डीडीयू ने दर्ज की एक और उपलब्धि, उच्च शिक्षा रैंकिंग में मिला 20वां स्थान

• डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय ने हायर एजुकेशन रैंकिंग्स में पाया 20वां स्थान

• राष्ट्रीय विधि एवं मानविकी विश्वविद्यालय श्रेणी में मिला स्थान, उत्तर प्रदेश से केवल दो विश्वविद्यालय सूची में शामिल

एनई न्यूज भारत,गोरखपुर।25 अप्रैल: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयूजीयू) ने एजुकेशन वर्ल्ड इंडिया हायर एजुकेशन रैंकिंग्स 2025-26 में राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय को सरकारी विधि एवं मानविकी विश्वविद्यालय श्रेणी में 20वां स्थान प्राप्त हुआ है। इस सूची में देशभर के कुल 22 प्रमुख संस्थान शामिल हैं, जिनमें अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (NLUs) भी सम्मिलित हैं।

यह गौरवपूर्ण उपलब्धि उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन और विश्वविद्यालय के संकाय, छात्रों एवं प्रशासन की सामूहिक मेहनत का प्रतिफल है। इस सूची में उत्तर प्रदेश के केवल दो राज्य विश्वविद्यालय—डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (RMLNLU) और डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय—शामिल हुए हैं।

कुलपति का वक्तव्य: डीडीयूजीयू की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा, “यह रैंकिंग हमारी टीम की प्रतिबद्धता और विधिक शिक्षा की उत्कृष्टता को दर्शाती है। हम निरंतर अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों को सशक्त बना रहे हैं ताकि राष्ट्र निर्माण में सार्थक योगदान दे सकें।”

रैंकिंग के मूल्यांकन मापदंड: शिक्षकों की योग्यता संकाय कल्याण एवं विकास अनुसंधान एवं नवाचार पाठ्यक्रम की गुणवत्ता

उद्योग से संपर्क प्लेसमेंट आधारभूत संरचना अंतरराष्ट्रीयता प्रशासनिक दक्षता पाठ्यक्रमों की विविधता

डीडीयूजीयू ने विशेष रूप से शिक्षकों की योग्यता, संकाय कल्याण और आधारभूत संरचना में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जिससे यह रैंकिंग संभव हो पाई है।

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस पर डीडीयूजीयू ने जारी की "आईपीआर एवं अनुसंधान पुरस्कार स्थिति 2024" पुस्तिका

• 60 से अधिक पेटेंट दाखिल, 25 से अधिक प्रकाशित, शोध संस्कृति को बढ़ावा देने का संकल्प

एनई न्यूज भारत,गोरखपुर, 26 अप्रैल: विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के अवसर पर दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने "आईपीआर एवं अनुसंधान पुरस्कार स्थिति 2024" पुस्तिका का विमोचन किया।

विश्वविद्यालय ने बौद्धिक संपदा अधिकार (IPRs) को शोध की मुख्यधारा में लाने के लिए कई सराहनीय कदम उठाए हैं। अब तक 60 से अधिक पेटेंट दाखिल, 25 से अधिक पेटेंट प्रकाशित, और 20 से अधिक प्रक्रियाधीन हैं। इसके अतिरिक्त तीन कॉपीराइट पंजीकृत हो चुके हैं और 13 से अधिक प्रस्तुत किए गए हैं।

प्रमुख पहलें और कार्यशालाएं: विश्वविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ और आईपीआर प्रकोष्ठ द्वारा दो कार्यशालाओं का आयोजन 2 मार्च 2024 और 30 जनवरी 2025 को किया गया। इनमें बौद्धिक संपदा की प्रक्रिया, पेटेंटिंग और कॉपीराइट से संबंधित जानकारी दी गई।

यूआरईए पुरस्कार वितरण समारोह: 17 फरवरी 2025 को आयोजित इस समारोह में 67 प्रतिभागियों को लगभग पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता के साथ शोध पुरस्कार प्रदान किए गए। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव को “आउटस्टैंडिंग रिसर्चर अवार्ड” से सम्मानित किया गया।

कुलपति का संदेश

प्रो. पूनम टंडन ने कहा, “बौद्धिक संपदा आज की शोध संस्कृति का मूल है। हमारा उद्देश्य है कि हमारे शिक्षक और शोधार्थी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकें।”यह पहल विश्वविद्यालय की अकादमिक साख को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।