बीएसएफ की फायरिंग में 3 से 4 बांग्लादेशी तस्करों के घायल होने की ख़बर
न्यूज भारत, उत्तर 24 परगना: दक्षिणी बंगाल सीमांत के अंतर्गत उत्तर 24 परगना जिले में तैनात 68वीं वाहिनी की सीमा चौकी सिंघमौरा के मुस्तैद जवानों ने 30 सितम्बर, 2023 को नई तारबंदी को काटकर की जाने वाली बड़ी तस्करी को असफल कर दिया। हालांकि तस्करों को रोकने के लिए जवानों को घातक और अघातक दोनो प्रकार के हथियार से फायर करना पड़ा। जानकारी के अनुसार यह घटना सीमा चौकी सिंगामोरा की है जिसमें सीमा पर तैनात सतर्क जवानों ने शनिवार सुबह 0310 बजे अपने इलाके में बांग्लादेश की ओर से 10 से 15 तस्करों को तेज धार वाले हथियारों के साथ भारतीय सीमा में आते देखा। जवान उन्हें रोकने के लिए आगे बढे लेकिन तस्कर रूकने की बजाय तारबंदी को काटने लगे तथा कुछ तस्करों ने पथराव शुरू कर दिया। जवानों ने उन्हे रोकने के लिए अघातक हथियार से फायर किया पर तस्कर लगातार उनकी तरफ तेजधार वाले दाह व तलवारों से हमला करने लगे। अपनी जान को खतरे में देखकर व अन्य कोई विकल्प ना पाकर जवानों ने घातक हथियार से फायर किया तब कही जाकर तस्कर मौके से पीछे हटे व घनी झाड़ियों और अँधरे का फायदा उठाकर वापिस बांग्लादेश भाग गए। तस्करों ने दूसरी जगह फिर से अपने मंसूबों में सफलता प्राप्त करने की कोशिश की तथा नई तारबंदी को फिर से काटने कोशिश की पर जवानों ने वहां भी उन्हें अघातक हथियार से फायर कर के उन्हे रोका व वापिस बांग्लादेश में खदेड़ दियाI सूत्रों से पता चला है की इस घटना मे 3 से 4 बांग्लादेशी तस्कर घायल हुए है। हालांकि तस्करों को अपने इरादों में सफलता नहीं मिली लेकिन तस्कर हाल ही में लगाई गई तारबंदी के एक छोटे से हिस्से को काटने मे सफल रहे l बीएसएफ ने इस घटना में बांग्लादेश की ओर के तस्करों के होने की पुष्टि की है और अपने समक्ष बॉर्डर गॉर्ड बांग्लादेश के साथ फ्लैग मीटिंग भी किया। साथ ही इस घटना का विरोध भी जताया। बीती रात भी बांग्लादेशी तस्कर ने तारबंदी को कई जगह पर काटने का प्रयास किया था और तब बीएसएफ के कमांडरों ने अपनी रणनीति मे बदलाव किया और तस्करों के तारबंदी काटकर तस्करी करने के बड़े प्रयास को विफल करने में कामयाब हुये।
तस्कर अक्सर करते हैं जवानों पर जानलेवा हमला
बीएसएफ प्रवक्ता दक्षिण बंगाल सीमांत के डीआईजी सह प्रवक्ता ए के आर्य ने बताया की भारत–बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ जवान अपनी जान की परवाह किए बैगर सीमा पर मुस्तैद रहते हैं। आगे उन्होंने कहा की जब तस्करों को उनके गलत मंसूबों में सफ़लता नहीं मिल पाती तो वे झुंझलाकर जवानों पर जानलेवा हमला करते हैं जिसकी वजह से कई बार हमारे जवान गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। जवान अपनी और सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के साथ-साथ तस्करी को रोकने के लिए कड़े कदम उठाते हैं जिसके परिणामस्वरूप कई बार तस्करों को इसके गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं।