जुलाई 20 से लेकर जुलाई 31 तक चलाएगा सूचना अभियान
18-19 के रिर्टन के लिए स्वैच्छिक अनुपालन के लिए र्इ अभियान
पूजा आर. झिरीवाल, अलवर राजस्थाानः वर्ष 18-19 के उन कर दाताओं को आयकर विभाग ने शनिवार को एक नोटिफिकेशन जारी कर सभी करदाताओं के लिए 11 दिवसीय एक E-Campion योजना प्रारंभ किया है l जिसके द्वारा करदाताओं को आयकर कानून की स्वैच्छिक अनुपालन के अभियान से जोड़कर उनका हित साधने का प्रयास रहेगा। इसके अंतर्गत वह कर दाता जिन्होंने वित्तीय वर्ष 18-192 0 में किसी प्रकार के बड़े ट्रांजैक्शन किए हैं, लेकिन आयकर विवरणी नहीं भरी है, या उनके द्वारा आयकर विवरण भर दी गई है, किंतु वह किए गए बड़े लेन-देन उसे मेल नहीं खाती है। अर्थात रिटर्न गलत फाइल की गई है l तो आयकर विभाग के द्वारा उनके पास एक विकल्प दिया गया है, कि वह करदाता अपनी वित्तीय वर्ष 18-19 से संबंधित सही इनकम टैक्स रिटर्न 31 जुलाई 2020 तक कर सकते हैं l जिसके द्वारा करदाता को विभाग के भविष्य में नोटिस और स्कूटनी के लंबे प्रोसेस का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर किसी करदाता का भविष्य में एसेसमेंट होता है, जो कि 4-5 साल बाद तक री- ओपन हो सकता है तो करदाता को पुराने प्रपत्र के एकत्रीकरण से संबंधित बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है l भारत में आयकर विभाग की कार्यवाही और आयकर कानून की प्रक्रिया आसान नहीं है । इसलिए करदाता को इन लंबे प्रक्रिया का सामना करने के लिए पेशेवर व्यक्ति होगा सहारा देना होता है।और उसके संबंध में राशि का भी भुगतान करना होता है । आयकर विभाग ने इन सभी कठिनाइयों से बचने के लिए 11 दिन की है इलेक्ट्रॉनिक अभियान प्रारंभ किया है जो की जुलाई 20 से लेकर जुलाई 31 के लिए है । आयकर विभाग के पास करदाता के प्रत्येक वित्तीय लेन- देन का ब्यावरा रहता है । और विभाग, विभिन्न एजेंसियों द्वारा भेजे गए डाटा से ऐसी सूचना प्राप्त कर सकता है। ऐसे स्त्रोतों में बैंक, म्यूचल फंड, टीडीएस टीसीएस, फॉरेन रेमिटेंस आदि के द्वारा भेजे गए वित्तीय प्रपत्र रहते है । आयकर विभाग ने इसके लिए एक साधारण ऑनलाइन प्रक्रिया की व्यवस्था की है, जहां करदाता को आयकर विभाग की ऑफिस जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
इसके लिए निम्न चरणों में सरल कार्यवाही की जाएगी
• आयकर विभाग एसएमएस या ई-मेल से करदाताओं को सूचना देगा l यह सूचना 20 जुलाई से 31 जुलाई तक दी जाएगी।
• करदाता ऐसी सूचना मिलने पर अपने इनकम टैक्स के पोर्टल पर जाकर पूरा विवरण देख सकता है।
• करदाता वहां अपनी सहमति, असहमति, आंशिक सहमति आदि विभिन्न विकल्पों के जरिए उत्तर दे सकता है।
• करदाता उसी के अनुसार अपनी रेक्टिफाइड आयकर विवरण दाखिल कर सकता है।
वह कर दाता जो इस तरह का प्रक्रिया पूरी करने में असमर्थ है, वह पेशेवर व्यक्ति की मदद ले सकता है l इस हेतु वह चार्टर्ड अकाउंटेंट या वकील की मदद ले सकता है। सरकार के द्वारा समय-समय पर करदाताओं के लिए इज ऑफ टैक्स की योजनाएं आती है, जिसका उद्देश्य एक तरफ करदाताओं के द्वारा सही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करवा कर राजकोष को समृद्ध करने का उद्देश्य होता है l दूसरी ओर करदाताओं को व्यर्थ आयकर विभाग द्वारा की जाने वाली कानूनी कार्यवाही से मुक्ति प्रदान करना होता है l जिससे कर दाता एक स्वस्थ और शांत वातावरण में कार्य कर सकें।
लेखक, पूजा आर. झिरीवाल, चार्टेड एकाउंटेट, अलवर (राजस्थान)