जीएसटी से देश की अर्थ व्‍यवस्‍था को मिली रफ्तार

नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जीएसटी के सेमिनार में दिखाई रूचि, क्विज प्रतियोगिता में लिया भाग

एनई न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी

आगामी 1 जुलाई को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के सफल कार्यान्वयन की 8वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी, जिसकी मुख्य थीम है "जीएसटी के 8 वर्ष और करों का सरलीकरण और नागरिकों का सशक्तिकरण"। इस महत्वपूर्ण अवसर से पूर्व केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) आयुक्तालय, सिलीगुड़ी के द्वारा पहले फिट इंडिया अभियान के 18 मई 25 रविवार को एक साइकिल मैराथन का आयोजन किया गया। इसके बाद सिलीगुड़ी सीजीएसटी एवं सीएक्स आयुक्तालय, कोलकाता जोन द्वारा 30 मई 25 को "जीएसटी-करों का सरलीकरण, नागरिकों का सशक्तिकरण" विषय पर सेंटर फॉर इनोवेटिव स्टडीज, नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के साथ क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें छात्रों ने अपनी  उपस्थिति दर्ज करायी। हालांकि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल फिटनेस और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना था, बल्कि कार्यबल के बीच एकता की भावना को प्रबल करते हुए देश में जीएसटी के प्रभावी क्रियान्वयन के महत्व को आमजन तक पहुंचाना भी था। वहीं नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी में छात्रों को जीएसटी के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सिलीगुड़ी सीजीएसटी एडीसी बवनीत तुली और एसी नीमा शेरपा मुख्या रूप से उपस्थित रही और इसके साथ ही सीजीएसटी के अधिकारी और कर्मचारी मौजदू रहे।

छात्रों को संबोधित करते हुए वक्ताेओं ने कहा कि भारत की कर प्रणाली को लंबे समय से जटिल और चुनौतीपूर्ण माना जाता रहा है, खासकर छोटे व्यवसायों के लिए। बिक्री कर, वैट और उत्पाद शुल्क जैसे कई करों के साथ, जिनमें से प्रत्येक राज्य और क्षेत्रों में अलग-अलग है, व्यवसायों को अक्सर अनुपालन और परिचालन दक्षता में महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ता है। वहीं केन्द्र। की सरकार ने 2017 में, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की शुरूआत का उद्देश्य "एक राष्ट्र, एक कर" के दृष्टिकोण के साथ इस ढांचे को सरल बनाना था। जबकि जीएसटी ने कर प्रणाली को सुव्यवस्थित करने और आर्थिक दक्षता को बढ़ावा देने का वादा किया था, भारत में व्यवसायों पर इसका वास्तविक प्रभाव चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए जानें कि जीएसटी ने व्यवसाय परिदृश्य को कैसे प्रभावित किया है।

वहीं दूसरी ओर जीएसटी ने भारत में व्यवसायों को बहुत प्रभावित किया है। नए कर ढांचे को अपनाने और अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करने से लागत में वृद्धि हुई है। लेकिन यह सब चुनौतियाँ नहीं हैं। जीएसटी ने कर प्रक्रिया को सरल बनाया है, समग्र कर बोझ को कम किया है, और अधिक पारदर्शिता लाई है। समय के साथ, जीएसटी परिषद अनुपालन चुनौतियों को कम करके इसे और अधिक व्यापार-अनुकूल बना दिया है। लंबे समय में इसके लाभों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए जीएसटी नियमों और विनियमों के साथ अपडेट रहना आवश्यक है। इन्हींत सुधारों के कारण और सरकार के खजाने में जीएसटी के माध्युम से जमा हो रहे कर के कारण देश विकास की पटी पर तेजी से दौड़ रहा है।

क्या है जीएसटी की व्यवस्था

 

जीएसटी एक गंतव्य-आधारित उपभोग कर है जो वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। यह एक बहु-चरणीय प्रणाली पर काम करता है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण पर कर एकत्र किया जाता है, लेकिन कैस्केडिंग प्रभावों से बचने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट तंत्र के साथ। जीएसटी संरचना में चार प्राथमिक कर स्लैब शामिल हैं: 5%, 18%, 12% और 28%, जिसमें विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं के लिए विशेष दरें हैं।

व्यावसाय पर जीएसटी का सकारात्मक प्रभाव

सरलीकृत कर संरचना: जीएसटी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान अप्रत्यक्ष कर ढांचे को सरल बनाना रहा है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क, वैट, ऑक्ट्रोई आदि जैसे ढेर सारे करों को एक ही एकीकृत कर से बदलने से कर अनुपालन की जटिलता कम हुई है और व्यवसायों पर प्रशासनिक बोझ कम हुआ है।

उन्नत परिचालन दक्षता: करों पर कर लगाने की व्यवस्था को समाप्त करने से व्यापार संचालन सुव्यवस्थित हुआ है और लागत कम हुई है। इसके अतिरिक्त, अंतर-राज्यीय चेकपॉइंट्स को हटाने से माल की सुगम और तेज़ आवाजाही में मदद मिली है, जिससे लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार हुआ है।

प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: जीएसटी ने पूरे देश में कारोबारियों के लिए समान अवसर पैदा किए हैं, जिससे प्रतिस्पर्धात्मक माहौल को बढ़ावा मिला है। इससे कंपनियों को नवाचार और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहन मिला है, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता और ग्राहक सेवा में सुधार हुआ है।

निर्यात को बढ़ावा: जीएसटी ने अंतर्निहित करों को समाप्त करके भारतीय निर्यात को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है। इससे "मेक इन इंडिया" पहल को बढ़ावा देने और विदेशी मुद्रा आय को बढ़ाने में मदद मिली है।

व्यापक बाजार पहुंच: जीएसटी के तहत एकीकृत राष्ट्रीय बाजार के निर्माण ने व्यवसायों के लिए विभिन्न राज्यों में व्यापक ग्राहक आधार तक पहुँचने के लिए नए विस्तार के अवसर खोले हैं। इससे विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) को लाभ हुआ है, जिससे वे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम हुए हैं।

कम हुई रसद लागत: अंतरराज्यीय जांच चौकियों के उन्मूलन और सुव्यवस्थित परिवहन प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण लागत बचत हुई है।

कर राजस्व में वृद्धि: जीएसटी के अंतर्गत व्यापक कर आधार और बेहतर अनुपालन से सरकारी कर राजस्व में वृद्धि हुई है।