आइजोल को मिली पहली रेल सौगात

• मिजोरम की राजधानी अब सीधे रेलवे नेटवर्क से जुड़ी

• पहली बार राजधानी आइजोल को मिली सीधी रेल कनेक्टिविटी

• पहाड़ी चुनौतियों के बीच 51.38 किमी लंबी रेलवे लाइन का सफल निर्मा

एनई न्यूज भारत,मालीगांव|10 जून: मिजोरम के लिए आज का दिन ऐतिहासिक बन गया है, क्योंकि राज्य की राजधानी आइजोल अब पहली बार सीधे राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ गई है। भैरबी से साईरंग तक 51.38 किलोमीटर लंबी ब्रॉड गेज (बीजी) रेलवे लाइन परियोजना के अंतिम चरण — हरतकी से साईरंग (33.864 किमी) — को रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) सुमीत सिंघल की मंजूरी मिल गई है। इस परियोजना की सफलता पूर्वोत्तर भारत के दूरस्थ क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

सीआरएस निरीक्षण 6 से 10 जून के बीच मोटर ट्रॉली और पैदल मार्ग से किया गया। इसके बाद विशेष ट्रेन के माध्यम से गति परीक्षण किया गया। निरीक्षण में यह पाया गया कि लाइन पर यात्री और मालगाड़ियों के लिए 90 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति की अनुमति दी जा सकती है।

हरतकी-साईरंग सेक्शन पहाड़ी और दुर्गम इलाकों से होकर गुजरता है, जिसमें 32 सुरंगें और 35 बड़े पुल शामिल हैं। इस चुनौतीपूर्ण भूगोल के बावजूद, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (NFR) ने उत्कृष्ट निर्माण कार्य कर दिखाया है।

इंजीनियरिंग का चमत्कार

यह परियोजना तकनीकी दृष्टि से भी एक चमत्कार मानी जा रही है। पूरी भैरबी-साईरंग लाइन में 48 सुरंगें, 55 बड़े और 87 छोटे पुल, कुल 5 रोड ओवर ब्रिज और 6 रोड अंडर ब्रिज शामिल हैं। पुल संख्या 196 की ऊंचाई 104 मीटर है, जो कि दिल्ली की कुतुब मीनार से भी 42 मीटर अधिक है।

यह परियोजना चार मुख्य सेक्शनों में विभाजित रही — भैरबी-हरतकी, हरतकी-कौनपुई, कौनपुई-मुआलखांग और मुआलखांग-साईरंग।

राज्य की आकांक्षा पूरी

मिजोरम के लोगों के लिए यह रेल संपर्क एक बहुप्रतीक्षित सपना था। अब राजधानी आइजोल में ट्रेन की सीटी गूंजेगी और इससे न सिर्फ यात्री सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि माल परिवहन, रोजगार और राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी नई गति मिलेगी।

यह प्राधिकरण भारतीय रेलवे की उस प्रतिबद्धता का भी परिचायक है, जिसके तहत वह देश के सबसे दुर्गम और रणनीतिक क्षेत्रों तक बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रहा है।