दोस्ती में दरार, हिस्सेदारी को ले तकरार

कंपनी के पेपर के साथ 50 प्रतिशत का आज भी पर्टनर हूं

31 को डीड बनने से पहले 50 लाख का किया आरटीजीएस, अब तक करीब 2.5 करोड़ का भुगतानः काजल सरकार

न्यूज भारत, सिलीगुड़ीः एक तरफ कोरोना का संकट दूसरी तरफ मालिकाना हक की लड़ार्इ के बीच में पीस रहा हल्दीबबाड़ी का चाय बगान। रविवार  से शुरू हुए आरोप-प्रत्यरोप के दौर में कौन सही है, यह फैसला तो कोर्ट करेगा। एक तरफ पैसा नहीं देने के आरोप में पार्टनरशिप से निकाल कर बाहर करने का दावा शुशील मित्रुका कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कंपनी आफ रजिस्टार में 50 प्रतिशत की दावेदारी के साथ काजल सरकार भी अपनी जगह कायम हैं।

काजल सरकार ने शुशील मित्रुका के सभी आरोपों को पूरी तरह से खारीज करते हुए बताया कि पार्टनरशिप डीड 31 जनवरी 2020 को बनार्इ गर्इ। जिस डीडी में सभी जगह में तीसरे पार्टनर के रूप में दर्ज है। पहले पार्टनर के रूप में क्रम संख्या 1- अनीता मित्रुका, 2- पर शुशील मित्रुका दूसरे पार्टनर 3- काजल सरकार पर पर इसमें चतुर्थ पार्टनर के रूप में एवं क्रम संख्या 4- रूबि मित्रुका परंतु इसमें गलती से तीसरे पार्टनर के रूप में अंकित है। श्री सरकार ने बताया कि साथ आरओसी में जो रजिस्टर्ड है उसमें सिर्फ तीन पार्टनर हैं, और इसमें पहले शुशील मित्रुका 30 प्रतिशत,  काजल सरकार 50 प्रतिशत व रूबी मित्रुका 20 प्रतिशत की पार्टनर है। श्री सरकार ने बताया कि श्री मित्रुका को सबसे जब 31-1-2020 को डीडी बनान था, तो विजय बैंक से दिनांक 28-1-2020 को 50 लाख का आरटीजीएस इसके साथ ही शुशील मित्रुका के खाता में जो हिलकट रोड स्थित इंडियन बैंक की शाखा में है उसमें भारतीय स्टेट बैंक से करीब 1 करोड़ से 1.5 करोड़ की राशि को स्थानंनतरित किया गया है। उन्होंने कहा कि टार्इपिंग मिस्टेक की एक भूल को लेकर वह कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं। मामला कोर्ट में जो फैसला होगा, उसे मान्य होगा। बाकि रही बात अन्य आरोपों की वह पूरी तरह से बेबुनियाद है। श्री मित्रुका इस मामले को लेकर स्वंय कोर्ट में गए है। इस लिए इसमें किसी भी प्रकार की टिप्पड़ी करना ठीक नहीं है। मामला सब चाय के मूल्य बढ़ने का है। कोरोना संकट के दौरान श्री मित्रुका चाय बगान देखने तक नहीं गए, इसका प्रमुख कारण था, चाय के मूल्य में गिरावट था। इसके साथ ही कर्इ प्रकार के मामले समने आए हैं, जिसके बाद हम चाय बगान में जाना शुरु किया। जब जाना शुरू किया तो इनके खेल का पता चला। चाय को कम मूल्य में बेचकर बागान को घाटे में लाना चाहते है। इधर जब कोरोना संकट के बादल छंटने के बाद जब चाय मूल्य में तेजी आर्इ तो मेरे पार्टनर को एलएलपी नजर आने लगा। इनके द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार है, अगर कागज में सही हैं तो मामला कोर्ट में जो फैसला कोर्ट का होगा मुझे भी मान्य होगा। परंतु इनके लगाए आरोप से आहत हूं, दोस्ती में मैने सब कुछ उनके उपर पहले से छोड़ दिया था। मैं बागन खारीदने से लेकर आज तक साथ हूं, क्योंकि 50-50 का पार्टनर हूं।