तृणमूल सरकार ने एमओए के रिमांडर पर नहीं दिया जवाबः राजू बिष्ट
रक्षा मंत्रालय ने दो बार भेजा रिमांइडर, अभी तक नहीं मिली अनुमित
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
सीमा पर जंग में गोरखाओ की भूमिका सबसे अहम होती है। युद्ध के कौशल में भारतीय जवानों की तरह दुनिया में बहुत कम सेनाएं है। वहीं गोरखाओ के रण कौशल की चर्चा आज भी दुनियां करती है। युद्ध चाहे समतल पर हो या पहाड़ी क्षेत्र में हो भारतीय सेना में गोरखाओ के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। भारत में पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग भी गोरखाओ की धरती है, यहां के गोरखाओ के रण कौशाल में अपनी पहचान बना चुके हैं। परंतु दार्जिलिंग हिल्स के गोरखा आज भी अपने समुचित विकास को तरस रहे हैं। राजनीतिक पराकाष्ठा के कारण आज भी उपेक्षित है। इसका जीता जागता उदाहरण है दार्जिलिंग में सैनिक स्कूल की स्थापना को लेकर है। हलांकि दार्जिलिंग के स्थानीय सांसद राजू बिष्ट ने जब रक्षा मंत्रालय से सैनिक स्कूल के प्रगति की संबंध में जानकारी मांगी तो रक्षा मंत्रालय ने जो जवाब दिया इससे पहाड़ के लोगों को दुखी होना लाजमी है।
इस बावत सांसद ने बताया कि दार्जिलिंग के गोरखाओ की सेना में एक अलग पहचान है। हमारे क्षेत्र के अधिकतर युवा सेना में रह कर अपने अपने प्राणों को न्योछावर देश की सेवा में लगे हैं। इसलिए दार्जिलिंग में एक सैनिक स्कूल होना स्वाभाविक है। वहीं दूसरी तरफ बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक केन्द्र सिलीगुड़ी का बाजार भी सेना, अर्ध सैनिकों के आधार पर ही चलाता है। इसलिए सैन्य गतिविधियों का होना लाजमी है। यह क्षेत्र से चार देशों की अंर्तराष्ट्रीय सीमाएं मिलती है, यही कारण है थल सेना, वायु सेना व अर्ध सैनिकों के मुख्यालय भी है, जिसमें बीएसएफ, एसएसबी, सीआरपीएफ व आर्इटीबीपी है। इस लिहाज से भी सैनिक स्कूल होना यहां का अधिकार भी है। हमने इस बावत रक्षा मंत्रालय से अनरोध भी किया था कि दार्जिलिंग में एक सैनिक स्कूल की स्थापना हो। रक्षा मंत्रालय ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए बंगाल की सरकार को दार्जिलिंग में सैनिक स्कूल खोलने पर सहमति बन गर्इ। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के मेरे अनुरोध के बाद, इस बावत रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर करने के लिए पहला पत्र मंत्रालय ने 11 जून, 2020 और दूसरा 4 अगस्त 2020 को दो रिमाइंडर भेजे हैं, परंतु अभी तक कोर्इ उत्तर नहीं मिला। इस बावत रक्षा मंत्री माननीय राजनाथ सिंह जी ने मुझे पत्र के माधयम से सूचित किया है। सांसद श्री बिष्ट ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि टीएमसी के इस व्यवहार से उत्तर बंगाल, विशेष रूप से दार्जिलिंग हिल्स, तराई और डूअर्स के प्रति उदासीनता और भेदभाव दर्शाता है। क्योंकि टीएमसी द्वारा बार-बार एमओए पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया गया है। वहीं सबसे बड़ी विडंबना यह है कि टीएमसी पार्टी के एक सांसद ने फरवरी में संसद में भी इस मुद्दे को उठाया था। लेकिन उन्होंने कोलकाता में अपनी पार्टी के नेताओं के साथ इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए विचार नहीं किया है।
सैनिक स्कूल से पहाड़ को होगा विकास
भारत के तीनों सेना में सैनिक स्कूल की महत्ता है। यहीं से कैडेट तीनों सेना के लिए चुने जाते है। वहीं दार्जिलिंग में शिक्षा के बेहतर अवसर उपलध है। यहां पर बंगाल के साथ बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा नेपाल, भूटान व बंग्लादेश के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। यहां सैनिक स्कूल की स्थापना एक तरफ जहां क्षेत्र के विकास में सहायक होगा। वहीं दूसरी यहां बाहर जाने वाले बच्चों को यही पर शिक्षा के अवसर प्रदान होगें इसके साथ भारतीय सेना के प्रति व देश के प्रति देशप्रेम की भावना जागृत होगी।
भारत में सैनिक स्कूल जिनको रक्षा मंत्रालय ने अनुमित दी
S.No. State Location Status
1. Uttar Pradesh Amethi Will commence w.e.f 01.04.2020
2. Odisha Sambalpur – Do-
3. Rajasthan Alwar MoA Signed
4. Uttarakhand Rudraprayag – Do-
5. Telangana Warangal – Do-
6. West Bengal Darjeeling In-principal Approval given
7. Assam Golaghat – Do-
8. Jharkhand Godda – Do-
9. M P Bhind – Do-
10. Assam Kokrajhar – Do-
11. M P Sagar Site Survey completed
12. Punjab Gurdaspur – Do-
13. Sikkim Boom – Do-
14. Tripura West Tripura – Do-
15. Haryana Matenhail – Do-
16. Uttar Pradesh Mirzapur – Do-
17. Uttar Pradesh Baghpat Formal proposal awaited