प्रभावी ढंग से निपटने के लिए बंगाल का बकाया पैसा जारी करे केंद्र
महामारी से निपटने के लिए एक अलग कोष बनाने की भी जरूरत
न्यूज भारत, कोलकाता : 'बंगाल सागर तट पर होने के कारण कोरोना महामारी के साथ एम्फन तूफान से हुई तबाही से एक साथ लड़ रहा है। मैं केंद्र सरकार से राज्य का वित्तीय बकाया तुरंत जारी करने का अनुरोध करती हूं। हमें अभी तक 53,000 करोड़ रुपये का हमारा बकाया नहीं मिला है। जीएसटी मद में भी 4135 करोड़ का जो बकाया केन्द्र की सरकार के पास है। प्लीज प्रधानमंत्री जी हमें यह बकाया राशि तुरंत दिला दीजिए जिससे कि कोरोना से हम प्रभावी ढंग से लड़ सकें।' ममता ने आगे कहा कि महामारी से लड़ने के लिए एक अलग कोष की भी जरूरत है। मैं आपसे (प्रधानमंत्री) से निवेदन करूंगी कि वह इस पर गौर करें। उन्होंने एम्फन राहत के लिए भी केंद्र से फंड जारी करने की मांग की। उक्त बातें सूबे की मुख्यमंत्री ममता ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में जहां प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना की जांच के लिए आइसीएमआर की बंगाल, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश में नई हाईटेक लैब्स का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन के दौरान कही। वहीं इस महामारी से निपटने के लिए एक अलग कोष बनाने की भी मांग की। उदधाटन समारोह में ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्र के पास राज्य की सभी बकाया राशि तुरंत जारी करने की मांग की ताकि कोविड-19 महामारी से प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद मिल सके और राज्य की जनता को इस महामारी से निकाला जा सके। मुख्यमंत्री ने आपदा राहत कोष की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य के आपदा राहत कोष से धन का उपयोग चक्रवात एम्फन के बाद पुनर्वास जैसे कार्यों में प्रयोग किया जा रहा है। यदि राज्य आपदा राहत कोष से पैसे का उपयोग चक्रवात में पुर्नबहाली जैसे कार्यों में किया जाएगा तो राज्य के पास कुछ नहीं बचेगा। आने वाले समय में बाढ़ जैसी अन्य आपदाएं भी आएगी तो काफी मुश्किलें होंगी। ममता ने एम्फान की चर्चा करते हुए कहा कि आपदा इस घड़ी में प्रधानमंत्री जी ने खुद हुए नुकासान का जायजा लिया था, इसके लिए भी धन्यवाद और तत्काल राहत के लिए केंद्र ने एम्फन के लिए अबतक मात्र 1000 करोड़ रुपये ही दिए जो प्रधानमंत्री ने घोषणा की हैं। जबकि राज्य सरकार ने केंद्र को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का ब्योरा पहले ही भेजा है। उन्होंने इस मद में बाकी पैसा तुरंत जारी करने की मांग की ताकि राहत व पुनर्वास कार्य को और तेजी लाया जा सके। यूजीसी की नई गाइडलाइन के बावत ममता ने प्रधानमंत्री से विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर की परीक्षा सितंबर तक आयोजित करने के यूजीसी की नई गाइडलाइन को निरस्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है इससे कोरोना संक्रमण और फैलने की संभावना है। ममता ने यूजीसी का जो अप्रैल का पुराना निर्देश है उसी को बहाल करने की मांग की।