परिचय: मैं आर्चना शर्मा,प्रधानाचार्या हिन्दी बालिका विद्यापीठ स्कूल, सिलीगुड़ी की, आज एक ऐसी पीड़ा को स्वर देना चाहती हूँ, जो केवल एक देश की नहीं, बल्कि समस्त मानवता की त्रासदी है — आतंकवाद। यह कविता उन मासूम जिंदगियों को समर्पित है, जिन्हें आतंक ने छीन लिया।
आतंक
देख घटना पहलगाम की,
आंखों से बहता पानी।
काले अक्षर में लिख दो,
आतंकी क्रूर कहानी।
मजहब का नंगा नाच,
आज मचा है देश में।
घुसे हुए हैं गद्दार यहां,
आतंकियों के भेष में।
है कहां सुरक्षित आज हम,
समझ नहीं हमें आता।
अपनों में यह फूट देख,
दिल अपना भर आता।
देश को यूं मत बांटो,
यह प्यारा देश हमारा है।
मिलकर रहे यहां सब,
अपना यह जग सारा है।
शांति दूत बनकर,
शांति की करते प्रार्थना।
बनी रहे देश में अपने,
प्रेम और सद्भावना।।
शांति की प्रार्थना करते करते
थक गए अब हम आज
इन्हे चाहिए बस अब
गोले बारूद की आवाज़।।