न्यूज भारत, सिलीगुड़ी: शौक और सपने एक हो, तो जीवन के राह में आने वाली बाधाएं भी उसे पूरा करने से रोक नहीं सकती। इंसान जब सपनों की दुनियां में खोता है, तो कुछ पल के लिए सपनें तो अधूरे होते हैं, परंतु लगन सच्चे दिल हो तो पूरे होने में समय तो लगता है,परंतु वे सपनें अधूरे नहीं रहते है। एक बात जरूर है कि जिंदगी कभी कभी इम्तहान भी लेती, परंतु लक्ष्य की प्राप्ति का संकल्प और दिल की टीस जब सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है, तो व्यक्ति पूरा जरूर करता है। ‘’ बिंदु अग्रवाल’’ के भी सपनें में बचपन से काव्य की रचनाओं का शौक था, परंतु समय और हालात कुछ साथ नहीं दिया, लेकिन मन में काव्य की रचनाओं का लक्ष्य दबी आवाज को काफी अरसे बाद अपनी ‘’ साधना की शख्शियत’’ से पूरा करने के पथ पर अग्रसर हैं। ‘’ मन की भावनाओं में इच्छाएं अनंनत होती है, गांव की गलियों में लड़कियों को सिर्फ पारिवारिक जिम्मेदारियों का एहसास की ही शिक्षा दी जाती है। परंतु मन की भावनाएं तो बचपन से काव्य रचना, शेरो शयरी, गजल की थी। अधिकारी, खोरीबारी और बागडोगरा से शिक्षा ग्रहण करने के बाद कुछ दिन तक पत्रकारिता का भी शौक पूरा करने के साथ वैवाहिक गठबंधन में बध गयी। उसके अलावा एक सरकारी स्कूल में नौकरी भी मिल गयी। जिंदगी घर परिवार और स्कूल तक सिमट गई। लेकिन वक्त ने कुछ ऐसा करवट लिया कि अब जीवन के अधूरे सपनों को पूरी करने की कोशिश में जुट गयी, मंजिल कहां तक ले जाएगी पता नहीं पर कोशिशों का दौर जारी रहेगा।‘’ बिंदु अग्रवाल,गलगलिया
अधूरी जिंदगी
ऐ वक़्त थम जा जरा, पलट कर देखू अतीत के पन्नो को
याद कर लूं जरा उन लम्हो को, कुछ पराये कुछ अपने
कुछ आधे अधूरे सपने
सुख के कुछ पलों के साथ रंगीन थी यह जिंदगी
गमों के दौर ने कितना दर्द दिल में भरा
ऐ वक़्त थम जा जरा, बाकी है चंद साँसे
कुछ धड़कने है बाकी, कुछ अधूरे अरमान
कुछ अधूरी ख़्वाहिश, कभी सुख का सूरज
कभी गम की बारिश, कुछ कशमकश भी है
क्या करे क्या ना करे, कोई तो बता दे जरा
ऐ वक़्त थम जा जरा, थम जा मैं जी लू अपनी जिंदगी
जिनके लिये सदा ही तरसती रही ऐ जिंदगी
पर सने सने बढ़ रहा अपने अवसान की ओर
ऐ वक़्त तू ही बता कब पूर्ण होगा जीवन
कुछ अधूरे ख्वाब लिये, कुछ अधूरी चाह लिये
जीने को आतुर है।