साधना की शख्शियत-21

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी: भवनाएं और कल्‍पनाएं एक दूसरे की पूरक होती है, अगर भावनाएं कल्‍पनाओं के सागर में गोते लगा रही हो तो सफलताएं अवश्‍य मिलती है और जिम्‍मेदारियों का बोझ भी कल्‍पनाओं की कलम रोक नहीं सकती। विभिन्‍न जिम्‍मेदारियों को बखूबी के साथ निभाने के साथ-साथ काव्‍य की रचनाओं को बेहतर मुकाम हासिल होता है तो वहीं है ‘’ साधना की शख्शियत’’। इन्‍ही कल्‍पनाओं के माध्‍यम से विभिन्‍न पदों पर रहने के साथ-साथ काव्‍य की रचनाओं को कुछ बेहतर करने की कोशिश करना ही सफलता का मूलमंत्र है।  ‘’बचपन से लिखने के साथ-साथ नृत्य, गेम्स व मंच संचालन की रुचि रही है। लिखने की प्रेरणा मुझे  मिली, कभी-कभी मेरे इर्द-गिर्द कुछ घटनाएं ऐसी घटती हैं, जो मेरे अंतर्मन के मानस पटल पर छा जाती हैं। तब मेरी कलम सीधी सरल भाषा में लेखनी बन जाती हैं। पांचवी कक्षा में पढ़ती थी तब पहली बार  सच्ची घटना के आधार पर एक कहानी लिखी थी । शीर्षक था ‘’ठग और महाठग’’ वहीं से लिखने का सिलसिला अनवरत जारी रहा। वैवाहिक जीवन भी कभी-कभी लिख लेती थी पर वो मेरी डायरी के पन्‍नों तक सीमित रही। पति सुजीत बिहानी एवं बेटी एकता के प्रोत्साहित करने पर मैं अपनी रचना प्रकाशित करने हेतु भेजना शुरू किया।मेरी रचनाएं प्रकाशित होने लगी, अपने जीवन में सबसे सच्ची साथी अपनी कलम को मानती हूं।‘’महिला काव्य मंच  के अलावा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी हुई हूँ। ‘’भारती सुजीत बिहानी, सिलीगुड़ी।

कलम है मेरी सच्ची साथी...

रंग बदलती दुनिया पल-पल आजमाती! सिल जाते लब, जुबां कुछ कहना चाहती।

मन के जज्बातों को बयां न कर पाती। अंतर्मन के भाव को दर्शाती।

कलम है मेरी सच्ची साथी हर पल मेरा साथ निभाती।

हंसी के लम्हों को सजाती। ग़म के भावों को लिख जाती।

राज ह्रदय के खोल जाती। पिरो कर शब्दों को खूबसूरत माला बनाती।

कलम है मेरी सच्ची साथी हर पल मेरा साथ निभाती।

आशाओं को पुनः जगाती। दर्द की दवा बन जाती।

तपते रेगिस्तान में ठंडक पहुंचाती। अवसाद के बाद खुशी ले आती।

कलम है मेरी सच्ची साथी हर पल मेरा साथ निभाती।