किया गया जो गलत है। इसी आधार पर इस खातीयन से आखिरी में दर्ज खातीयन 3755 में दर्ज 33 डिसमील जमीन को कैंसिल कर कम्प्यूटर से डिलिट किय गया। इसी के आधार पर यह आदेश जारी किया गया कि खातीयान संख्या 3755 से देवीधर रॉय के नाम से दर्ज 33 डिसमील जमीन को डिलिट किया जाएगा और प्लाट का पूरा शेयर जो कि 10,000 शेयर एलआर प्लाट 337 को फिर से लागू किया जाएगा।” यह आदेश दिनांक 10-09-20 को सुनवाई के बाद जो केस संख्या एम सी/2020/0701/4175/21-09-20 से लागू किया गया। मालूम हो कि भू-माफिया व दलाल की वजह से जहां आम लोगों को परेशानी होती है। वहीं विभागिय कुछ लोगों की मिली भगत भी इस मामले में सामने आया है। जो हर हाल में पालन करना होता है। अगर नहीं हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन है, यह सवाल अब उठने लगा है कि क्या बीएलआरओ कार्यालय के जो लोग इसमें लिप्त हैं उनके खिलाफ भी कार्यवाही होगी। वहीं भू-माफिया व दलाल जो विभाग को अंधेरे में रखकर इस तरह के काम को कराते हैं उन पर प्रशासन क्या कार्यवाही करेगा।
बताते चलें कि डीपीएस फूलबाड़ी के सामने चतुरगाछ सिपाहीपाड़ा में संजय पाटोदिया की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर मानसिक प्रताड़ना का मामला पिछले चार वर्षों चल रहा था। इस मामले में खातीयन के एलआर प्लाट संख्या 337 में कुल जमीन 1.32 एकड़ (132 डिसमील) को रिकार्ड करते हुए लास्ट में 165 डिसमील कर दिया। जिसमें 33 डिसमील अधिक जमीन सबसे अंत में देवीधार रॉय के नाम से किया गया था। हलांकि मामले को संज्ञान में लेते हुए बीएलआरओ ने इस संदर्भ में मिस केस संख्या 1605/BLLRO/ RAJ/20-20 शुरू किया। दोनों पक्षों की उपस्थिति में 10-09-20 को सुनवाइ करते हुए बड़ी कार्रवाइ करते हुए कम्पूटर से 337 प्लाट से खातीयन नंबर 3755 में 33 डिसिमल देवीधार रॉय के नाम से रिकार्ड दिनांक 21-9-20 को डिलीट कर दिया। बाताते चलें कि इस मामले को न्यूज भारत ने दिनांक 5-9-20 को बडी प्रमुखाता से उठाया था। अब 33 डिसमील जमीन कहा से किसको को मिलेगी इस पर भी विराम लग गया। खबर का असर यह रहा कि कम्प यूटर से बीएलआरओ ने 337 नंबर की जमीन को हटाते हुए पीडि़त को न्याय देने के क्रम में अहम फैसला लिया है। सवाल यह है कि पुलिस प्रशासन किस तरह से अवैध कब्जा हटाने में क्या कार्रवाई करता है, यह भी सवाल है।