चालबाज चीन की गोली में फंसे ओली

प्रचंड से वादाखिलाफी पड़ सकती है पीएम ओली को भारी

ओली आज राष्ट्रपति भंडारी से मिलने शीतल निवास भी गए   

सीमांए सील खाने-पीन के सामान की नेपाल में बढ़ी किल्‍लत

भारत का विरोध करना पड़ा ओली को मंहगा, उनकी पार्टी में दरार

पवन शुक्‍ल, पानीटंकी भारत-नेपाल सीमा : रोटी-बेटी के रिस्‍ते को ताक पर रखकर निजी स्‍वार्थ पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली खुद ब खुद चालबाज चाल में फंस गए। एक तरफ सरकार बनाने के समय 50-50 के फार्रमूले पर बनी ओली की सरकार अब सहयोगियों के साथ वादाखिलाफी के कारण संकट से घिर गए। एक तरफ वादाखिलाफी, तो दूसरी ओर भारत से सदियों के संबंध को चीन के इशारे पर खत्‍म करने की कोशिश के कारण सहयोगियों के साथ अपनी पार्टी के करीब 50 सांसदों ने भारत के साथ विरोध का प्रतिरोध करना शुरू कर दिया। जिससे नेपाल में राजनीतिक संकट गहरा गया।    
भारत के विरोध के बाद नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रम काफी तेजी से बदल गया है। ओली के लगातार उठ रही इस्तीफे की मांग के बीच गुरुवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने राष्ट्रपति से मुलाकात की, फिर आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में नेपाल संसद के मौजूदा बजट सेशन को रद्द करने का फैसला लिया गया।

भारत विरोध पड़ गया भारी?

गौरतलब है कि नेपाल में राजनीतिक संकट की शुरुआत तब हुई थी जब नेपाल की ओर से नया नक्शा जारी किया गया। नेपाल ने संसद में नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें उत्तराखंड के तीन गांवों को अपने देश की ज़मीन बताया गया। इस नक्शे का भारत ने पुरजोर विरोध किया, लेकिन नेपाल बाज नहीं आया और नक्शा जारी कर दिया.इसके बाद कई मौकों पर केपी ओली को भारत विरोधी बयान देते हुए सुना गया, जिसमें कोरोना वायरस से खतरनाक वायरस भारत से आने वाला वायरस जैसा बयान या फिर भारत पर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाना हो। हालांकि, हर मौके पर भारत ने केपी ओली के बयानों का खंडन ही किया। वहीं ओली के कुछ सर्मथक नेपाल से कई विडियों संदेश के ओली को सही ठहराने का प्रयास भी किया जा रहा है। दूसरी ओर नक्‍शा जारी होने के बाद से ही भारत की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है। भारत से नेपाल व नेपाल से वहीं आ जा पा रहा है पूरी तरह से वैध है, इसके अलावा सिर्फ आवश्‍यक सामानों को छोड़कर बाकी सभी तरह के अवागमन पर प्रतिबंध लग जाने के कारण अब नेपाल में खाने-पीने के सामानों की कील्‍लत होने लगी और जो मिल रहा है वहा भी आसमान छूती कीमतों पर।  

वादाखिलाफी का आरोप

मालूम हो कि चुनाव के बाद किसी भी पार्टी को स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिलने के कारण नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता देख दहल ने अपनी पार्टी का सर्मथन दिया। उस समस 50-50 यानि ढाई-ढ़ाई साल सरकार चालने पर सहमति बनी थी। परंतु जैसे ही ओली के ढाई वर्ष पूरा हुआ तो वह चीन के हाथों कठपुतली बनकर खेलने लगे और नया नक्‍शा जारी कर नेपाल में अस्थिरता का माहौल बना दिया। जिससे सरकार बचाने की कोशिश तो किए पर भारत के साथ खराब होते संबंध को देखते हुए ओली के पार्टी के सांसदों में ही उनके विरोध का स्‍वर मुखर होने से से जिससे चालबाज चीन को गोली में खुद फंस गए ओली।   

प्रचंड ने संभाला मोर्चा

इस सबके बीच नेपाल का चीन के प्रति मोह बढ़ता गया और लगातार वह चीन की चाल में फंसता गया। इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड भी एक्टिव हुए और लगातार केपी ओली पर हमला तेज कर दिया।  पहले उन्होंने नेपाली पीएम से ये साबित करने को कहा कि भारत ने किस तरह उनकी सरकार को अस्थिर किया, कहा कि ऐसे बयान भारत से संबंध बिगाड़ सकते हैं। इतना ही नहीं प्रचंड ने साफ कहा कि भारत नहीं बल्कि वो उनका इस्तीफा चाहते हैं। वहीं सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पा कमल दहल गुट ने पीएम ओली के खिलाफ एक और दांव चला है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने बुधवार को एक बैठक बुलाई थी, जिसमें पार्टी नेताओं ने ओली के खिलाफ रणनीति तैयार करने के लिए एक बड़ी योजना बनाई है।