जीवन के लाकडाउन पर मौत की इंट्री ?

पुलिस कहां तक करे कार्यवार्इ, अब भी लोगें को समझ ना आर्इ

बाजार बंद, माँल बंद, कार्यालय बंद तो सड़कों पर लोग क्यों

खालपाड़ा में आवश्यक वस्तु के नाम पर अन्य कुछ दुकानें भी खुली

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ीः चाइनीज बिमारी कोरोना को लेकर सरकारी दावों को जमीन पर उताने की कोशिश तो प्रशासन फिलहाल मुस्तैदी से कर रही है। लेकिन क्या हम सब की नैतिक जम्मेदारी नहीं हैं.? अगर है तो हम सड़क पर क्यों ? कोरोना के इस संकट के दौर में हम यही समझना है। कोरोना के कसते शिकंजे से हम सब परेशान हैं ? चाहे आम हो या खास पर आम लोग अपनी जिम्मेदारी कब समझेंगे, जब अमेरिका की तरह शवों का अंबार लग जाय.. ? यह सभी को समझने की जरूरत है। जिला प्रशासन, राज्य सरकार व केन्द्र सरकार कोशिश कर रही है। अगर प्रशासन ने जीवन देने के लिए पूर्णा लाकडाउन की घोषणा की है, तो हम बेवजह निकल कर क्यों कोरोना रूपी मौत को बंट रहे हैं।

क्या करे क्या ना करे पुलिस.. ?

प्रशाशान जहां लोगों को बचाने की कोशिश कर रहा है। वहीं लोग सड़को पर कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए सड़क पर हैं। सवाल यह है कि अगर पुलिस कार्यवार्इ करे तो निरंकुशा.. ? अगर ना करे तो दोषी .. ? यह सबसे बड़ा सवाल है। हलांकि 16 जुलार्इ से सात दिनों के लिए पूर्ण लाकडाउन तो कर दिया गया है। बाजार बंद, मॉल बंद, सरकरी या प्रार्इवेट कार्यालय बंद बावजूद इसके सड़कों पर लोग हैं पर क्यों.. ? मामले की गंभीरता को देखते हुए भाक्तिनगर थाना क्षेत्र के विशाल सिनेमा के सामने डीसीपी राजन क्षेत्री ने अपने दल बल के साथ मोर्चा संभाला है। लेकिन एक काम सौ बहने चल रहा है। हलांकि कुछ बहाने वाजों पर कार्यवार्इ भी की जा रही है, लेकिन यह कहां तक जायज है। सबसे अधिक तो टोटो वाले ही नहीं मान रहे कोर्इ ना कोर्इ बहान बनाकर निकल रहे हैं। वहीं इस्कान रोड, पांनी टंकी, सेवक मोड़, वेनस मोड़ समेत सभी चौराहो पर पुलिस तो सर्तक है, पर शायद हम सर्तक नहीं है।

खालापडा भी कम नहीं.. ?

हलांकि प्रशासन ने आवश्य वस्तु के तहत खालपाड़ा को खोलने का निर्देश दिया है। लेकिन आवश्यक वस्तु के नाम डार्इफ्रूट, साबुन समेत अन्य दुकानें भी खुली हुर्इ है। जिसके कारण लोगों की भीड़ दिख रही है। जबिक इस मंडी में एसोसिएशन के सचिव समेत चार लोग संक्रिमत है, वहीं करीब अधा दर्जन से अधिक व्यापारी भी कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं व गत दिनों एक की मौत भी हो गर्इ थी। सबसे अधिक अगर कोर्इ परेद के पीछे से काला कारोबार कर रहा है तो वह गुटखा कारोबार है, दिखाने के लिए दुकानें बंद है, परंतु परदे पीछे पीछे से काला कारोबार का खुला खेल चल रहा है। ज्ञात हो कि पहले लाक डाउन में गुटखा दुकान बंद कर कर्इ अन्य जगहों से माल मल रहा था, जो 25 रुपये मं बिकने वाला रंजनीगंधा व तुलसी की कीमत 35 से 40 रूपये फुटकर में बिक रहा था। हालत सामान्य होने पर फिर 25 के रेट चला लेकिन गत चार दिनों की बंदी में 25 से 30 हुआ अब देखना है इस बंदी में क्या कीमत होगी... ? पुलिस को यहां भी ध्यान देने की जरूत है।