अवैध निर्माण भी से सकरी हुई सिलीगुड़ी की महानंदा व बलासन नदी
न्यूज भारत, सिलीगुड़ी: वाराणसी व प्रयाग में माँ गंगा की जिस तरह से रक्षा के लिए प्रयास किया जा रहा है। उसी तरह उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी में बालासन और महानंदा दो नदियाँ महत्वपूर्ण है, और जो हमारी संस्कति व क्षेत्र के लोगों को एक धागे में पिरोती है। लेकनि प्रशासन व राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण, नदी के किनारे पर अतिक्रमण, और अवैध खनन, रेत माफिया के कारण हमारी इन दो नदियों का अस्तीत्व अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है।उक्त बातें दर्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने लोकसभा में इन नदीयों के रखरखाव के लिए उठाया। जारी प्रेस विज्ञप्ति में सांसद ने बताया कि ये नदियाँ सिर्फ पानी का संसाधन ही नहीं हैं, बल्कि इस क्षेत्र में सांस्कृतिक महत्व रखती हैं। वहीं महानंदा और बालासन नदियाँ दुदही और शिवखोला के पास पहाड़ियों की तलहटी से निकलती हैं, और सिलीगुड़ी शहर के बीच से होकर बहती हैं, जो कावाखली, फुलबाड़ी, फांसिदेवा, बिधान नगर, गलगलिया से बिहार में प्रवेश करती हैं और माँ गंगा के साथ मिल जाती हैं, जो लोगों के जीवन को जोड़ती हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार और सिलीगुड़ी नगर निगम पर आरोप लगाया कि इन नदियों की रक्षा और कायाकल्प करने के लिए ठोस कदम उठाने में विफल रहे हैं। इसलिए आज मैंने जल शक्ति मंत्रालय से बालासन और महानदी नदियों के लिए एक व्यापक नदी कायाकल्प और प्रबंधन योजना विकसित करने में मदद करने का अनुरोध किया है। श्री बिष्ट ने बताया कि ऐसा करने से हमारे पर्यावरण, हमारी सांस्कृतिक विरासत और हमारे क्षेत्र में पीने के पानी के महत्वपूर्ण स्रोतों की रक्षा करने में मदद मिलेगी। महानंदा और बालासन दोनों के नदी मोर्चों के विकास के साथ एक उचित प्रबंधन योजना पर काम किया जा सकता है, जो न केवल नदियों को आगे के अतिक्रमण से बचाने में मदद करेगा, बल्कि यह इस क्षेत्र में अतिरिक्त पर्यटकों को आकर्षित करने में भी मदद करेगा।