सर्जरी के क्षेत्र में सिलीगुड़ी को एक और मुकाम

डॉ. कौशिक भट्टाचार्य सिलीगुड़ी समेत भारत के पांच डाक्‍टरों को मिला सम्‍मान

दुनिया के सबसे पुराने शिक्षा चिकित्‍सा कालेज ने वर्चुअल समारोह में किया गया सम्‍मान

1599 के रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन और सर्जन दुनिया के बेहतर सर्जन व फिजीशियन को उनके योगदान पर देता है अवार्ड

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी

कहते हैं अगर धरती पर कोई अवतार (भगवान) के रूप कोई है तो डाक्‍टर ! कोरोना महामारी में जहां लोग डर के कारण लाकडाउन के दौरन अपने घरों में थे। वहीं जानलेवा बिमारी कोरोना के उपचार के लिए डाक्‍टरों का दल अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा में लगा हुआ है। यही कारण है कि आज के इस युग में धरती पर कोई भगवान है वह है डाक्‍टर। दुनियां में चिकित्‍सा के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है, हलांकि भारत इस चिकित्‍सा सजरी के क्षेत्र में दुनियां के विकसित देशों से कुछ पीछे पर है। पर गर्व की बात यह है यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। कम सुविधाओं के बावजूद भी इस देश के डाक्‍टरों की भूमिका विश्‍वपटल पर किसी के कम नहीं है। दुनियां के सबसे पुराने चिकित्‍सा कालेज जो 1599 में स्‍थापित रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन और सर्जन इंग्‍लैड (स्‍काटलैंड) प्रत्‍येक वर्ष दुनियां के बेहतर डाक्‍टरों को सम्‍मानित करता है। जिसमें फिजीशियन व सर्जरी के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले डाक्‍टरों को फेलाशिप अवार्ड से नवाजा जाता है। वैश्‍वि‍क कोरोना संकट के कारण आयोजित समारोह में हलांकि वर्चुअल (आनलाईल) किया है। लेकिन इस समारोह में भी भारत का दबदबा कायम रहा। इस वर्ष दुनियां भर के करीब 170 डाक्‍टरों को इस सम्‍मान से सम्‍मानित किया, जिसमें भारत के 5 डाक्‍टरों को सम्‍मान दिया गया। जिसमें चार तामिलनाडू के है और पांचवें डाक्‍टर सिलीगुड़ी के डा. कौशिक भट्टाचार्य है। सर्जन डा. भट्टाचार्य अपने पेशे के साथ रोटरी क्‍लब उत्‍तरायण, देश की सीमा की सुरक्षा में लगे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। बेहतर सर्जन होने के साथ ही डा. भट्टाचार्य समाज में बेहतर योगदान भी दे रहे हैं। हलांकि सेवक रोड स्थित 'महाबीर डाक्‍टर्स हब' में एक छोटी सी मुलाकात के दौरान उन्‍होंने कहा कि चिकित्‍सा के क्षेत्र में पूरी दुनियां में एक बेहतर सम्‍मान के साथ फेलोशिप अवार्ड है। इसमें दुनियां के सभी डाक्‍टर भाग लेते हैं, जो बेहतर कार्य और अच्‍छे सेवाओं के लिए दिया जाता है। हलांकि यह अवार्ड 'रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन और सर्जन, यूके' अपने खुद तय करती है। इकसे लिए कठीन दौर से डाक्‍टरों को गुजरना पड़ता है। एक उनके द्वारा किए गये योगदान को लेकर डाक्‍टर्स जर्नल में प्रकाशित खबरों का भी एक आधार होता है, दूसरा टफ कंपटीशन होता है। इसके बाद रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन और सर्जन की जूरी तय करती है किसे यह सम्‍मान दिया जाय। इसलिए सिलीगुड़ी के डाक्‍टर को यह यह सम्‍मान मिलना गर्व की बात है।

समारोह स्‍थल की तरफ जातीं रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन और सर्जन अध्यक्ष डॉ. जैकी टेलर

मालूम हो क‍ि सिलीगुड़ी के अन्‍य डाक्‍टरों को यह पुरस्‍कार मिल चुका है, परंतु इधर कुछ वर्षो में डा. भट्टाचार्य को मिलने वाले पुरस्‍कार में डा. भट्टाचार्य नाम जुड़ गया है। रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन व सर्जन में आयोजित शानदार वर्चुअल समारोह में सिलीगुडी के सर्जन डॉ. कौशिक भट्टाचार्य को आज रॉयल कॉलेज सर्जन (FRCS) (ग्लासगो) का फेलोशिप अवार्ड से नवाजा गया। इसके साथ पूरी दुनियां के करीब 170 सर्जरी व फिजीशिन के लिए पुरस्कारों से डाक्‍टरों को सम्मानित किया गया। वही रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन और सर्जन, ग्लासगो द्वारा इस समय उनके कार्य अनुभव के लिए FRCS से सम्मानित होने वाले उत्तर बंगाल के एकमात्र डाक्‍टर हैं। बाताते चलें क‍ि कोरोना संकट के कारण यह कार्यक्रम वर्चुअल हुआ इसलिए डा. भट्टाचार्य अपने पूरे परिवार के साथ घर से इस पुरस्कार समारोह को ग्रहण किया। समारोह को संबोधित करते हुए रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन और सर्जन अध्यक्ष डॉ. जैकी टेलर ने डा. भट्टाचार्य के किए गए कार्यो की सराहना करते हुए उनके योगदान की चर्चा करते उन्‍हें इस पुरस्‍कार के लिए बेहतर बताया।