दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं...

शिक्षा के साथ संस्‍कार व प्‍यार बांट रहा हिन्‍दुस्‍तान

भारत की मदद से नेपाल के इलम में बने नए स्कूल भवन का हुआ उद्घाटन

चालबाज चीन के चाल में फंसे नेपाल को भारत का एक और तोहफा

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़़ी : एक तरफ भारत रोटी-बेटी के संबंधों को नई उड़ान दे रहा है, तो दूसरी ओर चालबाज चीन के चाल में फंसकर नेपाल के प्रधानमंत्री भारत पर अर्नगल प्रलाप कर रहे हैं। कारण स्‍पष्‍ट है, चुनाव के बाद जो समझौता केपी ओले ने किया था, आज उससे मुकर रहे हैं, और सत्‍ता के लिए चीन के हाथों खेल कर नेपाल को अंधकार की ओर ले जा रहे हैं। वहीं भारत ने अपनी दोस्‍ती का फर्ज निभाते हुए नेपाल के सूदूर क्षेत्रों में शिक्षा, संस्‍कार और प्‍यार बांटने में लगा है। इसकी अनूठी मिशाल है। भारत-नेपाल मैत्री सहयोग परियोजना के तहत इलम के बारबोटे में श्री सप्तमई गुरुकुल संस्कृत विद्यालय के नए स्कूल और छात्रावास का उद्घाटन आज किया गया। आज गुलजार जी की बातें भारत-नेपाल मैत्री पर सटीक बैठता है। ''एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद, दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं'' भारतीय दूतावास ने एक ट्वीट से नेपाल के इलाम जिले में भारत की 1.94 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद से निर्मित एक नए चार मंजिले स्कूल भवन का उद्घाटन सोमवार को किया गया। भारतीय दूतावास के मुताबिक, यह स्कूल छात्रों को वैदिक और आधुनिक शिक्षा का ज्ञान प्रदान करेगा। भारतीय दूतावास द्वारा काठमांडू में जारी एक बयान में कहा है कि 2009 में स्थापित श्री सप्तमाई गुरुकुल संस्कृत विद्यालय के भवन का उद्घाटन वीडियो कांफ्रेंसिंग से किया गया। इसमें नेपाल के अधिकारी, स्कूल प्रबंधन समिति और भारतीय दूतावास के सदस्य शामिल हुए।

वैदिक शिक्षा के साथ संस्‍कृत की होगी पढ़ाई : यह स्कूल संस्कृत समेत वैदिक के साथ ही आधुनिक शिक्षा प्रदान करने की विशेष योग्यता रखता है। नए स्कूल भवन के निर्माण पर तीन करोड़ 11 लाख नेपाली रुपये (1.94 करोड़ रुपये भारतीय) व्‍यय किए गया हैं। नए स्कूल भवन में कक्षाओं के लिए दस कमरे, छात्रों के लिए छात्रावास ब्लॉक, चार अध्ययन कक्ष, वार्डन कार्यालय, एक कांफ्रेंस हॉल समेत अन्य सुविधाएं शामिल हैं। नेपाली छात्रों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए भारत ने नेपाल को ऐसे कई स्कूलों के निर्माण में वित्तीय सहायता मुहैया कराई है। नेपाल के छात्रों के लिए शिक्षा को उन्नत करने के उद्देश्य से 2015 के भूकंप के बाद नेपाल के अधिकांश शैक्षणिक संस्‍थनों के क्षतिग्रस्त होने के बाद भारत ने यह कदम उठाया है।