न्यूज भारत, सिलीगुड़ीः काव्य, लेखन, संगीत एसी विधा है जिसमें साधना की जरूरत होती है। मंजिल से मुकाम तक पहुंचना बहुत कठिन होता है। लेकिन अगर व्यक्ति अगर चाह ले तो राह मिल जाती है। कोई अपनी रचनाओं के लिए सही प्रयास करता है तो आगे चलकर " साधना की शक्शियत" से ही पहचान बनाने में सफल होता है। सिलीगुड़ी में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस जरूरत है संवारने की इसी तरह से एक आवाज सामने आया है "प्रतीक गुप्ता" बचपन से आवाज की दुनिया में साज बैठा रहा है, परंतु सफलता के लिए अभी साधना की जरूरत है।
" कहीं मंच तो मिला नहीं पर कोशिश कर रहा हूं कि मेरे सुर और ताल को बेहतर मिला सकूं"
प्रतिक गुप्ता, सिलीगुड़ी