हैदराबाद मामले की तरह रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच संभव
सौरभ पृथ्वीराज शुक्ल, लखनउः उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के मामले में अधिकारियों और सहयोगियों से इस मुठभेड़ को लेकर विस्तार से रिपोर्ट मांगी है। उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि वह 16 जुलाई तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे। इस कि अगली सुनवाई सोमवार को होगी और गुरुवार तक राज्य सरकार को अपना पक्ष रखना होगा। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह विकास दुबे और उसके सहयोगियों की मुठभेड़ और गैंगस्टर के उत्तर प्रदेश में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की जांच के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति की नियुक्ति पर विचार कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट में मुंबई के वकील घनश्याम उपाध्याय और वकील अनूप अवस्थी ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की गई है। कानपुर के चौबेपुर के बिकरू में शूटआउट के मुख्य आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। तीन जजों वाली खंड पीठ की अगुवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने सुनवाई की। इस सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला हमारे संज्ञान में है, हमें समय दिया जाए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनकाउंटर मामले में जांच के लिए हम जांच समिति गठित करने पर विचार कर रहे है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ की सीबीआई या एसआईटी जांच कराने की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने यूपी सरकार से गुरुवार तक जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैदराबाद मामले में जिस तरह से कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच का आदेश दिया था, उसी तर्ज पर हम इस मामले में भी सोच रहे हैं। यूपी सरकार ने कहा कि इस मामले की पड़ताल एकल आयोग करेगा जो कि विकास दुबे के आत्मसमर्पण के बाद के इस तरह किये गए एन काऊंटर की निष्पक्ष जांच करेगा कि आखिरकार वो क्या मजबूरी थी जिससे कि पुलिस को इस तरह का गैरकानूनी कदम उठाना पड़ा।"