• आर्थिक प्रगति और आत्मनिर्भर भारत की ओर तेज़ी से बढ़ता भारत
• सामाजिक कल्याण, आधारभूत विकास और गरीबी उन्मूलन में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ
एनई न्यूज भारत, सिलीगुड़ी|9 जून: को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 11 वर्षों के सुशासन का ऐतिहासिक पड़ाव पार किया। इन वर्षों में भारत ने आर्थिक, सामाजिक और वैश्विक मंचों पर उल्लेखनीय प्रगति की है।
2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, तब भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी (पीपीपी के आधार पर) करीब 5,000 डॉलर थी, जो अब बढ़कर 12,000 डॉलर से अधिक हो गई है। यह 240% की वृद्धि है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भारत की विकास दर 6.2% अनुमानित की है, जो चीन (4%), अमेरिका (1.8%), जापान (0.6%) और ब्रिटेन (1.1%) से अधिक है। भारत जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसकी जीडीपी अब 4.3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो चुकी है।
इस विकास में कई अहम नीतिगत बदलावों की भूमिका रही है। 2017 में लागू हुआ वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली भारत के राजस्व ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव लाया। वित्त वर्ष 2024-25 में कुल ₹22.08 लाख करोड़ का जीएसटी राजस्व संग्रहित हुआ।
मेक इन इंडिया पहल, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, और डिजिटल इंडिया अभियानों के चलते भारत विनिर्माण, तकनीक और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनकर उभरा है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने वीजा को पीछे छोड़ते हुए प्रतिदिन 65 करोड़ से अधिक लेनदेन का आंकड़ा पार कर लिया है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 तक UPI के जरिए लेनदेन $1 ट्रिलियन को पार कर जाएगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी तेज़ी आई है – जहां UPA सरकार में प्रतिदिन औसतन 8-11 किलोमीटर सड़क बनती थी, वहीं अब यह 36 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंच गई है। 100% ग्रामीण विद्युतीकरण, 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण, 15 करोड़ से अधिक घरों में जल आपूर्ति और 10 करोड़ उज्ज्वला गैस कनेक्शन जैसे कदमों ने ग्रामीण भारत का चेहरा बदला है।
जन कल्याण योजनाओं में भी क्रांतिकारी बदलाव हुआ है। आधार प्रणाली, जो 99% वयस्कों को कवर करती है, के जरिए जनधन खातों में ₹34 ट्रिलियन से अधिक की सब्सिडी सीधे हस्तांतरित की गई। आयुष्मान भारत के तहत 37 करोड़ स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए। 10 करोड़ किसानों को ₹3.75 लाख करोड़ की आर्थिक सहायता दी गई है।
विश्व बैंक के अनुसार, भारत में अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 के 27.1% से घटकर 2022-23 में मात्र 5.3% रह गई है — अर्थात 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ चुके हैं।
रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर भारत की झलक मिलती है। 2014 में जहां रक्षा निर्यात ₹1,941 करोड़ था, वह 2024 में बढ़कर ₹23,662 करोड़ हो गया है।
कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव जैसे वैश्विक संकटों के बावजूद भारत ने निरंतर आर्थिक, सामाजिक और वैश्विक मोर्चों पर सफलता अर्जित की है।
प्रधानमंत्री मोदी के "सबका साथ, सबका विकास" और "आत्मनिर्भर भारत" दृष्टिकोण ने भारत को न केवल तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाया है, बल्कि विश्व पटल पर एक मजबूत, आत्मनिर्भर और प्रेरणादायक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है। अब भारत 2030 तक $7 ट्रिलियन और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर है।
हम सब मिलकर इस सपने को साकार करें।