अब पछताए होत क्‍या जब चिडि़या चुग गई खेत...

बंद के द्वंदा को सकारात्‍मक देख रहे सिलीगुड़ी की जनता

लाकडाउन को मजाक समझने वाले, खुद ब खुद कर लाकडाउन की मांग

संक्रमण को देखते हुए पूर्वोत्‍तर की मंडी खालपाड़ा चार दिन का लाकडाउन  

न्‍यूज भारत, सिलीगुड़ी : चाइनिज बिमारी कोरोना जब तेजी से पैर पसारने लगा तो अब लोग खुद ब खुद लाकडाउन की मांग करने लगे। मंगलवार को कोलकाता में बंगाल सरकार ने प्रदेश में पूर्ण लाकडाउन करने का एलान किया तो शोशल मिडिया फेसबुक पर बंद के द्वंद की बात ट्रेंड करने लगा। फेसबुक के वाल पर लोागों की प्रतिक्रिया देखने लायक है। प्रत्‍येक पोस्‍ट पर 50 से 60 कमेंट में 95 प्रतिशत लोग बंद की मांग का सर्मथन करते देखा गया। वहीं कोरोना के बढ़ते प्रभाव एवं सिलीगुड़ी मर्चेंट एसोसिएशन के सचिव को संक्रमण के खतरे की संभावना हो देखते चार दिन के खालपाड़ा मंडी को पूर्ण लाकडाउन कर करने का फैसला लिया। वहीं आज लोग लाकडाउन का  हुई अनियमितता का का पछतावा हो रहा है। हालत वहीं  है जैसे' अब पछताए होत क्‍या जब चिडि़यां चुग गई खेत'।जबकि प्रशासन ने अभी तक सिलीगुड़ी नौ वार्डों को बंद करने की बात से लोगों में भय है कि अगर ये वार्ड पूर्ण लाकडाउन होगा तो लोग खुले हुए वार्डो घूमने के लिए जाएंगे तो इसका क्‍या होगा। लाकडाउन वाले वार्डों में 2, 4,5, 28, 37,38, 39,43 व 46 को संपूर्ण लाकडाउन की श्रेणी में रखा गया है। वहीं अगर मॉल की चर्चा करें तो सरकार ने मॉल तो खोलने का आदेश तो दिया पर खुलने के बाद भी कमोवेश शहर के सभी मॉल खाली-खाली नजर आ रहे हैं। मॉल के कुछ दुकानदारों का मानना है कि अनलाक डाउन-2 से बेहतर लाकडाउन ही है।

बंद के द्वन्द में सिलीगुड़ी: वहीं महिला काव्‍यमंच की अमरावती गुप्‍ता की राय भी कुछ इस प्रकार है।कोविड-19 यानी वैश्विक महामारी कोरोना के बजह से समूचे विश्व पर असर पड़ा है तो सिलीगुड़ी कैसे अछूता रहता। लॉक डाउन की मार झेल रहा शहर वीरान पड़ा रहा, लॉक डाउन खुलने के बाद भी दुकानें तो खुली लेकिन ग्राहक कहाँ ?? सिर्फ जरुरत की सामग्री की ही विक्री रह गई है। आर्थिक मंदी के दौर में कुछ भी सहज नही हो पाता। आर्थिक स्थिति खराब हो तो उसका असर मानसिक स्थिति पर पड़ना स्वाभाविक है। गरीबों के लिए सरकार है, स्वयंसेवी संस्थाएं है या बहुत से समाजसेवी मदद को सामने आते हैं, और आना भी चाहिए, लेकिन दूसरे वर्गों की हालत भी कुछ ठीक नही। सबसे ज़्यादा परेशान तो बिजनेस करने वाले हैं, जो किराए की दुकान ले कर बिजनेस करते उनके लिए तो ये आपदा भयावह है। दुकान खुले ना खुले, चले ना चले, किराया तो देना ही होगा। मजदूर वर्ग या नौकरी पेशा वाले लोग तो पहले दिन से ही कमाने लगते हैं, लेकिन एक दुकानदार अपनी ढेर सारी पूंजी लगा कर मुनाफे की राह देखता है। ग्राहक ही नही तो मुनाफा कहाँ ? लोन भी लें तो भरेंगे कैसे ? लोगों का घर चलाना मुश्किल हो रहा।कुल मिला कर सबकी हालत खराब है , चाहे वो किसी भी वर्ग का हो। जल्द ही इस बिमारी से निजात नही मिली तो इससे भी बुरे हालात होंगे।

दिनभर लाकडाउन की चर्चा रही बाजार में : बंगाल सरकार की घोषणा के बाद दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी का नाम संपूर्ण लाकडाउन में नहीं लहीं होने के कारण आज पूरा दिन सिलीगुडी मे चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। खालापाड़ा तो बंद होगा नहीं, लेकिन सेवक रोड स्थित हार्डवेयर, सेनेट्रीवेयर समेत अन्‍य बाजारों को बंद किया जाएगा की नहीं चर्चाओं का बाजर गर्म रहा।

सिलीगुड़ी हार्ड वेयर मर्चेंट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष संदीप सिंहल का भी मानना है, कि लाकडाउन प्रशासन कराए और साथ ही कड़ाई से इसका पालन सुनिश्ति कराए तभी कोरोना संक्रमण से निजात मिल सकती है। क्‍यों कि बाजारों बढ़ती भीड़ के कारण कम्‍यूनिटी संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है। संदीप ने बताया कि बाजार में अनलाकडाउन-2 के बाद बाजारों लोगों की भीड़ जुट रही है। हलांकि लोग मास्‍क तो पहनकर आ रहे हैं, परंतु उनके बारे में बाजार के दुकानदारों को कुछ पता नही होता है। साथ ही समान को देने-लेने के कारण व्‍यापारियों या कर्मचारियों संपर्क में आते हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ता है। शायद यहीं कारण है कि सिलीग़ड़ी में संक्रमण का प्रभाव तेजी से फैल रहा है। जबकि सिलीगुड़ी के हार्डवेयर का बाजार पर पूरा उत्‍तर बंगाल, सिक्‍क्‍मि, बिहार से बंगाल के सटे क्षेत्रों का आना-जाना लगा रहाता है।    

नार्थ बंगाल मोटर्स डीलर्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष शशिकांत अग्रवाल का कहना है कि जान है तो जहांन है। हम चाहते हैं कि बाजार बंद हो और इसकी घोषणा खुद प्रशासन करें। इसके साथ ही प्रशासन यह भी सुनिश्त‍ि कराएं की लाकडाउन का मतलब डाकडाउन हो पहले लाकडाउन की तरह मौज-मस्‍ती के लिए ना हो। उन्‍होंने कहा कि सिलीगुड़ी पूर्वोत्‍तर का हब है, और यहां सिलीगुड़ी के आसपास के अलावा बिहार के पूणियां, किशनगंज, दालकोला, उत्‍तर दिनाजुपर समेत कई जिलों के लोग आते हैं। ऐसे में पता करना कौन संक्रमित है कौन नहीं बहुत मुश्किल है। इसलिए इसका एक मात्र उपाय पूर्ण लाकडाउन प्रशासन द्वारा होऔर इसका शख्ति से पालन हो। वित्तिय वर्ष की बावत उन्‍होंने कहा कि अब तो आधा निकल चुका है, आधे के लिए जान देने से कोई फायदा नहीं है।