क्या है मसान कि होली?
मसान होली को मृत्यु पर विजय का प्रतीक भी मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान भोलेनाथ ने यमराज को हराने के बाद चिता की राख से ही होली खेली थी। तब से इस दिन को यादगार बनाने के लिए हर साल मसान होली खेली जाती है। यह त्योहार 2 दिनों तक मनाया जाता है।
मसान होली क्यों मनाई जाती है? काशी के मर्णिकर्णिका घाट पर भोलेनाथ ने भूत-प्रेत, यक्ष, गंधर्व और प्रेत के साथ चिता की राख से भस्म होली खेली थी. ऐसा इसलिए क्योंकि रंगभरी एकादशी के दिन शिवजी ने अपने गणों के साथ गुलाल से होली खेली लेकिन भूत-प्रेत, यक्ष, गंधर्व और प्रेत के साथ नहीं खेली इसीलिए रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मासन की होली खेली जाती है|
मसन होली कौन खेल सकता है? चिता की राख से मसान होली केवल काशी में ही खेली जाती है। इस उत्सव के दौरान शिव के भक्त नाचते-गाते हैं। काशी का मणिकर्णिका घाट हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंजता है, जबकि चिताओं की राख हवा में ढकी रहती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल के साथ-साथ चिता की राख भी लगाते हैं।