आज मनाया गया बालुरघाट का अपना स्वाधीनता दिवस
अंग्रेजों के चंगुल से 1942 में 2 दिनों तक स्वाधीन रहा बालुरघाट
लक्ष्मी शर्मा,दक्षिण दिनाजपुर : 14 सितंबर 1942 बालुरघाट के इतिहास में दो दिनों के स्वर्णिम अवसर था। आजादी के दिवानों को देश की आजादी नशा चढ़ा था। आज बालुरघाट में आजादी के उन दिवानों की याद करते हुए को याद करते हुए दो दिन की आजादी के रूप में आजादी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके साथ दो दिनों के लिए आजाद बालुरघाट में शहीद स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर 14 सितंबर को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मालूम हो कि प्रत्येक वर्ष की इस बार 78वीं बार स्वाधीनता दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1942 में जब महात्मा गांधी ने पूरे देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाया तब बालुरघाट शहर भी उस इससे अछूता नहीं था। स्वाधीनता के आंदोलनकारियों ने अपने देश को आजाद कराने के लिए जान पर खेल 14 सितंबर 1942 को दो दिन के लिए आजाद करा कर अंग्रेजों और उनकेझंडे करे हटा कर तिरंगा फराया था। हलांकि इस आंदोलन में बालुरघाट के करीब 10,000 बालुरघाट के लोग एक जगह इकट्ठा होकर बलुरघाट को अंग्रेजों से मुक्तकरा दिया था। इसके बाद ब्रिटिश का झंडा उतार कर फेंक दिया और तिरंगा लहराया 2 दिनों तक यह स्वाधीनता दिवस बरकरार रहा। हलांकि बाद में अंग्रेजों ने भारी संख्या में अपनी फौज उतार कर स्वाधीनता संग्राम के वीर योद्धाओं पर अत्याचार किए और फिर दोबारा अपने दखल में ले लिया। लेकिन इतिहास गवाह है, बालुरघाट 2 दिनों तक स्वाधीन रहा और तिरंगा लहराया गया था। आज भी उस दो दिवस को बालुरघात दिवस के रूप में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। आज इस मौके पर जिलाधिकारी, एसपी व बीएसएफ के अधिकारियों ने मिलकर आज दो दिवस को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया। एसपी ने इस मौके के महत्तव और स्वाधीनता संग्राम सेनानीयों के साहस और शौर्य की गाथा सुनाई और शहीदों को याद किया गया।