न्यूज भारत, सिलीगुड़ी : एक तरफ कोरोना संक्रमण का कहर, दूसरी ओर लाकडाउन का पहरा ऐसे में लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही है। सबसे अधिक समस्या उनको है जो रोज कमाने और रोज खाने वाले हैं। अगर वे संक्रममित हैं, तो उनके सामने रोटी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। कारण कि कोरोना संक्रमित होने के कारण उनसे सामाजिक दूरी अपने भी करने लगे हैं। सिलीगुड़ी वार्ड 42 में एक ऐसा ही परिवार है जो कोरोना से संक्रमित होने के कारण अपने घर में कैद है, मतलब होम क्वारंटाईन में । उनके साामने रोटी के संकट को देखते हुए स्थानीय निवासी जितेन्द्र मिश्रा ने बड़े ही खामोशी के साथ अपने कुछ सहयोगियों के साथ उस परिवार को एक माह राशन दिया और आगे भी देने की बात कही । उनके इस खामोशी के सेवा की चर्चा हो रही है। हलांकि उस क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जितेन्द्र मिश्रा को अपने क्षेत्र में जहां भी किसी को इस तरह की जरूरत होती है। वह अपने कुछ साथियों के साथ उस पीडि़त परिवार की सेवा के लिए निकल जाते हैं। वहां के लोगों का कहना है कि समाजसेवी जितेंद्र मिश्रा मसीहा बन कर सामने आए हैं। मालूम हो कि जितेंद्र मिश्रा और उनके साथियों द्वारा लगातार इलाके में जरूरतमंदों के बीच राशन सामग्री और अन्य जरूरत के सामान का वितरण किया जा रहा है। एक तरफ जहां लोग उस परिवार से दूरी बना रहे हैं जिनके घर में कोई सदस्य संक्रमित हुआ है वहीं जितेंद्र मिश्रा ऐसे परिवारों की मदद के लिए खुद आगे आए हैं। जितेंद्र मिश्रा की समाजसेवा की भावना की सभी लोग तारीफ कर रहे हैं। कोरोना के संकट के समय सभी को जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। बताते चलें कि कोराना कभी भी किसी को हो सकता है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। संयमित जीवन शैली से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि किसी परिवार में कोई संक्रमित होता है तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसकी मदद के लिए आगे आना चाहिए और उसे प्रोत्साहित करना चाहिए कि जल्द ठीक हो जाएंगे। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार के लॉकडाउन के दौरान कई समाजिक कार्याकर्ताओं ने लोगों को राहत पहुंचाया है। लेकिन वह अधिकतर संगठन कैमरा, एक्शन और लाईट में किया। हलांकि कुछ संगठनों ने बड़े ही खामोशी के साथ लाकडाउन में जरुरतमंदों के बीच अपनी सेवाएं दी है। एक सबसे अहम बात यह है कि संगठन कैमरा, एक्शन और लाईट में किए गए सेवा की सेवाएं जन सहयोग से किया गया था, लेकिन संगठन कैमरा, एक्शन और लाईट में वह स्वयं का श्रेय लेने से पीछे नहीं हटे। दर असल में उस समय भी जरूरत थी, लेकिन आज की जरूरत में जागरूकता के साथ किया गया सेवाकार्य सबसे महत्वपूर्ण होता है।